बागियों से तंग है धामी व रावत
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तराखण्ड में इस बार दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों-कांग्रेस व भाजपा को 36 का आंकड़ा जुटाना भी भारी पड़ रहा है। दल बदलुओं और बगावत करने वालों ने चुनाव के समीकरण ही बदल दिये है। उदाहरण के लिए महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्या ने 2017 में नैनीताल सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गयी थीं। इस बार नैनीताल के सिटिंग विधायक संजीव आर्या ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा। सरिता आर्या को लगा कि उन्हें इस बार नैनीताल से टिकट नहीं मिलेगा। यह देखकर सरिता आर्या ने भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा ने नैनीताल से ही सरिता आर्या को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इस प्रकार का समीकरण राज्य की कई सीटों पर बना है और कोई नहीं कह सकता कि नतीजा किसके पक्ष में आएगा। कांग्रेस की तरफ से कमान संभाल रहे हरीश रावत और भाजपा की तरफ से कमान संभाल रहे पुष्कर सिंह धामी ऊपरी तौर पर भले ही जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर परेशान हैं।
उत्तराखंड में कुल 70 विधानसभा सीटों में से बहुमत के लिए 36 जुटा पाना हर पार्टी के लिए हमेशा टेढ़ी खीर रहा है। ऐसे में, जबकि 2022 विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य पार्टियों के भीतर असंतोष जिस तरह नजर आ रहा है, अंदेशा यही है कि हर पार्टी की गणित भीतर की बगावत ही बिगाड़ सकती है। हालांकि नामांकन वापसी की अंतिम तिथि 31 जनवरी है इसलिए पार्टियों को यह उम्मीद भी है कि उनके प्रत्याशियों के खिलाफ बागी हुए नेताओं को मैनैज कर लिया जाएगा।
राज्य में खास तौर पर, भाजपा और कांग्रेस के भीतर बगावत के रंग दो ढंग से दिख रहे हैं। एक तो नाराज नेता घोषित या अधिकृत प्रत्याशियों से अलग चुनावी मैदान में निर्दलीय उतर रहे हैं या दूसरे किसी और पार्टी से टिकट जुगाड़ रहे हैं। इन दोनों तरीकों की दो बड़ी मिसालें इस तरह हैं। रुद्रपुर सीट से बीजेपी के मौजूदा विधायक राजकुमार ठुकराल ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय के तौर पर परचा भर दिया है। वहीं, हॉट सीट बन गई टिहरी पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रमुख किशोर उपाध्याय ने बीजेपी से टिकट पाया है, तो बीजेपी के सिटिंग विधायक धनसिंह नेगी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। कोटद्वार सीट बीजेपी के लिए अखाड़ा बन गई है। यहां से पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी और विधायक ऋतु खंडूरी को भाजपा ने टिकट दिया, तो दावेदारी करने वाले पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चैहान ने निर्दलीय के तौर पर हुंकार भर दी। चैहान का टिकट लगभग तय था, लेकिन ऐन वक्त पर बदलाव हुआ, तो वह बागी हो गए। ऐसे ही यमुनोत्री से पूर्व राज्य मंत्री जगबीर भंडारी को टिकट की आस थी, लेकिन अब वो भी निर्दलीय हैं। कालाढूंगी में बीजेपी के बड़े नेता गजराज बिष्ट निर्दलीय लड़ेंगे। इसी तरह भीमताल में बीजेपी के मनोज शाह बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे।
धनौल्टी सीट पर बीजेपी के बड़े नेता महावीर रांगड़ घोषित प्रत्याशी के विरोध में आए। घनसाली में बीजेपी के दर्शन लाल बागी हो गए। किच्छा से भाजपा के बागी अजय तिवारी ने नामांकन भर दिया। नानकमत्ता में भाजपा से नाराज मुकेश राणा भी निर्दलीय हुए। किच्छा सीट से कांग्रेस के बागी हरीश पनेरू अपने दम पर मैदान में। यमुनोत्री सीट से कांग्रेस के संजय डोभाल ने बगावत की। केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी के खिलाफ सुमन तिवारी ने परचा भर दिया है। ऋषिकेश सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी जयेंद्र रमोला के विरोध में बागी शूरवीर सिंह सजवान ने नामांकन भरा। कांग्रेस ने पूर्व सीएम हरीश रावत की सीट रामनगर से बदलकर लालकुआं की, तो यहां पहले उम्मीदवार घोषित की गईं संध्या डालाकोटी को मनाने के लिए रावत ने मुलाकात भी की, लेकिन संध्या ने निर्दलीय परचा भर दिया है। इधर, रामगनर में भी मान मनौव्वल की तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस में बगावत हो गई। कांग्रेस ने महेंद्र पाल को रामनगर से प्रत्याशी बनाया, तो हरीश रावत समर्थक संजय नेगी ने निर्दलीय के तौर पर नॉमिनेशन फाइल कर दिया है। कांग्रेस की परेशानी दो नहीं, बल्कि और भी कुछ सीटों पर है। बागेश्वर में बागी हुए भैरवनाथ टम्टा ने परचा भरा है, तो सहसपुर सीट से कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री और पूर्व राज्यमंत्री आकिल अहमद ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी लंबे समय से सहसपुर पर स्थानीय को टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने बाहरी को टिकट दिया, तो कार्यकर्ता नाराज हैं। इस तरह की नाराजगी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। सहसपुर में आजाद अली कांग्रेस से आप में चले गए, तो वहीं नैनीताल में पिछले दो चुनाव हार चुके बीजेपी के हेम आर्य अब आप के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। ऐसा ही कुछ टिहरी सीट पर दिखा, जहां धनसिंह नेगी और किशोर उपाध्याय अब विरोधी खेमे से लड़ते दिखेंगे। बाजपुर में बीजेपी से विजयपाल जाटव, सितारगंज में कांग्रेस के असंतुष्ट पूर्व विधायक नारायण पाल और खटीमा में आप छोड़कर रमेश राणा बसपा के प्रत्याशी बन गए। ऐसी सीटों पर कार्यकर्ता उलझन में है कि वो अब किस तरह अपने प्रत्याशी का प्रचार जनता के बीच करें। बगावत के इस पूरे ब्योरे से साफ है कि भाजपा और कांग्रेस के भीतर कार्यकर्ताओं की निष्ठा सवालों के घेरे में है, जो वोट कटने, बंटने और पत्ते साफ होने जैसे नतीजों में तब्दील हो सकती है। इस पूरे मामले में कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा, ‘एक दो सीटों को छोड़कर हर जगह असंतुष्टों को मैनेज कर लिया गया है। उत्तराखंड चुनाव के अब तक 18 नेता ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरी पार्टी का दामन थामा और चुनाव का टिकट पा लिया। इन दल बदलू नेताओं को टिकट देने में बीजेपी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी कोई भी पीछे नहीं रही लेकिन बाजी मारी कांग्रेस ने। बीजेपी के छह नेताओं को कांग्रेस ने टिकट दिया जबकि बीजेपी में ऐसे दलबदलू उम्मीदवारों की संख्या चार है। बीएसपी ने चार और आम आदमी पार्टी ने तीन दलबदलुओं को चुनावी मैदान में उतारा है। एआईएमआईएम ने भी कांग्रेस छोड़कर आए एक नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है। राजपाल सिंह पिछले चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके। राजपाल इस बार बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने झबरेड़ा से अपने सिटिंग विधायक देशराज कर्णवाल का टिकट काटकर राजपाल को उम्मीदवार घोषित कर दिया। दुर्गेश्वर लाल पुरोला में कांग्रेस के नेता रहे लेकिन अपने समीकरण न बनते देख बीजेपी में शामिल हो गए। पार्टी में शामिल होने के चंद घंटों के भीतर ही बीजेपी ने उन्हें टिकट दे डाला। लाल का मुकाबला अब कांग्रेस के मालचंद से होगा। टिहरी से बीजेपी के सिटिंग विधायक धनसिंह नेगी को बीजेपी टिकट देने के मूड में नहीं थी, जिसकी भनक नेगी को भी थी इसलिए उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने उन्हें टिहरी से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया तो यहां अब वह कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ लड़ेंगे। ओमगोपाल रावत बोल्ड नेता माने जाते हैं। 2017 में सुबोध उनियाल के बीजेपी में शामिल होने के बाद ओमगोपाल को नरेंद्र नगर से बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था। 2022 में भी उनियाल को ही बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया तो नाराज रावत ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने उन्हें नरेंद्र नगर से उम्मीदवार भी बना डाला। यहां रावत पूर्व कांग्रेसी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। (हिफी)
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