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बात कहने का योगी तरीका

बात कहने का योगी तरीका

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी और तेज हो गयी है क्योंकि सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों की सूची जारी करनी शुरू कर दी है। इस प्रकार अपेक्षा के अनुसार जिसको टिकट नहीं मिलता है, वही आत्मा की आवाज भविष्य को देखकर सुनने लगता है। भगदड़ सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा में भी मची लेकिन योगी आदित्यनाथ का चुनाव प्रचार और परिस्थितियों का सामना करने का अलग ही तरीका है। वे अभी पिछले दिनों 80 और 20 फीसदी का फार्मूला सुनाकर विपक्षी दलों को उलझा चुके हैं। अब उन्हांेने कहा कि वे (विपक्षी) अवैध तरीके से हजहाउस बनवाते हैं और हम नियम संगत कैलाश मानसरोवर भवन। इसी संदर्भ में योगी काशी, मथुरा और अयोध्या के राम मंदिर का भी जिक्र करते हैं। पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के समय की गुंडागर्दी का उल्लेख करते हुए 2017 के बाद माफियाओं पर जिस तरह से बुलडोजर चला है, योगी उसका जिक्र करना नहीं भूलते। इसके साथ ही मुख्य प्रतिद्वन्द्वी सपा को घेरने के लिए भाजपा की नयी-नयी रणनीति भी बनती रहती है। योगी के सारगर्भित बयानों से विपक्षी दल तिलमिला कर रह जाते हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बात करने का तरीका ही कुछ अलग है। भाजपा ने विवादित सीटों पर टिकट वितरण फिलहाल रोक दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी सरकार पर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने राम जन्म भूमि, काशी विश्वनाथ मंदिर, कैलाश मानसरोवर भवन का जिक्र किया। उन्होंने टिप्पणी की कि वे नियमों की अनदेखी कर हज हाऊस बनाते हैं, हम नियमसंगत कैलाश मानसरोवर भवन बनाते हैं। सीएम योगी ने गाजियाबाद के मोहन नगर इलाके में घर-घर जाकर प्रचार किया और साहिबाबाद में बुद्धिजीवियों को संबोधित कर आगामी चुनाव में लोगों का समर्थन मांगा। साहिबाबाद में एक कार्यक्रम में बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुए, सीएम योगी ने कहारू “जो लोग सत्ता में रहते हुए लोगों को बिजली देने में विफल रहे। वे 300 यूनिट मुफ्त में देने का वादा कर रहे हैं क्योंकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि वे नहीं आ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि लोगों से अपने वायदे को निभाने के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, उन्हें अंधेरे में रहने की आदत है क्योंकि चोरों को चांदनी रात पसंद नहीं होती है। सीएम योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल कोविड महामारी के दौरान गायब हो गए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में विकसित दो टीकों पर लोगों को गुमराह करने में लगे हुए थे। उन्होंने कहा कि “भारत ने पीएम मोदी के नेतृत्व में कोविड प्रबंधन में दुनिया के लिए एक मिसाल कायम की है। यह प्रभावी प्रबंधन के कारण है कि अमेरिका की तुलना में चार गुना अधिक आबादी होने के बावजूद, भारत में महामारी के कारण अमेरिका से आधी मौतें हुई हैं। साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र के कृष्णा इंजीनियरिंग कालेज में आयोजित प्रभावी मतदाता संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि लोगों को इस तथ्य को पहचानना चाहिए कि जो लोग महामारी के दौरान उनके साथ नहीं खड़े थे और जिनके एजेंडे में विकास नहीं है, वे उनके असली दुश्मन हैं और उन्हें उनका समर्थन नहीं करना चाहिए। सपा पर तीखा प्रहार करते ही उन्होंने कहा की उसने हिस्ट्रीशीटर और खूंखार गैंगस्टरों को टिकट दिया है।

भारतीय जनता पार्टी अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी को मात देने के लिए एक बार फिर वर्ष 2017 में अपनाई गई रणनीति पर ही अमल करती दिख रही है। बीजेपी एक ओर जहां पिछली बार की ही तरह यादव कुनबे की कलह और सपा सरकार में ‘गुंडाराज’ का मुद्दा उछाल रही थी, वहीं कैराना दौरे पर गए अमित शाह ने पलायन का मु्द्दा उठाकर इस थ्योरी को पक्का कर दिया। ‘कैराना में पलायन’ का मुद्दा लोगों के दिलोंदिमाग में अब भी जिंदा है। ‘बीजेपी सरकार बनने से पहले और बाद में भी कैराना से हिंदू परिवारों का पलायन हमेशा चिंता का विषय रहा है। कैराना से बीजेपी के पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने सबसे पहले पलायन का मुद्दा उठाया था। उन्होंने जून, 2016 में 346 लोगों की एक लिस्ट जारी की थी, जिन्हें ‘एक विशेष समुदाय के आपराधिक तत्वों द्वारा धमकी और जबरन वसूली’ के कारण मुस्लिम बहुल शहर कैराना से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।’ हालांकि हुकुम सिंह ने बाद में अपने बयान को यह कहते हुए वापस ले लिया था कि कैराना से पलायन की वजह खास तौर से ‘कानून-व्यवस्था का मुद्दा’ था और कई परिवारों ने कारोबारी वजहों से भी पलायन किया। इससे यूपी में हिन्दुओं के कथित पलायन का एक नैरेटिव सेट हो चुका था और इसने कुछ ही महीनों बाद हुए विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव सरकार के खिलाफ बीजेपी के एक बड़े हथियार की तरह काम किया। केंद्र सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री अमित शाह एक बार फिर कैराना पहुंचे थे। उन्होंने यहां घर-घर जाकर बीजेपी के लिए प्रचार किया और हिन्दुओं के पलायन का मुद्दा उठाते हुए समाजवादी पार्टी को घेरा था। सपा-आरएलडी गठबंधन ने पश्चिमी यूपी में होने पहले चरण के मतदान के लिए जब उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, तब भी बीजेपी ने कैराना से सपा उम्मीदवार नाहिद हसन को लेकर अखिलेश यादव पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने सपा सुप्रीमो पर ‘कैराना से हिन्दुओं के पलायन के जिम्मेदार’ को टिकट देने का आरोप लगाया है। इसके साथ यादव परिवार में ‘तथाकथित दरार’ को उछालने का प्रयास भी भाजपा की उसी स्क्रिप्ट का हिस्सा है। उन्होंने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव और दो पूर्व सपाई प्रमोद गुप्ता और हरिओम यादव के बीजेपी में जाने का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘जो नेता सपा छोड़ रहे हैं उनके पास अपना कोई जनाधार नहीं ह। साल 2017 के चुनाव में भी भाजपा ने सपा शासन के दौरान खराब कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए उस पर अपराधियों और माफियाओं को आश्रय देने का आरोप लगाया था। वहीं इस बार भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी चुनाव के पहले दो चरणों में आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए सपा नेतृत्व की आलोचना की थी। भारतीय जनता पार्टी ने विवादित सीटों पर टिकट का ऐलान नहीं किया है। माना जा रहा है कि पार्टी ने बगावत होने के डर से ऐसा कदम उठाया है। (हिफी)
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