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कॉन्वेंट विद्यालय बनते जा रहे हैं बलपूर्वक धर्मांतरण के केंद्र !’ विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद !

कॉन्वेंट विद्यालय बनते जा रहे हैं बलपूर्वक धर्मांतरण के केंद्र !’ विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद !

*कॉन्वेंट विद्यालय धर्मांतरण के केंद्र बन रहे हैं और इसके लिए राजनीतिक समर्थन प्राप्त है !* - श्री. अर्जुन संपथ, अध्यक्ष, हिन्दू मक्कल कत्छी
तमिलनाडु की ‘लावण्या’ नामक एक किसान की बुद्धिमान लड़की ईसाईयों द्वारा संचालित विद्यालय में दसवीं कक्षा में पढ रही थी । उस पर ईसाई धर्म स्वीकारने के लिए दबाव डाले जाने पर उसने आत्महत्या की । ईसाईयों द्वारा स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र में धर्मांतरण करने के लिए अधिकाधिक प्रयास किए जाते हैं । कॉन्वेंट विद्यालयों में हिन्दू छात्रों को हिन्दू संस्कृति का पालन करने से विरोध किया जा रहा है और सभी ईसाई संचालित विद्यालय धर्मांतरण के केंद्र बनते जा रहे हैं । इसे राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है । इसके संदर्भ में मद्रास उच्च न्यायालय ने भी प्रश्‍न उठाए हैं, ऐसा प्रतिपादन ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’के अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपथ ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘कॉन्वेंट बन रहे हैं धर्मांतरण के केंद्र !’ विषय पर आयोजित ‘विशेष संवाद’ में वे बोल रहे थे ।
इस संवाद में श्री. संपथ ने आगे कहा कि धर्मांतरण के कारण कन्याकुमारी जैसे जनपद में आज हिन्दू अल्पसंख्यक बन चुके हैं । राज्य की सरकार ईसाईप्रेमी है । तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टैलिन ने ही एक बैठक में सार्वजनिक रूप से बताया था कि ‘यह सरकार केवल अल्पसंख्यकों के लिए है ।’ यहां के प्रशासन पर इसी का प्रभाव है । कर्नाटक में धर्मांतरणविरोधी कानून पारित हो चुका है;इसलिए हमने तमिलनाडु में भी यह मांग की है । इस संवाद में अंग्रेजी दैनिक ‘दी पायोनियर’ के वरिष्ठ पत्रकार श्री.कुमार चेल्लप्पन ने कहा कि किसी भी प्रसारमाध्यम ने ‘लावण्या’ आत्महत्या प्रकरण का संज्ञान नहीं लिया । प्रसारमाध्यमों ने विद्यालय का नाम, लडकी का नाम अथवा इस घटना के पीछे किस का हाथ है, इसकी जानकारी नहीं दी है । यहां के मुख्य प्रवाह के प्रसारमाध्यमों ने मार्क्सवादी, ईसाई और मुसलमानों के पक्षधर लोग हैं; इसलिए वे धर्मांतरण जैसे समाचारों को प्रसिद्धि नहीं देते । यहां के प्रसारमाध्यम ईसाई और मुसलमान कट्टरवादियों के वक्तव्यों को तुरंत प्रसिद्धि देते हैं । मुख्यमंत्री स्टैलिन ने वक्तव्य दिया था कि ‘सनातन धर्म सबसे खतरनाक है ।’ यहां की बाल कल्याण गैरसरकारी संस्थाओं को ईसाई और मुसलमान चलाते हैं । इन संस्थाओं को मिलनेवाले विदेशी चंदे की जानकारी सरकार को नहीं दी जाती
। केरल और तमिलनाडु राज्यों में बच्चों पर अत्याचार की कई घटनाएं होती हैं । इसमें यदि ईसाई अथवा मुसलमान आरोपी हों, तो यहां के प्रसारमाध्यम उन्हें संरक्षण देते हैं । आज के समय में गांव के गांव धर्मांतरित किए जा रहे हैं । समाज में ‘कॉन्वेंट विद्यालय सबसे अच्छे होते हैं’, इस प्रकार की अनुचित मानसिकता बनाई गई है; परंतु हम भी हिन्दुओं के लिए विद्यालय चलाकर हिन्दू बच्चों को हमारे धर्म का अमूल्य ज्ञान दे सकते हैं और उन्हें अच्छे अभियंता और डॉक्टर बना सकते हैं, ऐसा भी श्री. कुमार चेल्लप्पन ने बताया ।
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