राष्ट्रीय बालिका दिवस: नए भारत के वास्तुकारों का सशक्तिकरण
- रेखा शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय महिला आयोग
हम आजादी के 75 साल का जश्न मना रहे हैं, ऐसे में लड़कियों के सशक्तिकरण की आवश्यकता एक ऐसा विचार है, जिसे हर कोई भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानता है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार लड़कियों को सशक्त बनाने की प्रबल पक्षधर रही है। हम एक नया भारत देख रहे हैं, जो लड़कियों की क्षमता को साकार करने और उनके नेतृत्व गुणों का प्रदर्शन करने के अवसरों के साथ ही उन्हें सशक्त बनाने को प्राथमिकता देता है। भारत महिलाओं के विकास से 'महिला नेतृत्व वाले विकास' में बदल रहा है और हमारे प्रधानमंत्री के इस क्रांतिकारी दृष्टिकोण में; लड़कियों को उनकी वास्तविक क्षमता को साकार करने और राष्ट्र के विकास एवं प्रगति में योगदान देने के अवसरों के साथ, नए भारत के लीडर्स के रूप में देखा जा रहा है।
अपने दृष्टिकोण के अनुरूप, सरकार ने शिक्षा, रोजगार और सशक्तिकरण के लिए लड़कियों की समान पहुंच को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। समाज में ठोस बदलाव लाने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कारक जनता की मानसिकता को बदलना है और सरकार की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' (बीबीबीपी) योजना के माध्यम से आया परिवर्तन समाज में प्रतिबिंबित हो रहा है। माननीय प्रधानमंत्री ने बेटी के जन्म और उसके अधिकारों के प्रति समाज में व्यावहारिक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की थी। बीबीबीपी योजना लड़कियों में शिक्षा की कमी और कन्या भ्रूण हत्या जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के खिलाफ लोगों को जागरूक करती है। यह योजना बालिकाओं के प्रति पूर्वाग्रहों को दूर करने और बेटी के जन्म का उत्सव मनाने की नई प्रथाओं को शुरू करने के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को प्रेरित करती है। समाज में लैंगिक भेदभाव को मिटाने के लिए इस योजना ने जनता को संवेदनशील बनाया है। इस योजना ने भेदभाव दूर करने और बेटा-बेटी एकसमान की सोच रखने वाला समाज बनाने की दिशा में अपनी भूमिका को लेकर लोगों को जागरूक किया है।
सरकार द्वारा 'स्वच्छ भारत: स्वच्छ विद्यालय' अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत छात्राओं के बीच ड्रॉपआउट रेट (स्कूल छोड़ने की दर) कम करने के लिए लड़कियों के लिए अलग शौचालय का निर्माण किया गया और यह सुनिश्चित किया गया है कि भारत के हर स्कूल में वॉश सुविधाएं उपलब्ध हों। पर्याप्त पानी और स्वच्छता सुविधाएं लड़कियों के शिक्षा पूरी करने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं और पढ़ाई से उनका समग्र विकास भी सुनिश्चित होता है। मासिक धर्म स्वच्छता के लिहाज से अलग शौचालय और सुविधाएं मिलने से लड़कियों को स्कूल जाने और बीच में स्कूल छोड़ने वालों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। जब हमारी बेटियों को स्कूलों में अलग शौचालय, साफ पानी और सबसे अच्छी स्वच्छता सुविधाएं मिलेंगी तो कम उम्र में उनकी शादी की संभावनाओं को भी कम करने में मदद मिलेगी।
लड़कियां सभी क्षेत्रों में लड़कों की बराबरी कर रही हैं। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार का एक और ऐतिहासिक फैसला शादी की उम्र में समानता लाने का है। केंद्र सरकार ने हाल ही में महिलाओं के लिए शादी की उम्र 21 साल तक बढ़ाकर लैंगिक रूप से समान नीतियां बनाने की दिशा में एक और ठोस कदम उठाया है। बाल विवाह के चलते महिलाओं को जल्दी गर्भावस्था, कुपोषण और शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। केंद्र के नए फैसले से समाज की उस दकियानूसी धारणा के भी खत्म होने की उम्मीद है जिसमें शादी को महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा से जोड़कर देखा जाता है और यह भी मानते हैं कि महिलाओं की उम्र उनके पति से कम होनी चाहिए।
महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत साबित की है। हम और अधिक महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका के लिए तैयार करना चाहते हैं, जो अपने सशक्तिकरण की यात्रा में दूसरी महिलाओं को आगे आने और सशक्त बनाने में योगदान देंगी। राष्ट्रीय महिला आयोग ने हमेशा लड़कियों को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार के एजेंडे के अनुरूप नई पहल की हैं। लड़कियों को आत्मनिर्भर और रोजगार के लिए तैयार करने की पहल के तहत, आयोग ने स्नातक कर रही और स्नातकोत्तर छात्राओं के लिए एक देशव्यापी क्षमता निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत, एनसीडब्लू व्यक्तिगत क्षमता निर्माण, व्यावसायिक करियर कौशल, डिजिटल साक्षरता एवं सोशल मीडिया के प्रभावी इस्तेमाल पर सत्र आयोजित करने के लिए केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिससे छात्राओं को नौकरी के लिए तैयार किया जा सके। हमें हर क्षेत्र में और लीडर्स की जरूरत है और एनसीडब्लू अपने पाठ्यक्रम के जरिए लड़कियों को कुशल नेतृत्वकर्ता बनाने की दिशा में प्रयासरत है।
आयोग अपने कार्यक्रम 'वी थिंक डिजिटल' के माध्यम से लड़कियों की डिजिटल साक्षरता के लिए मेटा और साइबर पीस फाउंडेशन के साथ भी सहयोग कर रहा है। यह परियोजना 2018 में डिजिटल शक्ति के रूप में लॉन्च की गई थी, जिसके तहत पूरे भारत में 60,000 महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल साक्षरता एवं ऑनलाइन सुरक्षा में प्रशिक्षित किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर से लोगों ने भागीदारी की और इसके पिछले दो चरणों में 1,60,000 से अधिक महिलाओं और लड़कियों को जागरूक किया गया। परियोजना के तीसरे और वर्तमान चरण के तहत 1 लाख 50 हजार महिलाओं और लड़कियों को जागरूक करने का लक्ष्य है। नया भारत लड़कियों को उनकी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। यह गर्व की बात है कि लड़कियां राष्ट्र के विकास में अधिक महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाने के लिए आगे आ रही हैं। सरकार अपनी महिला केंद्रित नीतियों के साथ, हर क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक महिला प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए आगे बढ़ रही है। हम महाशक्ति बनने की अपनी यात्रा में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन अभी हमें पुराने दकियानूसी बंधनों को तोड़ने की जरूरत है। लड़कियों को आगे आने और समाज में बदलाव का वाहक बनने की जरूरत है। एक समाज के रूप में यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हर लड़की को, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, आगे बढ़ने और एक सम्मानपूर्ण जीवन जीने के लिए समान अवसर मिले। हमें एक नए भारत का निर्माण सुनिश्चित करना है, जहां हर लड़की को नेतृत्व करने का समान अवसर मिले, जैसे किसी और को मिलता है। इस तरह से हम अपने प्रधानमंत्री के महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण को हासिल कर सकेंगे।
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