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अनुप्रिया पटेल क्या फंसाएंगी पेंच

अनुप्रिया पटेल क्या फंसाएंगी पेंच

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • भाजपा व अपना दल के बीच चार सीटों पर फंसा है पेंच।
  • गोरखपुर मंे चंद्रशेखर आजाद क्या देंगे योगी को टक्कर।
  • पत्ते क्यों नहीं खोल रहे सपा व बसपा।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और अपना दल के बीच गठबंधन भले ही हो चुका हो, मगर सीटों के बंटवारे पर अब भी पेच फंसा है। यूपी चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी दल अपना दल (एस) 18 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और इसके लिए बातचीत भी जारी है। बताया जा रहा है कि भाजपा से बातचीत के बाद अपना दल ने 14 सीटों पर नाम तय कर लिए हैं, मगर जीती हुई चार सीटों पर अब भी सस्पेंस बरकरार है। भाजपा के साथ गठबंधन में अपना दल (एस) को अबतक सोरांव, विश्वनाथ गंज, प्रतापगढ़ सदर, छानबे, बारा, प्रतापपुर, मऊ, रानीपुर, नानपारा, घाटमपुर, मडियांहू, बछरांवा, स्वार, कायमगंज और चायल सीट मिली है, जबकि अपना दल (एस) की जीती हुई 4 सीटों पर अब भी पेच फंसा है। अपना दल की जीती हुईं सीटें दुद्धि, जहानाबाद, सेवापुरी और शोहरत गढ़ विधानसभा सीट पर अभी फैसला नहीं हुआ है। सूत्रों की मानें तो अभी भाजपा संग अपना दल की इस पर बातचीत चल रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अपना दल सोनेलाल की प्रमुख व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी ने अब तक 4 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अपना दल ने कानपुर नगर की घाटमपुर विधानसभा सीट से सरोज कुरील को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, फर्रुखाबाद जिले की कायमगंज विधानसभा सीट से डॉ. सुरभि अपना दल एस-बीजेपी गठबंधन की प्रत्याशी होंगी। इसके अलावा, बहराइच की नानपारा सीट से रामनिवास वर्मा पर अनुप्रिया पटेल ने भरोसा जताया है। वहीं, अनुप्रिया ने रामपुर की स्वार सीट से हैदर अली खान को मैदान में उतारा है।

उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया है। इस सीट से आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद भी ताल ठोक रहे हैं। सीएम योगी के खिलाफ आजाद समाज पार्टी ने बसपा के संस्थापक कांशीराम की रणनीति से प्रेरणा लेते हुए गोरखपुर के हर वार्ड में अपनी सेना बनाकर नुक्कड़ कार्यक्रमों के जरिये भाजपा से मुकाबले की कार्ययोजना तैयार की है। सीएम योगी और चंद्रशेखर के अलावा अभी तक किसी प्रमुख दल ने गोरखपुर में अपने उम्मीदवार की घोषणा अधिकृत तौर पर नहीं की है।

आजाद समाज पार्टी की राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य और गोरखपुर के पार्टी के मुख्य चुनाव प्रभारी डॉ मोहम्मद आकिब ने बताया, ‘हमारी पार्टी के युवाओं की टोली बनी है जो चार-चार, पांच-पांच की संख्या में नुक्कड़ कार्यक्रमों के जरिये मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाएगी।’ उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर हमारे प्रचार अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है और मान्यवर कांशीराम साहब जिस तरह एक-एक व्यक्ति को जोड़कर सेना खड़ी करते थे वैसे ही हम लोगों ने भी गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र के हर वार्ड में अपनी सेना बना ली है। कांशीराम का नाम लेकर एएसपी (आजाद समाज पार्टी) की रणनीति के दावे पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गोरखपुर मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी सुरेश कुमार गौतम ने कहा, ‘लोग जानते हैं कि चंद्रशेखर का चाल और चरित्र क्या है, कांशीराम का नाम लेकर कोई उनका मिशन पूरा नहीं कर सकता है।

चंद्रशेखर आजाद ने 2014 में भीम आर्मी की स्थापना कर दलितों के हितों को लेकर संघर्ष शुरू किया। आजाद ने अपने संगठन भीम आर्मी के राजनीतिक दल आजाद समाज पार्टी का गठन किया और 2020 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के उप चुनाव में बुलंदशहर की सदर विधानसभा सीट पर अपना पहला उम्मीदवार उतारा। एएसपी उम्मीदवार मोहम्मद यामीन बुलंदशहर के उपचुनाव में पराजित हो गये, लेकिन 13 हजार से अधिक मत पाकर उन्होंने पार्टी की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई।

डॉ. आकिब कहते हैं ‘यह चुनाव धनतंत्र बनाम जनतंत्र होगा और हम लोगों का चुनाव जनता लड़ेगी क्योंकि यह लड़ाई सामंती सोच के खिलाफ है।’ आकिब ने दावा किया कि सामंती सोच के खिलाफ हर वर्ग के इंसाफ पसंद लोग चंद्रशेखर के साथ आएंगे। वहीं भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य तथा उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक के सभापति गोरखपुर निवासी संतराज यादव ने दावा किया, ‘योगी के सामने गोरखपुर में चंद्रशेखर आजाद का कोई असर नहीं रहेगा।

उल्लेखनीय है कि गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में करीब साढ़े चार लाख मतदाता हैं और राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यहां 60 से 70 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। इसके अलावा दूसरे नंबर पर 55 से 60 हजार कायस्थ, लगभग 50 हजार वैश्य, लगभग 40 हजार मुसलमान, 25 से 30 हजार क्षत्रिय, 50 हजार अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों में सैंथवार, चैहान (नोनिया), यादव आदि मिलाकर 75 हजार से अधिक मतदाता हैं। शहरी क्षेत्र में बंगाली, पंजाबी, ईसाई और सिंधी समाज के लोग भी निवास करते हैं और अलग-अलग मोहल्लों में इनकी बसावट है। गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में 2017 में भाजपा के राधा मोहन दास अग्रवाल ने एक लाख 22 हजार से अधिक मत पाकर चैथी बार लगातार चुनाव जीता था जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार राणा राहुल सिंह को लगभग 61 हजार वोट मिले थे। बसपा उम्मीदवार जनार्दन चैधरी 24,297 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

ध्यान रहे कि योगी आदित्यनाथ के पास अयोध्या की सीट से भी चुनाव लड़ने का ऑफर था। एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में मुख्यमंत्री ने अयोध्या से लड़ने के सवाल पर कहा, ‘मेरे सामने ऑफर थे अनेक जगहों से। पश्चिम से अनेक सीटों से था, अयोध्या से भी था। अयोध्या में हमारा धाम है, हमारी आस्था है अयोध्या से। अयोध्या आंदोलन से मेरी तीन पीढ़ियां जुड़ी रही हैं। मेरे पूर्वज जुड़े रहे हैं। अयोध्या आंदोलन की शुरुआत गोरखपीठ से शुरू होती है और अयोध्या मैं राजनीतिक कारणों से नहीं जाता हूं। आस्था के साथ जाता हूं, श्रद्धालुओं की समस्या का समाधान करने जाता हूं। पर्यटन सुविधाओं का विकास करके रोजगार की दृष्टि से अयोध्या जाता हूं।’ जब तक योगी आदित्यनाथ की सीट का ऐलान नहीं हुआ था, तब तक यह चर्चा जोरों पर थी कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या या मथुरा की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। मगर भाजपा ने फैसला किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। सपा-बसपा ने अभी पत्ते नहीं खोले। (हिफी)
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