श्रीलंका दिवालिया होने की कगार पर!
कोविड महामारी, पर्यटन उद्योग की तबाही, बढ़ते सरकारी खर्च और टैक्स में जारी कटौती के कारण श्रीलंका का सरकारी खजाना खाली हो चुका है। इसके साथ ही, श्रीलंका को तमाम देशों से लिए गए कर्ज की अदायगी भी करनी है। इस आर्थिक संकट का असर लोगों के जीवन पर भी पड़ रहा है। महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रही है। खाने-पीने का सामान लोगों की पहुंच से हर दिन बाहर होता जा रहा है। श्रीलंका क्षेत्रफल के मामले में तमिलनाडु का लगभग आधा है। आबादी करीब सवा दो करोड़ है। श्रीलंका की जीडीपी में पर्यटन क्षेत्र का योगदान 10 फीसदी से ज्यादा है। कोविड महामारी ने पहले पर्यटन को चैपट किया और रही सही कसर चीन के कर्जों से पूरी हो रही है। चीन के बारे में यह धारणा सच के करीब है कि वो कर्ज डिप्लोमैसी से कमजोर देशों को फंसाता है और फिर अपने हिसाब से उस देश में नीतियां बनवाता है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक, महामारी की शुरुआत से अब तक पांच लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं। नवंबर में महंगाई दर रिकॉर्ड 11.1 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। दिसंबर में खाने-पीने के सामान 22.1 फीसदी महंगे हो गए। श्रीलंका अब खाने-पीने के सामान की कमी से जूझ रहा है। इतने पैसे नहीं हैं कि खाद्य सामग्री की आपूर्ति आयात के जरिए की जाए। श्रीलंका में लोगों के लिए तीन वक्त का खाना भी मुश्किल हो गया है।
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