लुप्त होती लोकगीतों की परम्परा
समाज के लिए अपनी संस्कृति,अपना रीति-रिवाज और अपनी लोकमान्यताएं सदा से चैतन्य दायिनी रहीं हैं।आज के बदलते परिवेश में जहां आधुनिकता का बोलबाला है वहीं परम्परा से चले आ रहे विवाह गीत, जन्मोत्सव के गीत आदि लुप्तप्राय होते जा रहे हैं।उन गीतों की जो मधुरिमा होती थी,उनसे जन मानस आप्यायित हो जाता था। राजा जनक और दशरथ से तुलना तथा राम और सीता से तुलना कर उन गीतों को सोद्देश्य गाया जाता रहा है।एक सभ्य समाज के निर्माण के लिए अपनी आर्ष परम्पराओं को नकार देना आत्मघाती हो जाता है।
बचपन से देखता रहा हूं कि हमारे समाज में गीतों का संकलन दादी, चाची, माताएं और बहनें करती रहीं हैं। आज के इस दौर में वह परम्परा लगभग समाप्त सी हो गई है।
फिल्मी गानों की पैरोडी कचोटती है।ऐसे गीत समाज को पतनोन्मुखी बना रहे हैं। मुझे कभी कभी अपने लोकगीतों की एक दो पंक्तियां याद आ जातीं है जब ध्वनि विस्तारक यंत्र से भोंड़े और अर्थहीन गानों को सुनता हूं। हमारे संस्कारित गीत कुछ और ही हुआ करते थे "पुनि जेवनार भए बहुभांति।पठवय जनक बोलाय बराती।"इसी तरह उबटन गीत में नारायण तेल की उपस्थिति मंगल कामनाओं से भरी होती थीं।"आठ ही काठ केरा मलिया रे मलिया ताहि मलिया।ये नारायण तेल ताहि मलिया।"इस प्रकार के गीतों की संख्या हजारों में कहीं गुम हो गईं हैं।आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं कहीं इनकी झलक दिखाई पड़ती है परन्तु शहरों में जहां एक दिवसीय विवाहोत्सव की परम्परा चली पड़ी है वहां इन गीतों का श्रवण भला कैसे हो सकता है?
फिलहाल मुझे एक विवाहोत्सव में सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। ललनाओं के श्रीमुख से सुनने वाले गीतों से हास्य तो पैदा हो रहा था पर मन अतीत की ओर लौट रहा था।"रसगुल्ला बनल बा, तोहर मुंहवां के नाप के।खा चांप के।
पैसा लागत नइखे बाप के।खा चांप के!"
जन्मोत्सव के गीतों में नंदबाबा,मैया यशोदा और कृष्ण कन्हैया की झलक वाले गीत कहां गुम हो गये?
हमें अपनी धरोहर को संजोने की आवश्यकता है।यही हमारी पहचान रही है।
कविवर मैथिली शरण गुप्त जी ने ठीक ही लिखा है-
हम कौन थे क्या हो गए हैं
और क्या होंगे अभी,
आओ विचारें आज मिलकर
ये समस्याएं सभी।रजनीकांत।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com