अमृत महोत्सव का दायित्व बोध
(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत अनेक स्तरों पर समारोह आयोजित हो रहे है। इनके माध्यम से राष्ट्र व समाज सेवा की प्रेरणा मिल रही है। बड़ी संख्या में संस्थाओं ने इसमें अपनी जिम्मेदारी का निर्धारण किया है। इसके अनुरूप कार्य योजनाएं बनाई गई। इस बार का राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया गया। सरकार ने तय किया है कि अब हर साल गणतंत्र दिवस का पर्व तेईस से तीस जनवरी तक सप्ताह भर का होगा। समारोह तेईस जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती से शुरू होकर तीस जनवरी को शहीद दिवस तक चलेंगे। इस क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एनसीसी कैडेटों को आजादी के अमृत काल में आज से लेकर अगले पच्चीस वर्षों तक अपनी प्रवृत्तियों और अपने कार्यों को देश के विकास के साथ देश की अपेक्षाओं को साथ जोड़ना चाहिए। सरकार की सेल्फ फॉर सोसायटी पहल के तहत तैयार किये गये पोर्टल से भी एनसीसी कैडेट जुड़ेंगे। सात हजार संगठन जुड़े हैं और वह समाज की सेवा में कार्यरत हैं। नरेंद मोदी ने कहा कि एनसीसी में रहते हुए उन्हें मिले परीक्षण से अपने दायित्व निभाने में ताकत मिलती है। उन्हें गर्व है कि वे कभी एनसीसी के कैडट रहे हैं। एनसीसी कैडेट को सलाम करते हुये उन्होंने बताया कि हाल ही में वे नये गठित एनसीसी एलुमिनायी एसोसिएशन के सदस्य बने हैं। वस्तुतः आजादी का अमृत महोत्सव का शुभारंभ व्यापक अवधारणा पर किया गया था। देश ने अपनी स्वतन्त्रता के पचहत्तर वर्ष पूरे किए हैं। वर्तमान सरकार ने इसे विशेष आयोजन तक सीमित नहीं रखा। उसने एक अभिनव महोत्सव की रूपरेखा बनाई। स्वतन्त्रता संग्राम का स्वरूप व्यापक था। इसमें अनगिनत अनछुए प्रसंग थे। वर्तमान पीढ़ी इनसे अवगत नहीं थी। अमृत महोत्सव में यह सभी तथ्य समाहित किये गए। इसमें देश के लिए किए गए संघर्ष की झलक थी। वर्तमान पीढ़ी को देशभक्ति की प्रेरणा देने का विचार था। विकसित और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने का संकल्प था। इस दौरान आत्मनिर्भर भारत अभियान पर प्रगति हो रही थी। आजादी के अमृत महोत्सव में भी इसकी गूंज सुनाई देने लगी। इस प्रकार इस महोत्सव का आधार बहुत व्यापक बन गया।
देशभक्तों व महापुरुषों के स्मरण की परंपरा पहले भी रही है। अमृत महोत्सव ने इसको नया स्वरूप दिया है। स्वतन्त्रता संग्राम का दायरा बहुत व्यापक था। इसके राजनीतिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक पहलू भी थे। अमृत महोत्सव के माध्यम से देश की वर्तमान पीढ़ी अनेक तथ्यों से परिचित हो रही है। देश की अनेक संस्थाएं आजादी के अमृत महोत्सव में सहभागी होती रही है। सभी ने इसके प्रति उत्साह दिखाया है। कुछ समय पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रेरणा से देश में कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई थी। इसमें जनसभा व भारत माता का पूजन दीप प्रज्ज्वलन आदि शामिल था। इनमें आजादी के प्रसंगों को रेखंकित किया गया। जनजातीय समुदाय के योगदान को भी अमृत महोत्सव के अन्तर्गत उजागर किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस का भी शुभारंभ किया था। अब प्रति वर्ष इस दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर समारोहों का आयोजन किया जाएगा। इस क्रम में नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर कार्यक्रम से राष्ट्रीय शुभारंभ किया। कार्यक्रम में ब्रह्म कुमारी संस्था द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित साल भर चलने वाली पहलों का अनावरण किया गया। इसमें तीस से अधिक अभियान व पन्द्रह हजार से अधिक कार्यक्रम और आयोजन शामिल हैं। नरेन्द्र मोदी ने ब्रह्मकुमारी की सात पहलों को हरी झंडी दिखाई। इन पहलों में मेरा भारत स्वस्थ भारत आत्म निर्भर भारत, आत्मनिर्भर किसान, महिलाएं, भारत की ध्वजवाहक, शांति बस अभियान की शक्ति, अनदेखा भारत साइकिल रैली, यूनाइटेड इंडिया मोटर बाइक अभियान और स्वच्छ भारत अभियान के तहत हरित पहल शामिल हैं।
मेरा भारत स्वस्थ भारत पहल में मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में विविध आयोजन और कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिनमें आध्यात्मिकता, कल्याण और पोषण पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में चिकित्सा शिविरों, कैंसर जांच, डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए सम्मेलनों के आयोजन आदि शामिल हैं। आत्मनिर्भर भारत मंे आत्मनिर्भर किसानों के तहत पचहत्तर किसान सशक्तिकरण अभियान पचहत्तर किसान सम्मेलन, पचहत्तर सतत यौगिक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम और किसानों के कल्याण के लिए ऐसी ही अनेक पहलों का आयोजन किया जाएगा। महिलाएंः भारत की ध्वजवाहक के तहत, महिला सशक्तिकरण और बालिका सशक्तिकरण के माध्यम से सामाजिक बदलाव पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।शान्ति बस अभियान की शक्ति में पचहत्तर शहरों और तहसीलों को शामिल किया जाएगा। आज के युवा के सकारात्मक बदलाव के बारे में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। विरासत और पर्यावरण के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए अनदेखा भारत साइकिल रैली का विभिन्न विरासत स्थलों पर आयोजन किया जाएगा। यूनाइटेड इंडिया मोटर बाइक अभियान माउंट आबू से दिल्ली तक आयोजित किया जाएगा और इसके तहत कई शहरों को शामिल किया जाएगा। स्वच्छ भारत अभियान के तहत पहल में मासिक स्वच्छता अभियान, सामुदायिक सफाई कार्यक्रम और जागरूकता अभियान शामिल किए जाएंगे।
इस कार्यक्रम के दौरान, ग्रैमी अवार्ड विजेता रिकी केज द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित एक गीत भी जारी किया गया। ब्रह्म कुमारी एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक संगठन है। इसमें व्यक्तिगत सुधार और मानव कल्याण को महत्व दिया गया।
केवल अधिकारों के प्रति सजग रहना अनुचित है। अधिकारों के दूसरे पहलू में कर्तव्य होते है। इनके प्रति भी उसी प्रकार का बोध होना चाहिये। शक्तिशाली समाज व देश के लिए सभी लोगों का कर्तव्य पालन आवश्यक होता है। कर्तव्यों को प्राथमिकता ना मिलने से देश व समाज का नुकसान हुआ है। मात्र अधिकार बल देने से समाज में कमजोरी आई है। उसे पच्चीस वर्षों में कर्तव्यों की साधना करके पूरा कर सकते हैं।
राजनीति में वैचारिक मतभेद हो सकते है। लेकिन राष्ट्रीय हितों पर आम सहमति दिखनी चाहिए। भारत में कुछ लोग ऐसे विषयों पर भी राजनीति करते है। उनका यह कार्य देश हित में नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोगों को हतोत्साहित करना चाहिए। दुनिया में भारत की छवि को बेहतर बनाना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। आजादी के अमृत महोत्सव द्वारा यह कार्य सम्पादित हो रहा है। सामाजिक आध्यात्मिक संस्थाओं को दूसरे देशों के लोगों तक भारत की सही बात को पहुंचाना चाहिए। भारत के बारे में फैल रही अफवाहों की सच्चाई उन्हें बताकर अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को अपने दिल में कर्तव्य का दीया जलाना चाहिए। इससे देश आगे बढ़ेगा। समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी। ऐसी व्यवस्था कायम करने का प्रयास चल रहा है,जिसमें भेदभाव की जगह समानता होगी। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है,उसे दुबारा प्राप्त करने की दिशा में बढ़ना है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा,देवी के रूप में करता था। हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं। कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश अनेक महान नारियां हुईं। अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है। उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं। कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहिल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी। आजादी के अमृत महोत्सव ने अवसर उपलब्ध कराया है। हमको अपनी महान विरासत से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है। देश के प्रति संकल्पबद्ध होकर कार्य करना है। (हिफी)
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