खटीमा से ही धामी लड़ेंगे चुनाव
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी खटीमा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी के कुछ नेताओं मंे नाराजगी जरूर है लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस भी इस बीमारी से अछूता नहीं रहा। उसके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ही बगावत करने वालों मंे शामिल हो गये। चुनाव मंे सबसे ज्यादा चिंता कोरोना की है। गत 14 जनवरी को ही कोविड से राज्य मंे तीन मौतें हो गयीं और पाॅजीटिवटी रेट 11 दशमलव 48 तक पहुंच गया था। पौड़ी मंे 30 जवानों को चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना पाॅजिटिव पाया गया। राज्य मंे 14 फरवरी को 70 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। विधानसभा चुनाव मंे इस बार आम आदमी पार्टी ने भी जोर शोर से इंट्री मारी है। राज्य के 81 लाख 43 हजार 922 मतदाता कोरोना नियमों का पालन करते हुए मतदान करेंगे। ऊधम सिंह नगर की खटीमा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उनको अनुभवहीन समझने की भूल न की जाए। वे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत से भी बेहतर तालमेल बनाए हुए हैं।
उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी दौरे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वह ऊधमसिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से ही मैदान में उतरेंगे। इसके साथ धामी ने विपक्ष से पूछा है कि वह अपना चेहरा बताएं। वहीं, उन्होंने उत्तराखंड कांग्रेस कैम्पेन कमेटी के चेयरमैन और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका 2017 में दो सीटों पर चुनाव लड़ने का अनुभव धरा रह गया था। लिहाजा कांग्रेस मुझे अनुभवहीन समझने की भूल न करे।
यही नहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी इन दिनों चुनावी मूड में दिख रहे है। वहीं, उन्होंने विपक्ष से सवाल पूछा कि बीजेपी के पास उनके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा है, लेकिन विपक्ष बताए विधानसभा चुनाव में उनका चेहरा कौन है। वह किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वैसे खटीमा से धामी के खिलाफ कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भुवन कापड़ी का मैदान में उतरना लगभग तय है, जबकि यहां से आम आदमी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एसएस कलेर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन पार्टी ने किसी के नाम की घोषणा नहीं की है। ऊधमसिंह नगर जिले में खटीमा समेत नौ विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से फिलहाल सात पर भाजपा का कब्जा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने लगातार तीसरी बार खटीमा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की है। वह इससे पहले 2012 और 2017 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। खटीमा विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1,19,980 है और यह जिले का सबसे कम मतदाताओं वाला क्षेत्र है। बता दें कि 14 फरवरी को उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। कुल 70 विधानसभा सीटों पर होने वाले इस चुनाव के लिए इस बार आम आदमी पार्टी ने भी ताल ठोकी है। उत्तराखंड में कुल 81 लाख 43 हजार 922 वोटर्स हैं, जिनके वोट को लेकर भाजपा और कांग्रेस इस चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टियां हैं। प्रदेश में चुनाव कोरोना नियमों का पालन करते हुए सम्पन्न कराएं जाएंगे। चुनाव आयोग ने कोरोना को लेकर खास दिशा निर्देश जारी किए हैं।
उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर किसे टिकट दिया जाए? इसके लिए बीजेपी के कोर ग्रुप की मीटिंग हो चुकी है। हर सीट से 3 दावेदारों का पैनल बनाकर रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव समिति को भेजी जाएगी, जहां से प्रत्याशी के नाम पर फाइनल मुहर लगेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट 16 से 18 जनवरी के बीच जारी कर सकती है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मौजूदा उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के चुनाव व विधानसभा सीट को लेकर सस्पेंस बढ़ गया है।
पुष्कर सिंह धामी का खटीमा विधानसभा सीट से इस बार भी चुनाव लड़ना जहां तय माना जा रहा था, वहीं भाजपा सरकार के इस कार्यकाल में सबसे ज्यादा करीब चार साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव पर सस्पेंस बन गया है। रावत डोईवाला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां से वह तीन बार 2002, 2007 और 2017 का चुनाव जीते लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के सामने रावत को इस बार टिकट दिए जाने को लेकर असमंजस है क्योंकि उन्हें बीच कार्यकाल में ही सीएम पद से हटाया गया था। यही नहीं, रावत के कई फैसले धामी और तीरथ सिंह सरकार में बदले भी गए थे।
इस सवाल के जवाब में भी अभी अटकलबाजी ही हो रही है, लेकिन माना जा रहा है कि हरक सिंह की असंतुष्टि मोल लेने का जोखिम भाजपा नहीं उठाएगी। वास्तव में, हरक अपनी बहू अनुकृति के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं और पहले एक बयान दे चुके हैं कि वह खुद चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं रखते। दूसरी खबर यह भी रही कि वह अपनी कोटद्वार सीट छोड़कर किसी और सीट से चुनाव लड़ने के बारे में रणनीति बना रहे हैं। कुल मिलाकर भाजपा के सामने ‘एक परिवार एक टिकट’ जैसी नीति तय करने की बड़ी चुनौती है। इधर, लैंसडाउन से बीजेपी विधायक दिलीप सिंह रावत ने यह कहकर सबको चैंका दिया कि भाजपा ही उनकी पार्टी है और उनके पास जैसे एक पत्नी का दूसरा विकल्प नहीं है, वैसे ही अपनी पार्टी और सीट का भी कोई विकल्प नहीं है। वास्तव में, इस सीट पर भी हरक सिंह और उनके परिवार को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। इसके साथ ही, अन्य दावेदार भी यहां से टिकट के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक चर्चा यह भी है कि इस बार सरकार विरोधी लहर को काबू में करने के लिए भाजपा अपने 57 विधायकों में से एक दर्जन से ज्यादा के टिकट छीनने वाली है। एक भाजपा नेता के हवाले से कहा गया है कि जिस तरह मुख्यमंत्री बदलकर पार्टी ने छवि बदली, उसी तरह इस फैसले से भी वोटरों के बीच पार्टी का एक अलग संदेश जाएगा। हालात कांग्रेस के भी इसी कारण है। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव शुरू होते ही कांग्रेस मंे गहमा-गहमी तेज हो गई। इस बीच कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पर कार्रवाई की गई है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सभी पदों से हटा दिया है। उनको लेकर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी नेताओं के संपर्क में होने की चर्चाएं चल रही थीं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच भी कई तरह के मतभेद चल रहे थे। उनकी गतिविधियों को देखते हुए कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को चुनाव संबंधित समितियों समेत सभी पदों से हटा दिया गया है। इस संबंध में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने आदेश जारी कर दिया है। इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस के भीतर हलचल तेज हो गई है। संगठन की ओर से भी पार्टी के प्रति निष्ठा से काम न करने वालों को सचेत कर दिया गया है। किशोर उपाध्याय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और भाजपा के नेताओं से मुलाकात का आरोप लगा है। कांग्रेस ने इसे पार्टी के खिलाफ मुहिम मानते हुए कार्रवाई की है। आरोप है कि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के रात के अंधेरे में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री और चुनाव प्रभारी से मुलाकात की थी। इससे कांग्रेस के भीतर बहस शुरू हो गई थी। (हिफी)
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