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जनतंत्र में जन को सम्मान

जनतंत्र में जन को सम्मान
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

प्रजातंत्र में जनता ही सबसे प्रमुख होती है। जनता ही प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा और संसद में भेजती है। इसलिए शासन और प्रशासन को इस बात की मुकम्मल व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके। कई कारण होते हैं जिनके चलते मतदान से वंचित रह जाते हैं। इसबार पांच राज्यों में होने जा रहे चुनाव में कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए मतदाताओं को कई सुविधाएं प्रदान की गयी हैं। उत्तराखंड में चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए विशेष तौर से तैयारियां की जा रही हैं। राज्य के बर्फीले और दुर्गम क्षेत्र के लोग भी आसानी से वोट डाल सकें, इसके लिए भी काफी सराहनीय कदम उठाए गए हैं। उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्र में रहने वाले मजदूरों को वोट डालने के लिए हेलीकॉप्टर की सुविधा दी जा रही है। ये मजदूर पहली बार हेलीकॉप्टर से वोट डालने जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीआरओ की इसके लिए सराहना की जानी चाहिए । बता दें कि भारत-चीन सीमा पर बन रही सड़कों में काम कर रहे करीब सौ मजदूरों को भारी बर्फबारी के चलते बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ये सुविधा देगा। बीआरओ के अफसरों का कहना है कि उनकी कोशिश हर श्रमिक को मतदान केंद्र तक पहुंचाने की है। पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में 3400 मीटर की ऊंचाई पर मिलम-लास्पा में बड़ी संख्या में श्रमिक भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़क के निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं। मुनस्यारी से करीब 54 किमी दूर लास्पा में 6 फीट से अधिक हिमपात हुआ है। मतदान की तारीख तक भी बर्फ से ढके पैदल मार्गों के खुलने के कोई आसार नहीं हैं। बताया जा रहा है कि 15 से 31 किलोमीटर तक रास्तों में कई जगह बर्फ जमी है। ऐसे में पैदल आवाजाही मुश्किल है। इन हालातों को देखते हुए बीआरओ ने अपने श्रमिकों को हेलीकॉप्टर से मतदान केंद्रों तक पहुंचाने का फैसला लिया है। इससे स्थानीय लोगों में काफी खुशी का माहौल है। उत्तरकाशी में बीआरओ के मेजर वीएस वीनू ने बताया कि अधिकांश रूट खुले हैं। आवाजाही की दिक्कत नहीं है. यदि किसी श्रमिक को वोटिंग के लिए अवकाश की जरूरत होगी, तो उसे अवश्य छुट्टी दी जाएगी।

गौरतलब है कि 14 फरवरी को उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। कुल 70 विधानसभा सीटों पर होने वाले इस चुनाव के लिए इस बार आम आदमी पार्टी ने भी ताल ठोकी है। उत्तराखंड में कुल 81 लाख 43 हजार 922 वोटर्स हैं, जिनके वोट को लेकर भाजपा और कांग्रेस इस चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टियां हैं। प्रदेश में चुनाव कोरोना नियमों का पालन करते हुए सम्पन्न कराए जाएंगे। चुनाव आयोग ने कोरोना को लेकर खास दिशा निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश के दोनों प्रमुख दल उठापटक से जूझ रहे हैं । आरोपों का दौर भी शुरू हो गया है।कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने उत्तराखंड की बीजेपी सरकार पर आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा है कि आचार संहिता लगने के बाद भी बैक डेट में ट्रांसफर किए जा रहे हैं। उन्होंने इसमें आरएसएस के लोगों के भी शामिल होने का आरोप लगाया है।हरीश रावत के इस आरोप के बाद सियासी पारा गर्म हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी इसको लेकर आमने सामने आ गए हैं।आचार संहिता लागू होने के बाद गंभीर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा- ‘मैं इलेक्शन कमीशन उत्तराखंड के संज्ञान में लाना चाहता हूंँ, ये उत्तराखंड सचिवालय में क्या हो रहा है? आचार संहिता लगने के बाद भी बैक डेट में ट्रांसफर्स हो रहे हैं। प्रवक्ताओं और शिक्षकों के पदों पर बड़ी मात्रा में आर एस एस से जुड़े हुए लोगों के ट्रांसफर्स हुये हैं।’कांग्रेस नेता हरीश ने लिखा- ‘चहेतों के ट्रांसफर्स हो रहे हैं। एक विभाग नहीं, न जाने और कितने विभागों में ऐसा हो रहा हैं। हरीश रावत के इस आरोप के बाद उत्तराखंड में बीजेपी सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी को कांग्रेस सीधे निशाने पर ले रही है। कांग्रेस ने इसको लेकर चुनाव आयोग से कार्रवाई करने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करना कानूनी रूप से गलत है और इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए। विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होते ही राजनीतिक गहमा गहमी तेज हो गई। इस बीच कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पर कार्रवाई की गई है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सभी पदों से हटा दिया है। उनको लेकर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी नेताओं के संपर्क में होने की चर्चाएं चल रही थीं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच भी कई तरह के मतभेद चल रहे थे। उनकी गतिविधियों को देखते हुए कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को चुनाव संबंधित समितियों समेत सभी पदों से हटा दिया है। इस संबंध में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने आदेश जारी कर दिया है। इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस के भीतर हलचल तेज हो गई है। संगठन की ओर से भी पार्टी के प्रति निष्ठा से काम न करने वालों को सचेत कर दिया गया

किषोर उपाध्घ्याय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और भाजपा के नेताओं से मुलाकात का आरोप लगा है। कांग्रेस ने इसे पार्टी के खिलाफ मुहिम मानते हुए कार्रवाई की है। आरोप है कि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के रात के अंधेरे में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री और चुनाव प्रभारी से मुलाकात की थी। इससे कांग्रेस के भीतर बहस शुरू हो गई थी।

इस तरह की हलचलें भाजपा में भी सुनाई पड़ी हैं। सूत्रों के हवाले से खबर आयी है कि लैंसडौन से बीजेपी विधायक दिलीप रावत कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. बताया जा रहा है कि विधायक दिलीप रावत बीजेपी से खासे नाराज हैं. चर्चा है कि पार्टी दिलीप रावत को कोटद्वार से चुनाव लड़ने के लिए कह रही है, क्योंकि लैंसडौन सीट से मंत्री हरक सिंह रावत अपनी बहू को या फिर खुद चुनाव लड़ाना चाहते हैं। यही कारण था कि पार्टी एक ओर जहां 12 जनवरी को पूर्व विधायकों, जिलाध्यक्षों, पूर्व जिलाध्यक्षों से राय शुमारी कर रही थी, वहीं दिलीप रावत समेत चार विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए थे। माना जा रहा है कि ये सभी विधायक टिकट कटने की आशंका से नाराज चल रहे हैं। शाम को दिल्ली से देहरादून लौटे विधायक दिलीप रावत का कहना था कि पार्टी को मूल कार्यकर्ताओं का ध्यान रखना चाहिए। पार्टी में बाहर से आए कुछ लोग अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। उसी दिन उन्होंने कांग्रेस के बड़े नेताओं से मुलाकात भी की थी। हरीश रावत से भी उनकी मुलाकात हुई । ऐसे में कांग्रेस के पास लैंसडाउन से लड़ने के लिए एक मजबूत चेहरा दिलीप रावत के रूप में मिल जाएगा। वास्तविकता तो यह है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में भी गुटबाजी सतह पर आ गई थी। भाजपा विधायक दिलीप रावत ने पिछले तीन दिनों में अपनी ही सरकार के वन एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ दूसरी बार लेटर बम फोड़कर पार्टी में हलचल मचा दी थी। लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को गत 28 दिसंबर को पत्र भेजकर वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठाई थी। अब टिकट पक्का करने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। (हिफी)
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