परिवहन सुविधा में बेहतरी
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
इस नये वर्ष (2022) में उत्तर प्रदेश की सरकार ने मेरठ में जिन इलेक्ट्रानिक बसों का लोकार्पण किया है, उससे सड़क परिवहन सुविधा बेहतर होगी। यह चुनावी साल है और सरकार ही नहीं विपक्षी पार्टियां भी तरह-तरह के वादे कर रहे हैं, आश्वासन दे रहे हैं लेकिन जनसामान्य को सुविधा की बात कम ही की जाती है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बस सेवा में बेहतर कदम उठाया है। परिवार सहित यात्रा करने से बसों की तरफ देखना लोगों ने छोड़ दिया था लेकिन किराया कम, सुविधाओं में दम का लक्ष्य तय कर योगी सरकार ने अपनी कथनी को करनी में बदल दिया है। सरकार ने परिवहन निगम में कई महत्वपूर्ण सुधार भी किये हैं। महिलाओं के लिए पिंक बसें चलायी गयीं। परिवहन निगम की सभी साढ़े 11 हजार बसों में पैनिक बटन लगाए जा रहे हैं और ड्राइवरों की बड़े पैमाने पर भर्ती की जा रही है। सुखद यह कि ड्राइवरों में महिलाओं को भी स्थान मिल रहा है। बसों में जीपीएस भी लग रहे हैं। उम्मीद की जाती है कि शहर को अब प्रदूषण फैलाने वाली बसों से निजात मिल जाएगी। खटारा और पुरानी बसों से अब निजात मिल रही है। दरअसल नए साल में मेरठ शहर में नई हाईटेक बसें शुरू की गई हैं। मेरठवासियों को पचास बैटरी ऑपरेटेड बसों का गिफ्ट मिला है।
जीपीएस और आईटीएमएस यानी इंटेलिजेंस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से लैस इन एसी बसों की खासियत ये है कि इसका किराया ई रिक्शा का होगा और सुविधाएं बिलकुल वॉल्वो जैसी। किराया लिस्ट के मुताबिक तीन किलोमीटर तक का सफर इस एसी इलेक्ट्रिक बस में मात्र दस रुपए में किया जा सकेगा। तीन से छह किलोमीटर का सफर 15 रुपए। छह से दस किलोमीटर का सफर बीस रुपए। 10 से 14 किलोमीटर का सफर 25 रुपए। 14 से 19 किलोमीटर का सफर 30 रुपए। 19 से 24 किलोमीटर का सफर 35 रुपए। 24 से 30 किलोमीटर का सफर 40 रुपए। 30 से 36 किलोमीटर का सफर 45 रुपए और 36 से 42 किलोमीटर का सफर 50 रुपए में किया जा सकेगा। बस के अंदर कई तरह की हाईटेक सुविधाओं को जोड़ा गया ताकि यात्रियों को आरामदायक महसूस हो सके। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था का भी
ध्यान रखा गया है। बस के अंदर कैमरा और पैनिक बटन की सुविधा के साथ कंट्रोल रूम से हर गतिविधि मॉनिटर की जाएगी। एक हफ्ते के अंदर मेरठ में 50 हाईटेक बसें चलेंगी। प्रदेश भर में विस्तार होगा।
रोडवेज के आरएम के के शर्मा का कहना है बसों को इतना शानदार बनाया गया है कि लोग कार छोड़कर इससे सफर करना पसंद करेंगे। बस के सस्पेंशन हवा से निर्धारित होते हैं और गाड़ी में पांच कैमरे लगे हुए हैं। गाड़ी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से लैस है। आने वाले स्टॉप के पहले ही एनाउंसमेंट हो जाएगा कि कौन सा चैराहा आने वाला है। कंट्रोल रूम के जरिए गाड़ी 24 घंटे ट्रैक की जा सकेगी। अगर ड्राइवर सही से बस नहीं चला रहा है तो इसकी जानकारी भी कंट्रोल रूम को मिल जाएगी। मेरठ में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर बस सेवा का शुभारंभ किया। गाजियाबाद में शुरुआत में 15 बसें चलेंगी, जिन्हें चार मार्गों पर चलाया जाएगा। बसों के लिए ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों को पूरा करने के लिए यूपीएसआरटीसी 12 चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने वाला है। बताया गया कि ये बसें एक ट्रिप में 88 किमी यात्रा करेंगी। इनमें सफर करने वाले लोगों को न्यूनतम 10 रुपये और अधिकतम 40 रुपये किराया देना होगा। बता दें कि प्रदेश में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार प्रमुख शहरों में इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए लखनऊ, कानपुर, आगरा, मथुरा, प्रयागराज, मेरठ, बरेली, सहारनपुर, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, अलीगढ़, गाजियाबाद और झांसी जिले को चिह्नित किया गया है, जहां डीजल बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक बसों को चलाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में 200 से ज्यादा ड्राइवरों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ है। इसके लिए उम्मीदवारों को 8वीं पास होना अनिवार्य है। गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार रिक्त पदों को भरने में जुट गई है। बता दें कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम प्रयागराज रीजन में संविदा पर ड्राइवरों की भर्ती करने जा रही है। नोटिफिकेशन के मुताबिक 200 से ज्यादा पदों पर भर्ती होने वाली है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया की शुरूआत हो गई है।
दरअसल प्रयागराज रीजन का प्रयाग डिपो, लीडर रोड डिपो, सिविल लाइंस डिपो, जीरो रोड डिपो के अलावा प्रतापगढ़ डिपो, मिर्जापुर डिपो, बादशाहपुर और लालगोपालगंज डिपो में आते हैं, जहां पर ड्राइवरों की कमी बताई जा रही हैं, जिसका असर सीधा परिचालन पर पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश रोडवेज बसों को अब महिलाएं भी सड़कों पर दौड़ाएंगी। इसी कड़ी में महिला बस चालकों की संविदा पर भर्ती शुरू होने जा रही है। इसके लिए क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय ने विज्ञापन जारी कर दिया है। महिलाएं इसके लिए परिवहन निगम क्षेत्रीय कार्यालय में आवेदन कर सकती हैं। इसके लिए कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता नहीं होगी।
परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव बोस ने बताया कि जिनके पास कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, उन्हें कानपुर में बस चलाने की ट्रेनिंग दिलवाकर उनका डीएल बनवाया जाएगा। लखनऊ परिक्षेत्र में पहले चरण में 35 संविदा महिला बस चालकों की भर्ती होगी। लखनऊ आरटीओ कार्यालय से अभी तक 15 महिलाओं के नाम से व्यवसायिक ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया है। ऐसे में बस ड्राइवर बनने की इच्छुक महिलाओं का डीएल आवेदन रोडवेज की ओर से किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम जीपीएस सुविधा से लैस की जाएंगी। राज्य सड़क परिवहन निगम अपनी साढ़े 11 हजार बसों में जीपीएस और पैनिक बटन लगाएगा, जिससे यात्रियों की यात्रा सुरक्षित हो सके। निगम ने ये निर्णय लिया है कि सभी बसों में जीपीएस और पैनिक पर्यटन की व्यवस्था की जाए जिससे कि बेहतर सेवाएं लोगों को मिल पाएं। ऐसे में ये फैसला पैसेंजरों की सेफ्टी के लिए अच्छा कदम है।
बीते दिन ही प्रदेश में निर्भया फंड से आई पिंक बसों में पैनिक बटन की सुविधा दी गई थी, जिससे कि यात्रा के दौरान महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए सहायता की जरूरत पड़े तो पिंक बसों के पैनिक बटन दबा सकें। ऐसे में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की सभी 11,500 बसों में जल्द ही पैनिक बटन लगाए जाएंगे। इससे यात्रा के दौरान अगर किसी भी यात्री को किसी तरह की समस्या होती है तो पैनिक बटन प्रेस करते ही उसे सहायता उपलब्ध हो जाएगी। अभी तक महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्भया फंड से 50 पिंक बसों में ही पैनिक बटन लगाए गए हैं। इन पैनिक बटन का फायदा यह होगा कि यात्री को अगर किसी तरह की सुरक्षा की दिक्कत होती है तो इसे दबाते ही कंट्रोल रूम को सूचना हो जाएगी। तत्काल मौके पर पुलिस पहुंचेगी और परिवहन विभाग के अधिकारी भी पहुंचेंगे। सभी बसों में पैनिक बटन और जीपीएस लगाने के लिए 51 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली। अभी तक रोडवेज की जिन बसों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस लगी है उसके कोई मायने नहीं रह गए हैं। रोडवेज के अधिकारी बताते हैं कि ट्राईमैक्स कंपनी ने सभी बसों में बीटीएस डिवाइस लगाई थी, लेकिन अब कंपनी का ठेका खत्म हो चुका है और यह तकरीबन सात साल पुरानी हो चुकी हैं इसलिए काम नहीं कर रही हैं, लिहाजा अब अच्छी क्वालिटी की डिवाइस लगाई जाएगी। (हिफी)
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