अपने सुभाष
प्रबल पौरुष प्रखरतम संकल्प साधक थे सुभाष
शत्रुओंं के कुचक्रों के कठिन वाधक थे सुभाष!!
देश की गरिमा समेटे स्पष्ट नीति बता गये
राष्ट्र को संग्राम की साफल्य- रीति बता गये!!
लोलुपों की कुटिलता के धब्दभेदी बाण थे
देशभक्ति समुच्चता के दृढप्रतिज्ञ प्रमाण थे!!
सर्वप्रथम जला गये स्वातंत्र्यदीप विशेष जो
ध्वज तिरंग लिए हुए इतरा रहा है देश जो!!
नहीं था जिनके लिए कुछ भी अप्राप्य असाध्य सा
हर कला ते थे निपुण हर मार्ग सुगम अवाध्य था!!
देश की धरती न केवल आसमा भी मग्न था
फिरंगी का लोभ शासन क्रांति सम्मुख नग्न था!!
विदेशो के नीतिकारो ने दिया सम्मान है
राजनीतिक हलचलों मेंउठा गौरव गान है!!
फौज अपनी आज भी उस नीव पर है गरजती
शत्रुओं की भीड़ पर बादृल सरीखी बश्रसयी!!
नमन शत शत उस महा योद्धा सपूत सुमास को
जगाकर जो सो गया प्रच्छन्न दिव्य प्रकाश को!!
डा रामकृष्णहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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