यूपी में क्या उथल-पुथल मचाएगा बहुगुणा परिवार?
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
- उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड तक रहा है दबदबा
- बेटे को कैण्ट से टिकट न मिलने से नाराजगी
उत्तर प्रदेश की राजधानी में कैंट विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा चर्चा का विषय बन गयी है। इस सीट से भाजपा ने सीटिंग विधायक सुरेश तिवारी का टिकट काटकर ब्रजेश पाठक को प्रत्याशी बनाया। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंची रीता बहुगुणा जोशी कभी यहीं से विधायक हुआ करती थीं। अब वे अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट मांग रही हैं लेकिन भाजपा ने टिकट नहीं दिया। राज्य में भाजपा की प्रबल प्रतिद्वन्द्वी सपा ने कैंट से राजू गांधी को प्रत्याशी घोषित किया है लेकिन अंदरखाने से खबर मिल रही है कि सपा यहां से मयंक जोशी को टिकट दे सकती है। बहुगुणा परिवार उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखण्ड तक सत्ता का प्रमुख अंग रहा है। रीता बहुगुणा जोशी ने अपने पिता हेमवती नंदन बहुगुणा से राजनीति सीखी जो उत्तर प्रदेश के कद्दावर मुख्यमंत्री रहे थे। हेमवती नंदन बहुगुणा 1952 में विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद वह 1977 तक लगातार विधानसभा चुनाव जीते। रीता बहुगुणा की मां भी राजनीति में सक्रिय रहीं। इमर्जेंसी के बाद बदले हालात में वह जनता पार्टी के टिकट पर फूलपुर से सांसद बनी थीं। रीता के भाई विजय बहुगुणा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में सियासी घमासान के बीच अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी राजधानी की लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर बड़ा गेम प्लान कर सकती है। लखनऊ कैंट सीट पर समाजवादी पार्टी ने भले ही उम्मीदवार का ऐलान कर दिया हो, मगर अभी इस सीट पर भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी को उतारने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। इसके संकेत इस वजह से भी मिले हैं, क्योंकि पार्टी ने पहले जो नाम तय किया था, उसे होल्ड पर रख दिया है।
दरअसल, समाजवादी पार्टी ने लखनऊ कैंट से उम्मीदवार के तौर पर राजू गांधी के नाम का ऐलान किया है। मगर सूत्र बता रहे हैं कि अभी तक उन्हें समाजवादी पार्टी की ओर से फॉर्म नहीं दिया गया है। अगर मयंक जोशी समाजवादी पार्टी ज्वाइन करते हैं तो मुकाबले को दिलचस्प बनाने के लिए उन्हें राजू गांधी के बदले लखनऊ कैंट सीट से उतारा जा सकता है। भाजपा ने लखनऊ कैंट सीट से राज्य के कानून मंत्री बृजेश पाठक को उतारा है। भाजपा सांसद रीता बहुगुना जोशी शुरू से ही अपने बेटे मयंक के लिए लखनऊ कैंट से सीट की मांग करती रही हैं, मगर भाजपा ने यहां से
टिकट नहीं दिया। रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था कि अगर पार्टी मयंक जोशी को लखनऊ कैंट सीट से टिकट देती है तो वह सांसद के पद से इस्तीफा दे देंगी। इसके लिए उन्होंने जेपी नड्डा को खत भी लिखा था।
खबर थी कि लखनऊ कैंट सीट से भाजपा या तो रीता बहुगुना जोशी के बेटे मयंक जोशी या फिर मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को टिकट दे सकती है, मगर पार्टी ने दोनों में से किसी को भी टिकट नहीं दिया।
उल्लेखनीय है कि हेमवंती नंदन बहुगुणा ने इमरजेंसी के बाद बदले हालात में कांग्रेस से बगावत कर दी थी और बाबू जगजीवन राम के साथ मिलकर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी पार्टी बना ली थी। इस पार्टी का बाद में जनता दल में विलय हो गया था। इसके बाद वह चैधरी चरण सिंह की सरकार में देश के वित्तमंत्री बने। एक बार फिर वह कांग्रेस में शामिल हुए। वह 1984 का लोकसभा चुनाव लोकदल से लड़े थे, जिसमें अमिताभ बच्चन ने उन्हें शिकस्त दी थी। ऐसे ही विजय बहुगुणा को भी कांग्रेस ने सीएम बनाया था लेकिन, साल 2016 में उन्होंने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। बाद में रीता ने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली। अब ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि रीता के बेटे मयंक समाजवादी पार्टी के संपर्क में हैं और विधानसभा की सीट के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। रीता बहुगुणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पूरे प्रदेश में टिकट बांटती थीं, आज वह अपने बेटे के लिए एक विधानसभा की सीट के लिए संघर्ष कर रही हैं।
बहुगुणा परिवार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का एक ‘पॉवर सेंटर’ रहा है। इस परिवार से यूपी और उत्तराखंड को मुख्यमंत्री मिला। सांसद, विधायक, मेयर मिले। केंद्र और प्रदेश में मंत्री मिले। प्रदेश अध्यक्ष मिले।
रीता बहुगुणा के बेटे मयंक जोशी का शुरुआती परिचय एक बीजेपी कार्यकर्ता का है। उनका दावा है कि वह पिछले 12 साल से सामाजिक कार्य में लगे हुए हैं। साल 2017 से बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे हैं लेकिन, एक पार्टी कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिलना बड़ा मामला नहीं है, बल्कि वह पार्टी कार्यकर्ता इलाहाबाद से बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी का बेटा है और उस स्थिति में भी टिकट मिलता नहीं दिख रहा है, जिसमें रीता बहुगुणा ने कह दिया कि एक परिवार से एक टिकट की व्यवस्था है तो वह अपनी लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगी, लेकिन मयंक को टिकट मिल जाए। इसके बाद भी उन्हें निराशा मिली है। रीता बहुगुणा जोशी के परिवार का एक समृद्ध राजनैतिक इतिहास रहा है। रीता बहुगुणा खुद कांग्रेस की यूपी अध्यक्ष रही हैं। महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही हैं। इलाहाबाद की मेयर रही हैं और खास बात है कि उनका कार्यकाल इतना शानदार रहा था कि उन्हें दक्षिण एशिया का सबसे बेहतरीन मेयर चुना गया था। वह महिलाओं के मुद्दे पर काफी मुखर रही हैं। वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रही हैं और दो किताबें भी लिख चुकी हैं। रीता ने साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस से किनारा कर लिया था और भाजपा ज्वाइन कर ली थीं। बीजेपी में जाने के बाद भी रीता बहुगुणा जोशी का पॉलिटिकल ग्राफ बढ़ता ही गया। पहले उन्हें लखनऊ कैंट से टिकट मिला, जहां उन्होंने सपा की अपर्णा यादव को करारी शिकस्त दी। इसके बाद वह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें इलाहाबाद से मैदान में उतारा और यहां भी उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई। (हिफी)
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