मातृभूमि और मातृभाषा
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र"अणु"
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जब कभी
मेरी मां को लगता
ये इसे समझाना चाहिए
जीवन बोध कराना चाहिए
तब वो मुझे
अपनी गोद में उठाती
खुब इठलाती और दुलराती
फिर अपनी गीत सुनाती
मैं हो जाता आनंद विभोर
पाकर मां का आंचल अछोर
मैं उसे सुनता
और अपनी भी सुनाता
उसी के भाव में
अपनी भावना के साथ
वो मुझे समझती
मैं उसे समझता
वो साथ में खेलती
और मैं गाता
मुझे उसने सीखा दी
अपनी भावना,संवेदना,आशा
शब्द,अर्थ,भाव और भाषा
मां जैसी प्यारी है मेरी मातृ भाषा
मुझे जान से भी प्यारी है
अपनी मातृभूमि और मातृभाषा
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वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२
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