Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

औरंगाबाद के दिनकर के नाम से सुख्यात मिथिलेश मधुकर का निधन, एक अपूरणीय क्षति

औरंगाबाद के दिनकर के नाम से सुख्यात मिथिलेश मधुकर का निधन, एक अपूरणीय क्षति

औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन तथा समकालीन जवाबदेही परिवार के तत्वावधान में हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि, कविता के प्राण, बोधिसत्त्व और स्वयमेव जैसी चर्चित काव्य-पुस्तकों के रचयिता, शब्द के चितेरे के संपादक,जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री कविवर मिथिलेश मधुकर जी के निधन पर औरंगाबाद स्थित होटल शुभम इंटरनेशनल में बुधवार को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सभा की अध्यक्षता डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह और संचालन धनंजय जयपुरी ने किया। उपस्थित साहित्यानुरागी एवं हिंदी प्रेमी सुधी जन ने कवि श्रेष्ठ मधुकर जी के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके निधन को साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया।अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि चर्चित कवि मधुकर जी ने औरंगाबाद में जो साहित्य सृजन की मशाल जलाई है, उस मशाल में अपनी रचनाओं का घी, तेल डालना और साहित्य सृजन करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। डॉक्टर सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने प्रस्ताव लाया की मधुकर जी के स्मृति में काव्य में श्रेष्ठ योगदान करने वाले रचनाकारों को पुरस्कृत करने की एक योजना बनाई जाए। शिव नारायण सिंह ने कहा कि मधुकर जी औरंगाबाद के दिनकर थे और जिंदादिल इंसान थे। हमें प्रति वर्ष उनकी पुण्यतिथि पर काव्य गोष्ठी आयोजित करनी चाहिए। डॉ महेंद्र पांडेय ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के सौजन्य से मधुकर जी की एक प्रतिमा लगाई जानी चाहिए।भैरवनाथ पाठक ने कहा कि मधुकर जी ने औरंगाबाद में हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना कर उसे पुष्पित-पल्लवित किया। कुंडा हाउस के अनिल कुमार सिंह ने कहा कि मधुकर जी ने साहित्य के क्षेत्र में औरंगाबाद का नाम रोशन किया है। उन्होंने अपना सारा जीवन साहित्य-सेवा में लगा दिया। उनकी कई काव्य कृतियां अत्यंत ही श्रेष्ठ हैं। चंद्रशेखर प्रसाद साहू ने कहा कि कवि श्रेष्ठ मधुकर जी औरंगाबाद में साहित्य सृजन की एक संस्कृति चलाई थी। उन्होंने अपने प्रयासों से कई नवोदित रचनाकारों को साहित्य सृजन के लिए प्रोत्साहित किया और प्रेरित किया।प्रो रामाधार सिंह ने कहा कि मिथिलेश मधुकर अपनी कविताओं के माध्यम से हमारे बीच मधुकर की भांति हमेशा गुंजन करते रहेंगे।कार्यक्रम में डॉ हनुमान राम, सिद्धेश्वर विद्यार्थी, सुरेंद्र सिंह, सुषमा सिंह, अनुज पाठक, उज्ज्वल रंजन, बैजनाथ सिंह, राम भजन सिंह, शिवशंकर सिंह, चन्दन पाठक, पुरुषोत्तम पाठक, सुरेश विद्यार्थी, रामकिशोर सिंह, बीरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह, डॉ विनोद कुमार, महेश्वर सिंह, अनिल सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, चंदन कुमार, श्रीराम सिंह, डॉ संजीव रंजन, श्रीराम राय,सुषमा सिंह, लवकुश सिंह आदि ने दिवंगत मधुकर जी के प्रति शब्द श्रद्धांजलि अर्पित किया।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ