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भाषाओं की आकाशगंगा में सांस्कृतिक विरासत है

भाषाओं की आकाशगंगा में सांस्कृतिक विरासत है 

सत्येन्द्र कुमार पाठक
जहानाबाद । अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर सच्चिदानंद शिक्षा एवं समाज कल्याण संस्थान की ओर से आयोजित मातृभाषा संगोष्टी में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि मातृ , मातृभाषा , मातृभूमि और भाषाई , बहुभाषावाद सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा का अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है । 17 नवंबर 1999 को यूनेस्को द्वारा 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाने। की स्वीकृति दी गयी थी । बांग्लादेश के ढाका मेडिकल कैम्पस में स्थित शहीद मीनार स्मारक ,21 फरवरी 1952 पर बांग्ला भाषा के लिए बलिदान की स्मृति में मातृभाषा दिवस मनाया गया है । यूनेस्को द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलोन दिबॉश को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली। है । बांग्लादेश में सन 1952 से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में मातृभाषा दिवस राष्ट्रीय अवकाश होता है। अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने 2008 में अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया है। विश्व में 6900 भाषाओं में 3000 भाषाएं खतरे में है । भाषाओं की आकाशगंगा में हमारी सांस्कृतिक विरासत छिपी हुई है । हमारी भाषा हमारी मूल संपति है ।आन्दोलोन दिबॉश को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली। है । बांग्लादेश में सन 1952 से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में मातृभाषा दिवस राष्ट्रीय अवकाश होता है। अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने 2008 में अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया है। विश्व में 6900 भाषाओं में 3000 भाषाएं खतरे में है । भाषाओं की आकाशगंगा में हमारी सांस्कृतिक विरासत छिपी हुई है । हमारी भाषा हमारी मूल संपति है । विश्व में 6809 भाषाओं में भारत 121 की भाषाओं में 22 भाषाएं संवैधानिक मान्यता प्राप्त है । बिहार में मगही , भोजपुरी , मैथिली , वज्जिका तथा अंगिका भाषाएं विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाती है । भारत में सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी है । इस अवसर पर साहित्यकार व पी एन बी के सेवानिवृत अधिकारी सत्येन्द्र कुमार मिश्र , रामविनय सिंह , आशुकवि चितरंजन चैनपुरा , उर्वशी , प्रियंका आदि द्वारा मातृभाषा सामाजिक समन्वय का महत्वपूर्ण साधक पर व्याख्यान दिया गया है ।
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