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अमर बलिदान

अमर बलिदान

      --:भारतका एक ब्राह्मण.
        संजय कुमार मिश्र"अणु"
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पाले अपने मन में
देश सेवा का अनुराग
निकला था चंद्रशेखर
बुझाने गुलामी की आग
मदद मांगने पहुंचा था
जानकर लाल
उसने गद्दारी कर दी
दे गोरों.को इसका हाल
वो असहयोग पा
चला रहा था सायकिल
ये सोचते हुए कि
कैसा समय है मुश्किल
जब अपने हीं लोग
बन बैठे हैं गद्दार
कैसे होगा बलिदानियों का
स्वप्न साकार
यही सोचते हुए वह
निढाल बाग में बैठा था
अकेले घीरा देखकर
सांडर्स ऐंठा था
देख खुद को अकेला
चंद्रशेखर गरजकर बोला
तुम मुझे छु नहीं सकते हो
अभी दिखाता हूँ खेला
और चलने लगी गोलियां
गीरने लगी गोरों की टोलियां
तड-तड गोलियां के साथ
गुंजी वंदे मातरम की बोलियां
करते रहा अकेले मुकाबला
पर वो झुका नही
जब तक थी गोलियां
एक छन रुका नहीं
जब बची अंतिम गोली
बोल जय हिन्द जय भारत
खुद को गोली मार ली
पर बोला नहीं वचन कातर
आज मरकर भी है अमर
लोग कहते हैं आजाद चंद्रशेखर
आज भी रोता है देश
उसके अमर बलिदान देखकर
आज हीं के दिन
दिया था अपना बलिदान
आज उसे याद कर रहा है
श्रद्धा से सारा हिन्दुस्तान
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चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर शब्द श्रद्धांजली।
वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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