वर्तमान में ‘हिजाब’ का प्रकरण चर्चा में है । इसमें आतंकवाद की पृष्ठभूमिवाले विविध देशद्रोही मुसलमान संगठन, दल और साम्यवादी हैं । ‘पहले हिजाब-फिर किताब’ ऐसे भीतपत्रक महाराष्ट्र में मुसलमान दल और संगठनों ने लगाए हैं । इससे स्पष्ट होता है कि उन्हें पहले इस्लाम तत्पश्चात शिक्षा चाहिए । ‘हिजाब’ का निमित्त कर सर्वत्र ‘इस्लामीकरण’ करने का प्रयत्न रोकने के लिए हिन्दुआें को आगे आना चाहिए । आज विद्यालय की मुसलमान लडकियों को आगे कर मुसलमान संगठन लडकियों को पहले ‘हिजाब’ तत्पश्चात ‘बुरखा’ पहनकर आने के लिए कहेंगे । उसके उपरांत ये विद्यालयों में नमाजपठन और उसके लिए मस्जिदों की भी मांग करेंगे । विद्यालयों का यह संकटदायी षड्यंत्र निष्फल करना चाहिए और सर्व विद्यालयों में गणवेश का पालन अनिवार्य करना चाहिए, ऐसा आवाहन श्रीराम सेना के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘विद्यालयों में हिजाब का आग्रह क्यो ?’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोल रहे थे ।
कर्नाटक के प्रसिद्ध चलचित्र निर्माता और उद्योगपति श्री. प्रशांत संबरगी ने कहा कि, हिजाब का विषय केवल कर्नाटक तक मर्यादित नहीं है, अपितु यह पूर्वनियोजित अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है । किसानों का कथित आंदोलन, पुरस्कार वापसी के समान ही वर्तमान ‘हिजाब’ के संबंध में ट्वीटर पर लाखों ट्वीटस् (Tweets) कर उसमें पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान, नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला, पर्यावरणवादी ग्रेटा थनबर्ग सहित गणवेश और समानता का अर्थ न समझनेवाली कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी का सम्मिलित होना स्पष्ट करता है कि यह ‘अंतरराष्ट्रीय ऐजेंडा’ है । संपूर्ण संसार में अनेक इस्लामी देशों में विद्यालय, महाविद्यालय, सरकारी संस्था आदि में हिजाब, बुरखा प्रतिबंधित है; परंतु भारत में हिजाब की मांग क्यों हो रही है ?
दिल्ली उच्च न्यायालय की अधिवक्ता विनीता राघव ने कहा कि, हिजाब का विषय अब न्यायालय में पहुंच गया है । तब भी न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा न करते हुए मुसलमान लोग आंदोलन कर रहे हैं । यह न्यायालय सहित सभी पर दबाव बनाने का प्रयत्न है । हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा ने कहा कि, कर्नाटक में विद्यालय का गणवेश परिधान न कर मुसलमान लडकियों ने हिजाब में आना प्रारंभ किया, तब हिन्दू लडकियों ने उसका वैधानिक मार्ग से विरोध किया । उसके उपरांत हिन्दू लडकियों पर पथराव की घटनाएं घटीं । कुछ हिन्दू संगठनों को छोडकर राजनीतिक दलों सहित सभी ने इस घटना के संबंध में मौन धारण किया । ऐसी घटनाआें से उजागर होनेवाला भारत का इस्लामीकरण करने का षड्यंत्र निष्फल करना चाहिए ।
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