देश के विकास की फिक्र
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जब घटिया स्तर के आरोप लगाए जा रहे थे, तभी एक मुख्यमंत्री को इस बात की फिक्र हुई कि 75 साल की आजादी के बाद भी देश का समुचित विकास क्यों नहीं हो पाया? फिक्र तो अच्छी है लेकिन ईमानदार नहीं लगती। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव राजनीति का तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं। इस प्रकार का मोर्चा बनाने की कवायद कम से कम तीन दशक से तो चल ही रही है। राज्य स्तर पर ऐसे मोर्चे सफल भी रहे। बिहार में धुर विरोधी नीतीश कुमार और लालू यादव ने मिलकर महागठबंधन बनाया था और मोदी की लहर के बावजूद बिहार में सरकार बनायी। झारखण्ड में भी हेमंत सोरेन ने कांग्रेस और राजद को लेकर मोर्चा बनाकर भाजपा से सरकार छीन ली। उत्तर पदेश में भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का मोर्चा बना था। इस मोर्चे ने उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को पराजित कर दिया था। इसका एक मतलब यही निकलता है कि सत्ता पाने के लिए मोर्चे सफल हो जाते हैं लेकन न तो ये स्थायी रहते हैं और न देश व प्रदेश का विकास कर पाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जनता पार्टी और जनता दल की भी यही कहानी है। तेलंगाना के सीएम केसी आर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांगे्रस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार से मिलकर संभवतः सत्ता के लिए ही मोर्चा बनाना चाहते हैं। इसीलिए कांग्रेस और कुछ अन्य पार्टियों को यह बैठक अच्छी नहीं लगती है लेकिन तेलंगाना के सीएम अगर नए संकल्प, नई आशा और नए एजेन्डा को लेकर साथ-साथ चलने को तैयार हैं तो यह देश के लिए एक अच्छी बात होगी।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की ओर से तीसरे मोर्चे को लेकर उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ हुई मुलाकात के बाद कांग्रेस की ओर से एक बयान आया है। कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी के खिलाफ कोई भी राजनैतिक मोर्चा, कांग्रेस के बिना सफल नहीं हो सकता। शिवसेना और एनसीपी भी अब कांग्रेस के साथ लड़ाई लड़ने की बात कर रही है। गत दिनों मुंबई पहुंचे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात के बाद कांग्रेस की टिप्पणी आई है। बता दें कि के चंद्रशेखर राव लगातार गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी सरकारों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। तेलगांना के सीएम ने कहा, 75 साल की आजादी के बाद संभावित रूप का विकास देश में नहीं हुआ है। हमें इसके कारण ढूंढना चाहिए। नए संकल्प, नयी आशा और नए एजेंडे को लेकर आगे चलने का वक्त आ चुका है। तेलंगाना के सीएम की उद्धव और शरद पवार से भेंट को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, अगर केंद्र सरकार को हराना है तो कांग्रेस के सिवाय यह हो नहीं सकता। देश के मौजूदा हालात को बदलने के लिए कांग्रेस समेत दूसरे पार्टियों को साथ आना पड़ेगा और तब ही यह संभव हो पाएगा।
महाराष्ट्र के महाविकास आघाडी सरकार में शामिल कांग्रेस की पहले से ही अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ कई मुद्दों पर तकरार है। कांग्रेस का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेसी नेताओं के प्रोजेक्ट को सही निधि नहीं दी जाती है। पार्टी ने इस मुद्दे पर सीएम उद्धव ठाकरे से भी शिकायत की है। एनसीपी और कांग्रेस एक दूसरे के पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल करने में लगी हुई हैं। गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। उधर बृहन्नमुंबई म्युनिसिपल कार्पोरेशन (बीएमसी) चुनाव में एनसीपी और शिवसेना साथ में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं जबकि कांग्रेस अलग से चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।
वैसे, केसीआर के साथ मुलाकात के बाद अब एनसीपी और शिवसेना का कहना है कि उनकी इस लड़ाई में कांग्रेस भी शामिल है। शिवसेना सांसद संजय राउत बोले, हमने कभी नहीं कहा कि कांग्रेस के बिना कोई फ्रंट बनेगा। जब यह बात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कही थी तब शिवसेना पहली पार्टी थी जिसने कहा कि कांग्रेस को भी साथ लेना होगा। एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नबाब मलिक भी बोले, पवार साहब (शरद पवार) ने पहले ही कहा है कि गैर बीजेपी दलों का एक व्यापक मोर्चा बने, इसमें कांग्रेस भी साथ हो और 2024 से पहले लोगों के सामने एक विकल्प रखा जाए। हमें लगता है कि इसी दिशा में यह शुरुआत हई है। इस बीच बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि ऐसी बैठकों का बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। फडणवीस ने कहा, पिछले लोकसभा चुनाव के समय भी कई दल एक साथ आए थे और एक फ्रंट बनाया था लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। इससे पहले यूपी में भी यह प्रयोग किया गया। सच बात यह है कि तेलंगाना में पिछले लोकसभा में बीजेपी की 4 सीटें आई थीं। इस बार नम्बर एक पर बीजेपी रहेगी।
बहरहाल तेलंगाना के मुख्यमंत्री केचंद्रशेखर रावके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सिलसिलेवार तंज भरे हमले कर रहे हैं। इस बैठक को 2024 के आम चुनावों में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए एक गैर-कांग्रेसी मोर्चा बनाने के प्रयासों के तौर पर ही देखा जा रहा है। इसी के तहत तेलंगाना के सीएम क्षेत्रीय दलों के नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने इशारों-इशारों में केंद्र की बीजेपी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि आज निचले स्तर की राजनीति हो रही है और वो मिलकर बड़े बदलाव के लिए काम करेंगे और इस मुहिम में दूसरे नेताओं को भी जोड़ेंगे। केसीआर ने कहा कि उद्धव जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा, कई मुद्दों पर चर्चा हुई, सहमति बनी। देश में विकास की गति बढाने, कुछ ढांचागत और नीतिगत बदलाव पर कई चर्चा हुई। देश में कई अन्य लोग हैं जो हमारी तरह सोचते हैं। उनसे भी बातचीत हो रही है। कुछ दिनों में हैदराबाद या कहीं और बैठेंगे और चर्चा करेंगे। हम दोनों भाई लगते हैं, 1000 किलोमीटर का हमारा बॉर्डर है। कलेश्वरं प्रोजेक्ट में उद्धव ठाकरे ने सहयोग किया, बहुत फायदा हुआ। देश की राजनीति पर चर्चा हुई है। आज देश के जो हालात हैं, उसमें बदलाव आना चाहिए। देश में एक बड़ी परिवर्तन की जरूरत है। देश सचमुच परिवर्तन चाहता है। भ्रष्ट व्यवस्था से निजात पाना चाहता है लेकिन ऐसा कोई मसीहा दिखाई नहीं पड़ता। कुर्सी बदलती है लेकिन व्यवस्था नहीं बदलती।
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