मालदीव ने दिया दोस्ती का सबूत
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
- भारत विरोधी आलोचना को घोषित किया गया अपराध
- छह महीने तक की हो सकती है जेल
हमारे पड़ोसी देश मालदीव ने प्रधानमें त्री नरेन्द्र मोदी के दोस्ती के लिए फैलाए हाथ को उसी गर्मजोशी से थामा है। मालदीव ने अपने देश में कानून बनाया है कि भारत विरोधी नारेबाजी को भी अपराध माना जाएगा और इसके लिए कड़ी सजा मिलेगी। भारत ने वहां की सरकार को हर प्रकार से सुरक्षा दे रखी है। इसी से वहां के पूर्व शासक नाराज हैं और वे भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं। हालांकि इसके पीछे चीन का हाथ है।
भारत और मालदीव में हमेशा से अच्छे पड़ोसी संबंध रहे हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों में चीन की बढ़ती गतिविधियों के चलते रणनीतिक रूप से भारत से मालदीव दूर होता जा रहा था। हाल ही में सोशल मीडिया पर मालदीव से कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें लोग ‘इंडिया आउट’ की टी-शर्ट पहने भारत सरकार के खिलाफ विरोध जताते नजर आ रहे हैं लेकिन अब ऐसे प्रदर्शनों को रोकने के लिए सत्ताधारी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने बड़ा कदम उठाया है। मालदीव में चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की तरफ से भारत के खिलाफ चलाए जा रहे जहरीले ‘इंडिया आउट’ अभियान को मालदीव सरकार अवैध घोषित करने के लिए नया विधेयक लेकर आ रही है। ऐसा करके मालदीव एक संतुलित विदेशी नीति को अपना रहा है, जो बाकी देशों के साथ उसके संबंधों को मजबूत बनाने में असरदार सिद्ध होगा। नए विधेयक में भारत विरोधी नारे लगाने वालों से 20,000 मालदीवियन रुपिया का जुर्माना वसूला जाएगा। इसके साथ ही 6 माह की जेल या फिर 1 साल के लिए नजरबंद किया जा सकता है। मालदीव में पत्रकार अहमद अजान ने ट्वीट करते हुए इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने लिखा- ‘मालदीव सरकार ने इंडिया आउट नारे के प्रयोग को अपराध घोषित करने का फैसला किया है। सत्ताधारी पार्टी द्वारा तैयार किए गए विधेयक के मुताबिक, इस अभियान में हिस्सा लेने वालों को 6 माह तक की जेल हो सकती है।’
दरअसल, जेल से छूटने के बाद अब्दुल्ला यामीन के ‘इंडिया आउट’ कैंपेन में और अधिक तेजी आई है। पूर्व राष्ट्रपति ने भारत पर देश की आंतरिक राजनीति में दखल देने और मालदीव की मौजूदा सरकार पर भारत के साथ ‘मिलीभगत’ करने का इल्जाम लगाया है। दरअसल, मालदीव के लोग वहां मौजूद भारतीय सैनिकों और उपकरणों को अपने देश से निकालने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी शुरुआत 2018 में हुई थी। यह पहली बार नहीं है जब मालदीव में भारतीय सेना और भारत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। ऐसा ही विरोध साल 2012 में हुआ था, जिसके बाद भारतीय एयरपोर्ट ऑपरेटर जीएमआर को उस वर्ष मालदीव छोड़ भारत लौटना पड़ा था। तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भारत से अपने दो हेलिकॉप्टरों और एक डॉर्नियर एयरक्राफ्ट ले जाने को कहा था, जिसके बाद ‘इंडिया आउट’ कैंपेन ने जोर पकड़ा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव में सैन्य अधिकारी और एयरक्राफ्ट की तैनाती भारत द्वारा वहां खोजी और राहत बचाव अभियान के लिए की गयी है। वहीं, मालदीव का कहना है कि अगर भारत ने उन उपकरणों को गिफ्ट में दिया है, तो इसका इस्तेमाल भी स्थानीय लोगों द्वारा किया जाना चाहिए।
वहीं, मालदीव की वर्तमान सरकार अपने यहां हो रहे भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से चिंतित है। गत 19 दिसम्बर को वहां के विदेश में त्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया था कि भारत के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठ और नफरत को लेकर मालदीव सरकार चिंतित है। भारत हमारा सबसे करीबी द्विपक्षीय साझेदार है, लेकिन कुछ समूह और नेता संबंधों को खराब करने के लिए प्रॉपेगैंडा फैला रहे हैं। बता दें कि इस बीच मालदीव में चीन की भी दिलचस्पी बढ़ी है।
भारत और मालदीव में हमेशा के अच्छे पड़ोसी संबंध रहे हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों में चीन की बढ़ती गतिविधियों के चलते रणनीतिक रूप से भारत से मालदीव दूर होता जा रहा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर मालदीव से कई वीडियो सामने आई हैं, जिसमें लोग ‘इंडिया आउट’ की टी-शर्ट पहने भारत सरकार के खिलाफ विरोध जताते नजर आ रहे हैं। मालदीव में चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की तरफ से भारत के खिलाफ चलाए जा रहे जहरीले ‘इंडिया आउट’ अभियान को मालदीव सरकार अवैध घोषित करने के लिए नया विधेयक लेकर आ रही है। नए विधेयक में भारत विरोधी नारे लगाने वालों से 20,000 मालदीवियन रुफिया का जुर्माना वसूला जाएगा। ‘मालदीव सरकार ने नारे के प्रयोग को अपराध घोषित करने का फैसला किया है। सत्ताधारी पार्टी द्वारा तैयार किए गए विधेयक के मुताबिक, इस अभियान में हिस्सा लेने वालों को 6 माह तक की जेल भी हो सकती है।’
सत्तारूढ़ दल एक नेता ने कहा, 87 सदस्यों वाली संसद में हमारे पास स्पष्ट बहुमत है। लिहाजा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन बिल का विरोध कर रहा है। हमें लगता है कि इस तरह का कठोर कानून बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि हमारी और भारत की सुरक्षा आपस में जुड़ी हुई है। ध्यान देने की बात है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को धनशोधन मामले में दोषी पाया गया और उन्हें पांच साल कारावास की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही उनपर 50 लाख डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया था। मालदीव के अपराध न्यायालय के न्यायाधीश अली रशीद कहा था निसंदेह साबित हो चुका है कि यामीन ने धन लिया था और उन्हें पता था कि यह गबन है। यामीन पर एक निजी कंपनी के जरिए 10 लाख डॉलर सरकारी धन प्राप्त करने का आरोप था। यह धन होटल के विकास के लिए द्वीपों को पट्टों पर देने के सौदे के तहत प्राप्त किया गया। हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति ने सभी आरोपों से इनकार किया था। स्थानीय मीडिया रिपटों में कहा गया था कि महाअभियोजक कार्यालय ने मालदीव पुलिस सर्विस के एक बयान के बाद पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ धनशोधन और गबन व जांच को गुमराह करने के लिए झूठे बयान देने का आरोप लगाया। इसके बाद यामीन के समर्थक सुनवाई के विरोध में कोर्ट क्षेत्र के चारों तरफ जमा हो गए और उनकी रिहाई के लिए नारेबाजी करने लगे। मालदीव के विपक्ष ने अब्दुल्ला यामीन की करारी हार के बाद भी उनके सत्ता से चिपके रहने के डर के बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करने में मदद की अपील की थी। संयुक्त विपक्ष ने हिन्द महासागर स्थित द्वीप देश में फिर से लोकतंत्र स्थापित करने में बाहरी मदद का आह्वान किया। चार राजनीतिक दलों के इस विपक्ष ने मतदान में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को चुनाव मैदान में उतारा था। सोलिह के बारे में पहले काफी कम सुना गया था। विपक्ष ने एक बयान में कहा, ‘‘इस संबंध में हम अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की ओर सहयोग के लिए आशा भरी नजर से देखते हैं क्योंकि हम एक ऐसा मालदीव तैयार करने की कोशिश में आगे बढ़ रहे हैं जहां सभी नागरिकों को शांति, समृद्धि और न्याय उपलब्ध हो।’’ भारत के प्रधानमें त्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पड़ोसी देश की इस गुहार पर मदद की थी। राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह इस बात का एहसान मानते हैं। (हिफी)
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