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केरल में फिर राजनीतिक हत्या!

केरल में फिर राजनीतिक हत्या!

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा पर हत्या का आरोप

कन्नूर (केरल)। केरल के कन्नूर जिले में रविवार देर रात माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के एक कार्यकर्ता की कथित तौर पर हत्या कर दी गई। पुलिस ने बताया कि पेशे से मछुआरे हरिदासन पर रविवार 20 फरवरी को देर रात करीब डेढ़ बजे हमलावरों ने न्यू माहे के निकट पुन्नोल में उसके घर के सामने तब हमला किया जब वह काम से लौट रहा था। पुलिस ने बताया कि 54 वर्षीय पीड़ित को पड़ोसी तलास्सेरी के अस्पताल ले गए लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
पुलिस ने यह भी बताया कि पुन्नोल इलाके में करीब एक सप्ताह पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सीपीएम कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी। सीपीएम ने आरोप लगाया है कि उसके कार्यकर्ता की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस))-भाजपा के लोगों ने हत्या की है। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों से इनकार किया है।
माकपा ने आरोप लगाया कि हरिदासन पर ‘‘आरएसएस कार्यकर्ताओं ने बर्बर हमला किया और उस पर धारदार हथियार से कई बार वार किए और उसका एक पैर काट दिया ताकि उसकी मौत सुनिश्चित हो सके। हालांकि, आरएसएस ने इस आरोप पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। माकपा ने हत्या के विरोध में तलास्सेरी नगर पालिका और न्यू माहे पंचायत में 21 फरवरी को हड़ताल आ आह्वान किया।
केरल में राजनीतिक हिंसा गंभीर समस्या बन गयी है। यहां के जाने-माने नेता पी. जयराजन की हथेली का वो हिस्सा खाली है, जहां पहले कभी उनका अंगूठा हुआ करता था। उनका अंगूठा पिछले चुनाव अभियान में हुई हिंसा में काट डाला गया था। मुझे मेरी पत्नी और परिवार के सामने मारना चाहते थे लेकिन मैं बच निकला। केरल में चुनावी माहौल में होने वाली हिंसा यहां सक्रिय राजनेताओं के लिए आम बात है। जयराजन कहते हैं, मैंने अपना अंगूठा खो दिया और मेरी बांह भी काट दी गई। बाद में बांह तो जुड़ गई लेकिन अब इस हिस्से में कुछ महसूस नहीं होता। राज्य में होने वाली चुनावी हिंसा के वह इकलौते पीड़ित नहीं है, बल्कि पिछले दो दशकों के दौरान केरल में दर्जनों लोग मौत के घाट उतारे गए हैं। जयराजन पर दो दशक पहले भी हमला हुआ था, हालांकि विरोधी दल जयराजन पर भी इस तरह के हमले भड़काने का आरोप लगाते रहे हैं। जयराजन ऐसे सभी आरोपों को खारिज करते हैं।
पिछले साल फरवरी में मतदान की तारीखों के घोषित होने के बाद, विपक्षी दल कांग्रेस के दो कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। कांग्रेस और वाम दलों के कार्यकर्ताओं के बीच प्रदेश में संघर्ष लंबे वक्त से चला आ रहा है। वाम दलों के सामने सिर्फ कांग्रेस से ही निपटने की ही चुनौती नहीं है, बल्कि उनके सामने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी अपनी जमीन पसार रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब से केरल में बीजेपी और आरएसएस और सक्रिय हुए हैं तब से बदले की राजनीति तेज हो गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा रक्तपात केरल पर बड़ा धब्बा है। माना जाता है कि हिंसा सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ने शुरू की थी। कांग्रेस ने विरोधी खेमों के आंदोलनों को दबाने के लिए वही रणनीति अपनाई, जो स्वतंत्रता के पहले ब्रिटिश शासन अपनाता था। इस के जवाब में कम्युनिस्ट भी उग्र हो गए। अब यह विरोधी विचारधाराओं के लिए वर्चस्व स्थापित करने का मुद्दा बन गया है। वर्चस्व की इस लड़ाई के चलते अब गांव के गांव किसी एक दल के वफादार बन गए हैं और आपसी प्रतिद्वंदियों के बीच लड़ाई-झगड़ा, मारधाड़ भी आम हो बात हो गई है। इतना ही नहीं, यहां होने वाली आपसी लड़ाई का भी हर पक्ष हिसाब किताब रखता है, जो बताता है कि कब कौन जीता और कौन हारा। राजनीतिक दुश्मनी के चलते मारे गए लोगों के लिए गांवों में स्मारक भी बने हुए हैं। कम्युनिस्ट नेता एएन शमशीर कहते हैं, मेरे जिले में हमारी पार्टी के 93 कार्यकर्ता शहीद हो चुके हैं। वहीं आरएसएस के स्थानीय कार्यालय की एक दीवार मारे गए कार्यकर्ताओं का हिसाब लिखा है। इस दीवार पर कई कार्यकर्ताओं की तस्वीरें लटकी हुई हैं।
बीते साल दिसम्बर में एसडीपीआई नेता केएस शान की सड़क पर हत्या की गई। 38 वर्षीय शान अपने घर जा रहे थे तभी रास्ते में एक गाड़ी ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। फिर उसी गाड़ी में से चार लोग उतरे, शान पर चाकू से कई बार वार किया और उसी गाड़ी में सवार होकर वहां से भाग गए। शान ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। अगली सुबह कुछ लोगों ने राज्य में बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के सचिव रंजीत श्रीनिवासन के घर में घुस कर उनकी मां, उनकी पत्नी और उनकी बेटी के सामने उनकी हत्या कर दी। पुलिस ने दोनों हत्याओं की जांच कर करीब 50 लोगों को हिरासत में ले लिया था, जिनमें से अधिकांश बीजेपी, आरएसएस और एसडीपीआई के कार्यकर्ता थे। केरल में बीजेपी के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने सीधे सीधे श्रीनिवासन की हत्या का आरोप पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर लगाया। एसडीपीआई पीएफआई का ही राजनीतिक संगठन है। साथ ही सुरेंद्रन ने शान की हत्या के पीछे आरएसएस और बीजेपी की कोई भी भूमिका होने से इनकार किया है। एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी ने शान की हत्या का आरोप आरएसएस पर लगाया था। केरल में इस तरह की राजनीतिक हत्याओं का एक लंबा इतिहास है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 सालों में राज्य में 125 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं, जिनमें लगभग बराबर की संख्या में आरएसएस और सीपीएम के कार्यकर्ता मारे गए हैं। आज तक इन हत्याओं की संस्थागत रूप से न जांच हो पाई है और न किसी को सजा दी गई है। 2009 में एसडीपीआई की स्थापना के बाद इस पार्टी के कार्यकर्ता भी इस हिंसा की जद में आने लगे। बाद में उन पर भी इस हिंसा में शामिल होने के आरोप लगने लगे। सन् 2014 में केरल सरकार ने केरल हाई कोर्ट को एक हलफनामे में बताया था कि पीएफआई और उससे जुड़े एक और संगठन एनडीएफ के कार्यकर्ताओं को 27 हत्याओं, 86 हत्या की कोशिश के मामलों और सांप्रदायिक हिंसा के 106 दूसरे मामलों में शामिल पाया गया। (हिफी)
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