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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सम्मान

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सम्मान

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश जनकल्याण की करीब पैंतालीस योजनाओं के क्रियान्वयन में नम्बर वन रहा है। प्रदेश के लिए गौरव की यह यात्रा आगे बढ़ी है। गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में प्रदर्शित उसकी झांकी को इस बार भी प्रथम पुरुष्कार प्राप्त हुआ है। उत्तर प्रदेश को लगातार दूसरी बार यह प्रतिष्ठा मिली है। पिछली बार श्री राम जन्मभूमि मंदिर की झांकी को सर्वोच्च पुरुष्कार मिला था। उस समय भी राजपथ पर उपस्थित लोगों ने खड़े होकर करतल ध्वनि से उस झांकी का अभिनन्दन किया था। यह जन मानस द्वारा दिया गया सम्मान था। बाद में औपचारिक पुरष्कार घोषित हुआ था। राजपथ के इस इतिहास ने अपने को दोहराया। इस बार श्री काशी विश्वनाथ धाम की झांकी राजपथ पर सुशोभित हुई। लोगों ने श्रद्धा के स्वागत किया। इस झांकी को भी शीर्ष स्थान मिला। यह स्वभाविक था। दोनों झांकियों के दृश्य ऐतिहासिक थे। पांच सौ वर्ष बाद श्री राम लला विराजमान मंदिर का निर्माण प्रारंभ हुआ था। ढाई सौ वर्ष बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम का भव्य रूप में पुनरूत्थान किया गया था। उत्तर प्रदेश की झांकी में काशी विश्वनाथ धाम को दर्शाया गया था। राजपथ पर परेड में उत्तर प्रदेश की झांकी में खास तौर पर विश्वनाथ धाम की झांकी और बनारस के घाट पर संस्कृति की झलक को शामिल किया गया। गंगा स्नान करते साधु और पूजन करते हुए बटुकों का दल भी था। श्री काशी विश्वनाथ धाम के नव्य और भव्य विस्तारित स्वरूप को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष दिसम्बर को शिवभक्तों और राष्ट्र के लिए समर्पित किया था। अब यह धाम श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर में दर्शन पूजन करने वालों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। इसके निर्माण में बालेश्वर, मकराना, कोटा, ग्रेनाइट, चुनार, मैडोना स्टोन, मार्बल आदि सात तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। गंगा तट मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट से धाम तक पचास हजार दो सौ वर्ग मीटर में विस्तारित यह धाम भव्य रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। पिछले गणतंत्र दिवस पर यूपी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की झांकी प्रस्तुत की थी। जिसको प्रथम पुरुष्कार मिला था। मंदिर निर्माण का सपना पांच शताब्दी पुराना रहा है। पहले इसका कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा था। अंततः यह सपना साकार हुआ। पांच सदियों का समय कोई कम नहीं होता। ऐसे में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होना ऐतिहासिक व अभूतपूर्व था। श्री रामभूमि पर मंदिर निर्माण हेतु नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया था। उसके हुए गणतंत्र दीवस परेड में इस ऐतिहासिक प्रसंग की अभिव्यक्ति सहज स्वभाविक थी। यह समाधान शांति व सौहार्द के साथ हुआ। भारत के मूल संविधान में श्रीराम का चित्र भी सुशोभित था। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का शुभारंभ किया था। इसके माध्यम से त्रेता युग की झलक दिखाने का प्रयास किया गया। अब यह अयोध्या की परंपरा में समाहित हो गया है। पिछली बार उत्तर प्रदेश की झांकी में दीपोत्सव को भी सजाया गया था। दीपोत्सव की भव्यता व रामायण के प्रेरक प्रसंगों पर आधारित झांकी भी प्रदर्शित की थी। इसमें रामायण की रचना करते महर्षि वाल्मीकि, उनके आश्रम और पीछे मंदिर की प्रतिकृति थी। अयोध्या हमारे लिए पवित्र नगरी है और राममंदिर हर आस्थावान के लिए श्रद्धा का विषय है। इस प्राचीन नगरी की प्राचीन विरासत की झांकी का प्रदर्शन किया गया था। झांकी में भगवान राम के प्रतिरूप के साथ कलाकारों का दल था। निषादराज गृह,शबरी के बेर, पाषाण अहिल्या, संजीवनी लाते हनुमान, जटायु राम संवाद और अशोक वाटिका के दृश्य भी आकर्षक थे। योगी आदित्यनाथ ने गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित परेड में उत्तर प्रदेश द्वारा प्रस्तुत एक जनपद एक उत्पाद एवं श्री काशी विश्वनाथ धाम विषयक झांकी को राज्य केन्द्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिलने पर प्रदेश की जनता को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के सभी जनपदों के अपने विशिष्ट उत्पाद हैं। एक जनपद एक उत्पाद ओडीओपी योजना के माध्यम से इन विशिष्ट उत्पादों को प्रोत्साहन मिल रहा है। प्रदेश में सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन की असीम सम्भावनाएं हैं। राष्ट्रीय राजधानी में उत्तर प्रदेश की झांकी को प्रथम पुरस्कार मिलने से जनपदों के विशिष्ट उत्पादों के साथ-साथ राज्य में सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। परेड के दौरान झांकी पर काशी का गौरव लौटा जब खुला भव्य गलियारा विश्वनाथ से मिलकर पुलकित है गंगा की धारा गीत का प्रसारण किया गया। गीतकार वीरेन्द्र वत्स के शब्दों को राजेश सोनी ने संगीतबद्ध किया और इसे मनीष शर्मा ने अपनी आवाज दी। झांकी में चरकुला आर्ट अकादमी मथुरा के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई। इस झांकी का निर्माण विविड इण्डिया द्वारा किया गया था।

इस झांकी के माध्यम से लोगों ने एक जनपद एक उत्पाद एवं श्री काशी विश्वनाथ धाम की झलक नई दिल्ली के राजपथ पर देखी। देश दुनिया में लोगों ने ऑनलाइन इसका अवलोकन किया। यह झांकी प्रदेश के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रस्तुत की गयी थी। वर्ष 2021 में भी उत्तर प्रदेश की झांकी को प्रथम पुरस्कार मिला था। जबकि वर्ष 2020 में द्वितीय पुरस्कार मिला था। इसके पहले 1789 में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने कराया था। महाराजा रणजीत सिंह ने 1836 में सोने का छत्र बनवाया था। लगभग ढ़ाई सौ साल बाद नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से यह स्थल भव्य दिव्य रूप में प्रतिष्ठित हुआ। यहां देश ही नहीं विदेशों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते रहे है। विश्वनाथ गली और मंदिर परिक्षेत्र के छोटे बड़े मंदिरों में स्थापित विग्रहों, दुर्लभ मूर्तियों को विघ्वंस कर उन्हें मकानों की दीवार में छिपा दिया गया था। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले काशी में कहा था कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। प्रतीकात्मक रूप से बात सही सिद्ध हुई। नरेंद्र मोदी यहां से एमपी व देश के पीएम बने। इधर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। गंगा मैया शिव जी के धाम तक पहुंच गई। श्री विश्वनाथ मंदिर को संकरी गलियों से मुक्त कर पुरातन धार्मिक स्वरूप प्रदान किया गया। श्री काशी विश्वनाथ धाम से मां गंगा भी एकाकार हो गई है।

श्री विश्वनाथ धाम से मां गंगा और गंगा तट से मंदिर का स्वर्ण शिखर स्पष्ट दिखाई देने लगा है। प्रधानमंत्री बनने से पहले कहा गया नरेंद्र मोदी का कथन फलीभूत हुआ। सेक्यूलर सियासत के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वाभिमान के विषयों को साम्प्रदायिक माना जाता है। इसके तहत आस्था के स्थलों को यथास्थिति में ही सदियों तक स्वीकार कर लिया गया। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से राष्ट्रीय स्वाभिमान को स्थापित किया गया। श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य व श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकर्पण इसका प्रमाण है। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हजार वर्षों से काशी को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। ढाई सौ वर्ष पहले इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बाबा विश्वनाथ की पुर्नस्थापना में महती योगदान दिया। महाराजा रणजीत सिंह ने मन्दिर को स्वर्णमण्डित कराया। ग्वालियर की रानी ने भी मन्दिर में अपना योगदान किया। अब नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ धाम का यह भव्य स्वरूप साकार हुआ है। भारतीय संस्कृति एवं परम्परा को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। बाबा विश्वनाथ धाम की पुर्नस्थापना, अयोध्या में भगवान श्रीराम के मन्दिर के निर्माण की प्रगति आदि भारतीय सनातन मूल्यों, सभ्यता और संस्कृति को वैश्विक मंच पर पुर्नस्थापित करने का अभियान है। इस अभियान के अंतर्गत योग की परम्परा तथा कुम्भ को दुनिया की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की भांति दुनिया में प्रतिष्ठित हुआ। गंगा जी की स्वच्छता के लिए उत्तराखण्ड से लेकर बंगाल तक प्रयास चल रहे हैं। नमामि गंगे अभियान की सफलता के लिए सजग होकर काम करते रहना होगा। (हिफी)हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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