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असंतुष्टों ने मणिपुर में बिगाड़ी रणनीति

असंतुष्टों ने मणिपुर में बिगाड़ी रणनीति

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • भाजपा ने दो मौजूदा विधायकों का काटा टिकट मुख्यमंत्री का जलाया पुतला।
  • कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए 16 विधायकों में से 10 ही लड़ पा रहे चुनाव।
  • कांग्रेस ने अपनाया असम माडल।
  • 6 राजनीतिक दलों का बना महागठबंधन।

संवेदनशील राज्य मणिपुर में विधानसभा चुनाव से पहले ही असंतुष्टों ने भाजपा और कांग्रेस की रणनीति को बिगाड़ दिया है। मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होगा। कांग्रेस ने अपने 40 उम्मीदवारों की सूची पहले ही जारी कर दी थी और टिकट न पाने वालों का गुस्सा उसे झेलना पड़ रहा है। कांग्रेस ने यहां की असम माडल से चुनाव लड़ने की रणनीति बनायी। यहां 6 राजनीतिक दलों का एक महागठबंधन बनाया गया है। उधर, सत्तारूढ़ भाजपा ने 2 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है। कांगे्रस से भाजपा में शामिल हुए 16 विधायकों में से 10 को ही टिकट मिल सका। इससे असंतोष खुलकर सामने आ गया है।


मणिपुर में बीजेपी सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने उम्मीदवारों का भी ऐलान कर दिया है। इस बार 2 मौजूदा विधायकों का टिकट काटा गया है और कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए 16 विधायकों में से 10 को ही बीजेपी का टिकट मिला है। एक तरफ जहां टिकट पाने वाले खुशी का इजहार कर रहे हैं, वहीं मायूस हुए लोग जमकर विरोध जता रहे हैं और इस्तीफों का दौर भी शुरू हो गया है। भाजपा समर्थकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पुतले भी जलाए और नारेबाजी की। राज्य के विभिन्न हिस्सों में पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई और प्रदर्शनकारी कई इलाकों में तख्तियों के साथ जमा हो गए। इंफाल में भाजपा मुख्यालय के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।


रिपोर्ट के अनुसार टिकट पाने की उम्मीद कर रहे पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है, हालांकि सही संख्या पता नहीं चल सकी है। सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर असंतुष्ट नेता वे थे जिन्हें कांग्रेस के दलबदलुओं को टिकट देने के कारण नहीं चुना गया।


पिछले बार के 21 उम्मीदवार जो जीत के आए थे, उनमें से 19 को इस बार टिकट दिया गया है। माना जा रहा है कि 23 प्रतिशत ऐसे उम्मीदवार हैं जो पिछले 5 सालों में दूसरी पार्टियों से आए हैं। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए 16 विधायकों में से 10 को बीजेपी का टिकट मिला है। गोविंद दास खोनतोम जाम जो कांग्रेस चीफ थे, मणिपुर में उनको भी टिकट मिला है।


2017 के चुनाव में बीजेपी ने 21 सीटें जीती थीं लेकिन छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई थी। भाजपा सूत्रों ने बताया कि इनमें से 19 विधायकों को पार्टी का टिकट दिया गया है और तीन को बाहर कर दिया गया है।


मणिपुर भाजपा ने केवल तीन महिलाओं और एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। भाजपा में शामिल हुए मणिपुर कांग्रेस के पूर्व प्रमुख गोविंददास कोंथौजम को भी चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट मिला है। भाजपा सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री के अधिकांश वफादारों को पार्टी का टिकट मिला है। तीन महिलाएं जिन्हें टिकट मिला है, वो कांगपोकपी की नेमचा किपगेन, चंदेल की एसएस ओलिश और नौरियापखंगलकपा की सोराइसम केबी देवी हैं। भाजपा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन पूर्व अधिकारियों को भी मैदान में उतारा है- नुंगबा से डिंगंगलुंग गंगमेई, काकचिंग से येंगखोम सुरचंद्र सिंह और उरीपोक से रघुमणि सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।


भाजपा के मणिपुर चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा, भाजपा सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और अपने दम पर बहुमत हासिल करेगी। मोदी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि मणिपुर को एक स्थिर सरकार मिले और वह क्षेत्र के विकास और शांति को सुनिश्चित करना जारी रखेगी। मणिपुर विधानसभा में भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बहुमत में है। इसमें बीजेपी के 30 विधायक, नेशनल पीपुल्स पार्टी के तीन विधायक, नगा पीपुल्स फ्रंट के चार और तीन निर्दलीय विधायक शामिल हैं।


उधर, कांग्रेस ने मणिपुर में अपने असम मॉडल का अनुसरण किया है, कांग्रेस ने लेफ्ट सहित छह राजनीतिक दलों के साथ एक महागठबंधन बनाया है। गठबंधन के नाम की जल्द ही घोषणा की जाएगी। इसमें कांग्रेस, भाकपा, सीपीएम, आरएसपी, फॉरवर्ड ब्लॉक और जनता दल सेक्युलर शामिल हैं और इस गठबंधन का न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा। पिछले साल असम चुनावों के दौरान कांग्रेस ने 10 पार्टियों का महागठबंधन बनाया था, इसे महाजोत कहा था। लेकिन पार्टी का यह प्रयोग बहुत सफल नहीं रहा था, गठबंधन ने राज्य की 126 सीटों में से केवल 50 सीटें जीतीं थीं। मणिपुर में इस गठबंधन के जरिये भाजपा को कड़ी टक्कर देने की उम्मीद की जा रही है। इसे मणिपुर के लिए खुशी का दिन बताते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, यह गठबंधन विधानसभा चुनावों के लिए बनाया गया है, हम छह समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दल चुनाव लड़ने के लिए एक साथ आए हैं।


सिंह ने कहा कि मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के विपरीत इस गठबंधन का एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम होगा। सिंह मणिपुर के 2002 से 2017 तक रिकॉर्ड 15 वर्षों के लिए मुख्यमंत्री थे। भाकपा के राज्य सचिव सतिन कुमार ने कहा, राज्य चुनावों के लिए हमने यह गठबंधन बनाया है, क्योंकि इस भूमि पर एक अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक, सांप्रदायिक पार्टी सत्ता में है। उसने मजदूर वर्ग के खिलाफ काम किया है, इसलिए यह समय है कि भाजपा को हराने के लिए धर्मनिरपेक्ष दल शामिल हों। मणिपुर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नमिरकपम लोकेन सिंह ने कहा कि पार्टियां राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए आश्वस्त हैं। उन्हांेने कहा पार्टियों ने फैसला किया है कि खुरई विधानसभा क्षेत्र में भाकपा अकेले ही अपना उम्मीदवार उतारेगी और अधिकांश अन्य सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारेगी। काकचिंग में दोनों पार्टियों के बीच दोस्ताना मुकाबला होगा, क्योंकि दोनों ही इस सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। कुछ अन्य सीटों पर भी दोस्ताना लड़ाई होगी, क्योंकि कुछ सहयोगी दलों ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस चुनाव के लिए अपने 40 उम्मीदवारों की सूची पहले ही घोषित कर चुकी है, वहीं भाकपा ने दो उम्मीदवारों की घोषणा की है। बता दें कि मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में 27 फरवरी और 3 मार्च को मतदान होगा। मतगणना 10 मार्च को होगी। (हिफी)
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