सरस्वती वंदना पूजन
लेखनी ले भाव लिखता मन में धर सुविचार कोई
ह्रदय के भावों में बहती मधुरम सी रसधार कोई
वाणी का आराधक बनकर शब्द सुमन सजाता हूं
अल्फाजों के मोती चुन चुन गीत सुहाने गाता हूं
वीणा वादिनी प्रज्ञा दायिनी हंस वाहिनी करो कृपा
दिव्य शब्द अलंकारों से मात भवानी कलम सजा
मन की वीणा के तारों से ध्वनी दस्तक दे दिल को
हर्ष भरा मन का आंगन हृदय सारा प्रफुल्लित हो
बहे प्रेम की पावन धारा गीतों से महफिल महके
उर उमंग हर्षोल्लास से हृदय का कोना चहके
होठों की मुस्कान मधुर सी चेहरे पर खुशियां लाये
तेरी कृपा से मात भवानी लेखनी चलती जाये
दीप जले आलोकित घट में पूजा मनमंदिर तेरी
शब्दों का भंडार दो माता भर दो मां झोली मेरी
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
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