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भविष्य की दृष्टि से एक ‘संतुलित बजट’

भविष्य की दृष्टि से एक ‘संतुलित बजट’

टी.वी. सोमनाथन
एक संसदीय लोकतंत्र में बजट कई उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। आंशिक रूप से, ये एक वार्षिक वित्तीय विवरण होते हैं। वार्षिक वित्तीय विवरण पेश करना एक नियमित, लेकिन अहम काम है। बजट सरकार के नीतिगत इरादों के बयान भी होते हैं। निजी क्षेत्र के उलट, सरकारें अपने ग्राहक नहीं चुन सकतीं—उन्हें सभी की सेवा करनी होती है। उनके पास “दक्षता वाले मुख्य क्षेत्रों” पर ध्यान केन्द्रित करने की छूट नहीं होती है- उन्हें वह सब कुछ करना होता है जो संसद की अपेक्षा होती है। सरकारें बहुत सी चीजें मुफ्त में मुहैया कराती हैं– इसलिए उनकी मांग किसी भी व्यावहारिक आपूर्ति या सामर्थ्य की तुलना में बहुत अधिक होती है। सरकारों द्वारा कर वसूली का काम जितना अलोकप्रिय होता है, उतना ही अपरिहार्य भी। इन सभी वजहों से, बजट बनाना एक बेहद जटिल संतुलनकारी कार्य है।
बजट 2022-23, असाधारण परिस्थितियों में बनाया गया बजट है। इसका सबसे बड़ा मुद्दा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याणकारी कार्यक्रमों को जारी रखते हुए, लगातार दूसरे वर्ष में सार्वजनिक निवेश में एक व्यापक वृद्धि के माध्यम से विकास और रोजगार को बढ़ावा देना है। इस बजट में पूंजीगत व्यय में 35 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई है। पीएम गतिशक्ति कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ बुनियादी ढांचे का मात्रात्मक विस्तार करना नहीं है, बल्कि कुशल योजना निर्माण के माध्यम से गुणात्मक छलांग लगाना है। सड़क और रेल, रेल और मेट्रो, बंदरगाह और सड़क आदि के बीच तालमेल बिठाने के मामले में अक्सर हमारा प्रदर्शन खराब रहा है। समन्वित तरीके से योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन से घरेलू उत्पादकता और निर्यात संबंधी प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
लाभकारी रोजगारों का सृजन करना एक अन्य प्राथमिकता है। स्वयं पूंजीगत व्यय में वृद्धि ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से (अन्य क्षेत्रों पर इसके गुणक प्रभाव के माध्यम से) लाखों रोजगार पैदा करेगी। इसकी एक अनूठी विशेषता एक लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त 50 साल के ऋण के प्रावधान के माध्यम से राज्यों को उनके पूंजीगत व्यय के लिए उनकी सामान्य उधार सीमा के अतिरिक्त अभूतपूर्व मदद प्रदान करना है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को व्यापक पैमाने पर दो लाख करोड़ रुपये का एक नया बड़ा कर्ज प्रदान करने के लिए क्रेडिट गारंटी योजना को नया रूप दिया जा रहा है। व्यापक रूप से सफल रही इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के माध्यम से आतिथ्य, पर्यटन और संबंधित (महामारी से प्रभावित) क्षेत्रों को अतिरिक्त ऋण प्रदान किया जा रहा है। पीएम ग्राम सड़क योजना के परिव्यय में 27 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसके अलावा, कुछ प्राथमिकता वाले वर्गों के संदर्भ में राज्यों के हिस्से को पूरा करने के लिए उन्हें पूरक वित्त पोषण की सुविधा प्रदान की जाएगी।
उर्वरक सब्सिडी और अनाज की खरीद सहित कृषि क्षेत्र को सहायता प्रदान करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। वर्तमान में चल रहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और आयुष कार्यक्रमों के अलावा, नया पीएम आत्मनिर्भर भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन भारत की स्वास्थ्य संबंधी क्षमता को स्थायी रूप से उन्नत करेगा। मानक योजनाओं के मापदंडों में फिट नहीं हो पाने वाली परियोजनाओं के लिए एक नई, लचीली, आवश्यकता-आधारित “उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल” (पीएम डिवाइन) शुरू की गई है। वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप, व्यापक लचीलापन और प्रभावकारिता सुनिश्चित करते हुए 130 केन्द्र- प्रायोजित योजनाओं को नया रूप देकर उन्हें 65 योजनाओं के रूप में पुनर्गठित किया गया है।
आज की कठिन वित्तीय परिस्थिति को देखते हुए, यह बजट भविष्य की नीतिगत समस्याओं के समाधान का आधार तैयार करता है। बजट में, 2047 के भारत के लिए एक विस्तृत व परिकल्पना के आधार पर सावधानीपूर्वक तैयार किए गए निधि आवंटन और नीतिगत पहल शामिल किए गए हैं और इनके तहत विश्व स्तरीय स्वदेशी रेलवे प्रौद्योगिकी, कृषि के लिए 'किसान ड्रोन', 'एक सेवा के रूप में ड्रोन', डिजिटल स्वास्थ्य सूचना, टेलीमेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट, डिजिटल मुद्रा, स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन, बैटरी की अदला-बदली, हरित हाइड्रोजन, कोयला गैसीकरण और ऑप्टिक फाइबर तक सार्वभौमिक पहुंच को प्रमुखता दी गयी है। क्रिप्टो-उपकरणों के कर-निर्धारण में स्पष्टता, कमियों को दूर करना और एसईजेड के सीमा शुल्क प्रशासन का आधुनिकीकरण, इस बजट की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं।
दूरदर्शी सी. सुब्रमण्यम भारती ने अपनी कविता "भारत देशम" में, मध्य भारत में फसल उगाने के लिए बंगाल में बह रहे अतिरिक्त पानी का उपयोग करने का सपना देखा था। 1921 में उनका निधन हो गया। सौ साल बाद, केन-बेतवा परियोजना के माध्यम से नदी जोड़ने की पहली परियोजना शुरू हो रही है।
वृहद्-आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए इन सभी को सावधानीपूर्वक तैयार की गयी राजकोषीय नीति के साथ जोड़ा गया है। महामारी से संबंधित खर्च और विनिवेश से होने वाली आय में कमी के बावजूद, उच्च राजस्व वृद्धि और दृढ़ता से लागू व्यय नियंत्रण ने 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटे को अपने बजट स्तर के करीब अर्थात जीडीपी के 6.9 प्रतिशत पर रहने में सक्षम बनाया है। यह राजकोषीय घाटे में एक साल की अवधि में सबसे बड़ी कमी को रेखांकित करता है। अगले साल राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों के विशेष अंतरण को छोड़कर, राजकोषीय घाटा प्रभावी रूप से केवल 6.0 प्रतिशत है। राजस्व घाटा और भी तेजी से घटकर 4.7 से 3.8 प्रतिशत तक आने का अनुमान है। बिना नए करों को लगाए, यह पिछले बजट में घोषित एकीकरण के सिद्धांत पर आधारित है, जिसके तहत 2020-21 के 9.2 प्रतिशत से शुरू होकर 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
अर्थशास्त्र में, एक संतुलित बजट वह होता है; जहां व्यय, राजस्व के बराबर होता है। 2022-23 के बजट को एक अलग अर्थ में संतुलित बजट कहा जा सकता है: भविष्य की दृष्टि से वर्तमान में संतुलित कदम एवं व्यवहार में विवेकपूर्ण महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण। (लेखक भारत के वित्त सचिव हैं)
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