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हिन्दू जागरण मंच ने मनाया संत कवि रविदास जयंती समारोह

हिन्दू जागरण मंच ने मनाया संत कवि रविदास जयंती समारोह 

संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर |
हिन्दू जागरण मंच के बैनर तले बिहटा के अनिकेत होटल में संत कवि रविदास जी की जयंती समारोह धुम धाम से मनायी गयी। जयंती समारोह शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  बिहार प्रदेश हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश संयोजक जीवन कुमार एवं पटना जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष ज्योति सोनी ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बरिष्ठ संघी रत्नेश्वर मिश्रा ने किया। 

जयंती समारोह में संत कवि रविदास जी के पुरे जीवन काल को याद करते हुए हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश संयोजक जीवन कुमार ने बताया कि संतो में संत शिरोमणि रविदास जी का जन्म काशी में हुआ था। संत रविदास बचपन से ही परोपकारी और दयालु स्वभाव के थे। दूसरों की सहायता करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। खास कर साधु-संतों की सेवा और प्रभु स्मरण में वे विशेष ध्यान लगाते थे।

उन्होंने बताया कि सनातन हिन्दू धर्म जिसे वैदिक धर्म अथवा हिन्दू धर्म कहा जाता है, जहां वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था की कोई जाती नहीं थी, कर्म के अनुसार कोई भी ब्राह्मण और शुद्र नहीं थे। कोई भी शूद्र कर्म से ब्राह्मण हो सकता था, एक समय था जब राजा नहीं था न राज्य था न कोई अपराध करता था न कोई दंड देने वाला था ऐसा हमारा पुरातन वैदिक काल था, महाभारत के पश्चात भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि भीष्म पितामह मृत सईया पर पड़े हैं उनसे उपदेश लेना चाहिए, भगवान कृष्ण सहित युधिष्ठिर वहाँ गये उन्होंने पितामह से पूछा कि हे पितामह जब राज्य नहीं था कोई राजा नहीं था तो समाज की ब्यवस्था कैसे चलती थी पितामह ने उत्तर दिया कि हे पुत्र--
          ''न राज्यम न राजाषित न दंडों न दंडिका''
उस समय न कोई राजा था न ही कोई दंड देने वाला था क्योंकि कोई अपराधी नहीं था, ऐसा समय वैदिक काल था, ऐसी समाज रचना हमारे पूर्वजों चमर ने बनाई थी गाँव के सभी आपस मे बहन- भाई के रूप मे रहते थे सभी एक दूसरे को चाचा- चाची, दादा- दादी एक परिवार जैसा गाँव, जिसमे कोई गलत दृष्टि नहीं कोई अराजकता नहीं सभी एक दूसरे के सहायक आदर करते थे। आपस मे अपनत्व का भाव था ऐसे समाज की रचना की।
लेकिन आज के परिवेश में जो वर्ण व्यवस्थाएं है, जातिगत विविधताएं है, ऐसे में हमारे संत शिरोमणि रविदास जी जो चमर वंश से थे, आज के परिवेश में उस वर्ण को निच दृष्टि से देखा जाता है।

जीवन कुमार ने बताया कि चमर वंश का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। 1450ईं में रविदास समाज के पूर्वज चमर वंश इस देश में शासक वर्ग से रहा है।लेकिन पिढी दर पिढी विदेशी आक्रांताओं के पड्ताड्ना एवं दबाव में हिन्दू धर्म नहीं बदला। उसके एवज में उन अक्राताओं के वर्ण विवेधता लाकर उन्हें नीच वर्ण से जोड़ दिया। और समाज में भेद भाव लाकर उन्हें कमजोर करने का कोशिश किया गया।

उन्होंने बताया कि चमर वंश के  वीर क्षेत्रीय जिन्हें सिकंदर लोदी ने "चमार" बनाया और हमारे आपके हिन्दू पुरखों ने उन्हें अछुत बना कर इस्लामी बर्बरता का हाथ मजबूत किया। इस समाज ने पददलित और अपमानित होना स्वीकार किया, लेकिन विधर्मी होना स्वीकार नहीं किया। आज भी यह समाज हिन्दू धर्म का आधार बनकर खड़ा है। उन्होंने कहा कि धन्य है हमारे ये भाई जिन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी अत्याचार और अपमान सहकर भी अपने धर्म का गौरव बचाये रखा और स्वयं अपमानित और गरीब रहकर हर प्रकार से भारतवासियों की सेवा की। अंत में उन्होंने रैदास जी के द्वारा लिखीत दोहे
ऐसा चाहुं राज्य मैं, जहां मिले सबै को अन्न। 
छोटे काढो सबै सम बसै, रैदास  रहै सदैव प्रसन्न।।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पटना जिला परिषद की पूर्व अध्यक्षा ज्योति सोनी ने संत रविदास जी के जीवनी पर प्रकाश डाला और उनके द्वारा प्रचलित दोहे मन चंगा तो कठौती में गंगा दोहे के बारे में बताया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कमलेश पाण्डेय, हिन्दू जागरण मंच के जिला महामंत्री गौरव, रत्नेश्वर बाबा, उदय, राकेश, रवि, रौशन, बिपिन, निप्पु, राजकिशोर, नंदकिशोर उपस्थित थे। 
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