स्वतंत्रता सेनानी प्राणशंकर मिश्र नहीं रहे
जशपुर नगर (छत्तीसगढ़) निवासी स्वतंत्रता सेनानी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पं. प्राणशंकर मिश्र का आज लगभग 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। कट्टर कांग्रेसी श्री मिश्र जी ने जीवनपर्यन्त खादी ही धारण किया एवं अपनी सक्रियता द्वारा जशपुर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के समर्पित नेता के रूप में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई।
पं. रामानंद मिश्र के सुपुत्र श्री प्राण शंकर मिश्र जी का जन्म 31 जनवरी, 1928 को वर्तमान औरंगाबाद जिलान्तर्गत ग्राम मंझोली में हुआ था। अल्पावस्था में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इनके चाचा वैद्य परमानन्द मिश्र के संरक्षण में ही इनका पालन-पोषण हुआ। इनके चाचा स्वयं एक महान क्रांतिकारी थे, जिनसे प्रेरित होकर बाल्यावस्था में ही ये स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे थे। बिहार एवं बनारस (उत्तरप्रदेश) में पढ़ाई पूरी करने के बाद अंततः जशपुर को इन्होंने अपना कार्य क्षेत्र बनाया और यहीं के होकर रह गए।
जशपुर शाकद्वीपीय समाज के अध्यक्ष के रूप में सामाजिक गतिविधियों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में शासन द्वारा कई बार इन्हें सम्मानित किया गया।
हाल के वर्षों में शारीरिक रूप से असमर्थ हो जाने के बाद प्रशासन के उच्च पदाधिकारियों ने इनके आवास में आकर इन्हें सम्मानित किया था। तीन माह पूर्व मैं भी इनसे मिलने जशपुर गया था। तब ऐसा बिल्कुल नहीं लगा था कि यह हमारी अंतिम मुलाकात होगी।
महासंघ-परिवार ने पुण्य. प्राण शंकर मिश्र के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक-संवेदना व्यक्त की है। इनमें सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दीपक उपाध्याय, मुख्य संरक्षक श्री ब्रजबिहारी पाण्डेय, आचार्य लक्ष्मीनारायण पांडेय, आचार्य देवनाथ शास्त्री, श्री प्रकाश कुमार मिश्र, प्रवक्ता श्री चंदन मिश्र, आचार्य कृष्ण, श्री संजीव कुमार मिश्र, डॉ सुधांशु शेखर मिश्र, डॉ बृज बिहारी पाठक, श्री मनोज कुमार मिश्र, श्री सीताराम पाठक, शरद भक्त, पंडित मृत्युंजय पाठक, श्री एम. के.मिश्र, संतोष मिश्र, अमरीष पाठक, जीतेश मिश्र के अलावे महासंघ के अन्य पदाधिकारी-गण शामिल थे।
पुण्यश्लोक प्राणशंकर मिश्र जी के निधन से महासंघ-परिवार मर्माहत है। वे अपने पीछे पुत्रों एवं पुत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान भास्कर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें एवं उन सभी के पुरजन-परिजनों को इस दारुण दुःख सहने की शक्ति प्रदान करने की कृपा करें। ॐ शांति।
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