Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

बसंत की बहार

बसंत की बहार 

बसंत तेरे आगमन से 
प्रकृति सजी दुल्हन सी 
नीलगगन नीलांबर 
जैसे श्याम वर्ण कान्हा 
वस्त्र पहने हो पितांबर 
पीले रंगों में सरसों फूला 
मस्त पवन मस्तानी वेग 
जैसे सावन के झूला
 मदमस्त हवाएं वह चली 
जैसे मटकी ले चली राधा 
झूमती पौधों की पत्तियां 
इतराती बसंत की डालियां
बसंत की बसंती तेरी
 चुलबुली बल खाती है
 परम यौवन को पाकर
बावली यह इतराती है 
ज्यादा जल पाकर नदियां 
किनारे तोड़ जाती हैं 
कोयल की सुरीली तान से
दग्ध ह्रदय शीतल कर जाती है।
         डॉ इंदु कुमारी 
 मधेपुरा बिहार
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ