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बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ ,शेखपुरा राजाबाजार , पटना में भव्य सरस्वती पूजन समारोह का आयोजन

बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ ,शेखपुरा राजाबाजार , पटना में  भव्य सरस्वती पूजन समारोह का आयोजन 

संवाददाता प्रभाकर चौबे की खबर 
श्री जगत शर्मा, संचालक , के द्वारा बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ ने सरस्वती पूजन के अवसर पर उपस्थित महानुभावो सर्व श्री रमाकान्त पाण्डेय ।पूर्व विधायिका श्री मति दिलमणी देवी ।प्रभाकर चौबे चिंतक ब्राह्मण एवं हिन्दुवादी नेता की उपस्थिति मे सरस्वती पूजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की मूलाधार मे ज्ञानदायिनी सरस्वती, धनदायिनी लक्ष्मी एवं शक्ति दायिनी अष्ट भुजी दुर्गा माँ का स्थान सर्वोपरि है।वंदना कर ज्ञान प्राप्त करने के लिए ब्रह्मचारिणी सरस्वती की आराधना करते हैं ।सरस्वती ज्ञान दायिनी हैं विद्यादात्री हैं ।कला संगीत की देवी हैं।अनेक संस्कृत के श्लोको मे माँ सरस्वती की आराधना की गई है।
शारदा शारदाम्भोज वदना वदनाम्बुजे ।सर्वदा सर्वदास्माकम सन्निधिम सन्निधिम क्रियात्।
शरतकाल मे उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली सभी सम्पत्तियों के साथ मेरे मुख मे सदा निवास करें ।
हिन्दी के महान कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी ने लिखा है।वर दे वीणावादिनी वर दे।
सरस्वती पूजन के दिन ही ऋतुराज बसंत का आगमन होता है।प्रभाकर चौबे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भारतीय जनक्रांति दल ( डेमोक्रेटिक ) ने माँ सरस्वती की महिमा का बर्णन करते हुए कहा कि सरस्वती ब्रह्मा की मानस पुत्री है ।ब्रह्मा जी की सृष्टि मे इतनी खुबसुरत ज्ञान ,कलायुक्त कोई सृष्टि उनके द्वारा नही हुई।ईश्वरीय अवतार सत्ताओ की बात अलग है ।वह उनके सृष्टि रचना से परे है।वे अपनी कलाकारिता पर मुग्ध हो गये ।जैसे हम चित्र बनाते है और अच्छा बन जाने पर उसे बार बार देखते हैं । माँ शारदा भवानी वाक्शक्ति प्रदायिनी हैं ।कवियो और साहित्यकारों की शक्ति हैं ।बिना सरस्वती के हम विद्यारूपी प्रकाश की कल्पना भी नही कर सकते। सरस्वती की शक्ति धन दायिनी भी है।लेकिन ब्रह्मज्ञान की खोज मे लगे उपासक धन की तृष्णा नही रखते। विद्यापीठ को उन्नत करने की जरूरत थी तो इसे मृतप्राय कर दिया गया।जिस विद्यापीठ मे एक ही जगह सरस्वती पूजन होता था ।आज दो जगह किया गया। जब स्वार्थ प्रबल हो तो सृजन और विकास रूक जाता है। एकता की स्थापना अहंकार को रखकर या किसी को दबाकर नही लाया जा सकता।यह सौहार्द और परस्पर के विश्वास से आता है।आज हिन्दुओ मे यह कमी ज्यादा पाई जा रही है ।जो दुखद है।प्रभाकर चौबे ।पूर्व प्रवक्ता ।बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ ।
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