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सर्वांगीण विकास का मातृ-पितृ पूजन

सर्वांगीण विकास का मातृ-पितृ पूजन

सत्येन्द्र कुमार पाठक 
सनातन धर्म की संस्कृति में मातृ एवं पितृ पूजन से सर्वागीण विकास का महत्वपूर्ण स्थान है । मातृ और पितृ पूजन का प्रारंभ भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुत्र गणेश जी द्वारा की गई थी । देवों में श्रेष्ठ का निर्णय लेने के लिए भगवान शिव के पुत्र गणेश जी और कार्तिक जी ने भगवान शिव-पार्वती के पास गए थे । शिव-पार्वती ने कहाः संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके पहले पहुँचेगा, उसी को श्रेष्ठ कहा जाएगा । श्रेष्ठ प्रतियोगिता में वाहन मयूर पर कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करने और गणपतिजी ने अपने माता पिता शिव-पार्वती का हाथ पकड़ कर ऊँचे आसन पर बिठाया, पत्र-पुष्प से उनके श्रीचरणों की पूजा की और प्रदक्षिणा करने लगे। एक चक्कर पूरा हुआ तो प्रणाम किया… दूसरा चक्कर लगाकर प्रणाम कर माता-पिता की सात प्रदक्षिणा कर ली। भगवान शिव-पार्वती ने पूछाः वत्स! ये प्रदक्षिणाएँ क्यों की गयी है । गणपतिजी ने कहा कि सर्वतीर्थमयी माता एवं सर्वदेवमयो पिता जी ! शास्त्रों के अनुसार सारी पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने से पुण्य होता है, वही पुण्य माता की प्रदक्षिणा करने से हो जाता है । माता पिता का पूजन करने से सब देवताओं का पूजन है। पिता देवस्वरूप हैं।शिव-पुराण के अनुसार मातापित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रान्तिं च करोति यः। तस्य वै पृथिवीजन्यफलं भवति निश्चितम्।। अर्थात जो पुत्र माता-पिता की पूजा करके उनकी प्रदक्षिणा करता है, उसे पृथ्वी-परिक्रमाजनित फल सुलभ हो जाता है। आसने स्थापिते ह्यत्र पूजार्थं भवरोरिह। भवन्तौ संस्थितौ तातौ पूर्यतां मे मनोरथः।।अर्थात् ʹहे मेरे माता पिता ! आपके पूजन के लिए यह आसन मैंने स्थापित किया है। इसे आप ग्रहण करें और मेरा मनोरथ पूर्ण करें।ʹमनुस्मृति 2/121 के अनुसार अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।। अर्थात् जो माता पिता और गुरु जनों को प्रणाम करता है और उनकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों बढ़ते हैं। दीपज्योतिः परं ब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोઽस्तु ते।। यन्मातापितरौ वृत्तं तनये कुरुतः सदा। न सुप्रतिकरं तत्तु मात्रा पित्रा च यत्कृतम्।। ‘माता और पिता पुत्र के प्रति जो सर्वदा स्नेहपूर्ण व्यवहार करते हैं, उपकार करते हैं, उसका प्रत्युपकार सहज ही नहीं चुकाया जा सकता है।’ (वाल्मीकि रामायणः 2.111.9) में उल्लेख है कि माता गुरुतरा भूमेः खात् पितोच्चतरस्तथा। ‘माता का गौरव पृथ्वी से भी अधिक है और पिता आकाश से भी ऊँचे (श्रेष्ठ) हैं।’(महाभारत, वनपर्वणि, आरण्येव पर्वः 313.60) के अनुसार अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।। ‘जो माता-पिता और गुरुजनों को प्रणाम करता है और उनकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों बढ़ते हैं।’ मनुस्मृतिः 2.121) एवं पद्मपुराण भूमिखंड 62 , 74 में उल्लेख मिलता है कि मातापित्रोस्तु यः पादौ नित्यं प्रक्षालयेत् सुतः। तस्य भागीरथीस्नानं अहन्यहनि जायते।। ‘जो पुत्र प्रतिदिन माता और पिता के चरण पखारता है, उसका नित्यप्रति गंगा-स्नान हो जाता है। माता-पिता की पूजा दिवस प्रथम बार 14 फरवरी 2007 को गुरुकुल, अहमदाबाद में मनाया गया था। छत्तीसगढ़ में 14 फरवरी 2012 से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जा रहा है । 2013 में भुवनेश्वर के कुछ स्कूलों और कॉलेजों ने माता-पिता पूजा दिवस मनाना शुरू किया। 2015 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इसे एक आधिकारिक उत्सव बनाया। दक्षिणपंथी राजनीतिक दल अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने इस दिन का समर्थन किया। 14 फरवरी 2015 को, यह एक गैर सरकारी संगठन भारतीय युवा शक्ति द्वारा छत्रपति शिवाजी क्रीड़ा मंडल, नेहरू नगर , कुर्ला में बड़े पैमाने पर मनाया गया । इस आयोजन ने माता-पिता और बच्चों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक मूल्य प्रदान किए। 2015, 2016 और 2017 में जम्मू में सनातन धर्म सभा द्वारा मनाया गया था । 2017 में मध्य प्रदेश में जिला कलेक्टर ने स्कूलों, युवाओं के लिए एक नोटिस जारी किया और लोगों से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई । झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने 2018 में राज्य के 40,000 सरकारी स्कूलों में दिवस मनाने के लिए एक नोटिस जारी किया । 2018 में, गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने माता-पिता के प्रति सम्मान की पुष्टि करने के लिए माता-पिता पूजा दिवस मनाया। 2019 में, गुजरात के शिक्षा मंत्री, भूपेंद्रसिंह चुडासमा ने 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने की पहल की सराहना की। गुजरात शिक्षा विभाग ने स्कूलों को 14 फरवरी 2020 को माता-पिता की पूजा दिवस आयोजित करने के लिए निदेश जारी किया गस्य था। महाराष्ट्र , हरियाणा , ओडिशा , छत्तीसगढ़ , मध्य प्रदेश तथा अन्य राज्यों में राज्यों में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने एवं लोक निर्देश निदेशालय छत्तीसगढ़ में प्रत्येक वर्ष 14 फरवरी को माता-पिता पूजा दिवस के रूप में मनाया जाता है। माता-पिता को स्कूलों में आमंत्रित किया जाता है और बच्चे आरती करके और मिठाई खिलाकर उनकी पूजा करते हैं। मुस्लिम छात्रों ने 14 फरवरी को 'अब्बा अम्मी इबादत दिवस' मनाकर माता-पिता के लिए प्रेम का इजहार किया जाता है।
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