Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

बस आरजू है ,मेरी ऐ जिंदगी

बस आरजू है ,मेरी ऐ जिंदगी 

विभा सिंह
वो बचपन लौटा दो .....
कूछ खट्टी -कूछ ,मीठी 
दादी की थपकी ,दादा की  कंचे की टॉफी ....बहन -भाई की टोली ...
गाँव की पगडंडियों पर सरपट दौड़ना ,नीम की निबौली को चाव से खाना ......
वो पल बचपन के लौटा दो 
जब फिक्र नही थी जीने की 
सिर्फ जिद थी ,जुगनू की हथेलियों पर रखकर ,खुश हो जाता 
महरूम थी ज़माने ,के नखरे से 

वो पल बचपन के लौटा दो 
जब फिक्र नही थी जीने की 
ऐ मुकम्मल जहा से ,मगरूर 
निगाहें .....
सपने जब देखे ,खुली निगाहों से 
अब झुकी नजरे ,के स्फ्कत नजरे 
सवालिया नजरो से ,हजारो सवाल कर रहे है ..........
बेखौफ ज़माने से जीने की चाहत 
उम्र के पड़ाव ,मै वो कशिश की 
कतरा -कतरा ,सब आफ़ताब हो रहा है 
वो बचपन ,तितलियां को पकड़ 
जहा की खुशी ,छिपा-छिपाई 
रूठना मनाना ....
बस आरजू है ,मेरी ऐ ज़िदगी 
वो पल बचपन के लौटा दो 
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ