बस आरजू है ,मेरी ऐ जिंदगी
विभा सिंह
वो बचपन लौटा दो .....
कूछ खट्टी -कूछ ,मीठी
दादी की थपकी ,दादा की कंचे की टॉफी ....बहन -भाई की टोली ...
गाँव की पगडंडियों पर सरपट दौड़ना ,नीम की निबौली को चाव से खाना ......
वो पल बचपन के लौटा दो
जब फिक्र नही थी जीने की
सिर्फ जिद थी ,जुगनू की हथेलियों पर रखकर ,खुश हो जाता
महरूम थी ज़माने ,के नखरे से
वो पल बचपन के लौटा दो
जब फिक्र नही थी जीने की
ऐ मुकम्मल जहा से ,मगरूर
निगाहें .....
सपने जब देखे ,खुली निगाहों से
अब झुकी नजरे ,के स्फ्कत नजरे
सवालिया नजरो से ,हजारो सवाल कर रहे है ..........
बेखौफ ज़माने से जीने की चाहत
उम्र के पड़ाव ,मै वो कशिश की
कतरा -कतरा ,सब आफ़ताब हो रहा है
वो बचपन ,तितलियां को पकड़
जहा की खुशी ,छिपा-छिपाई
रूठना मनाना ....
बस आरजू है ,मेरी ऐ ज़िदगी
वो पल बचपन के लौटा दो
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com