सूर्य सप्तमी का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने युद्धिष्ठर को बताया था:-विजय शंकर मिश्र
प्रत्येक वर्ष की तरह अचला सूर्य सप्तमी के मौके पर भगवान सूर्य की विशेष पूजा सूर्य पूजा परिषद कार्यालय में शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के द्वारा कोविड नियमों का पालन करते हुए किया गया एवं परिषद के संस्थापक महासचिव सुरेश दत्त मिश्र एवं सदस्य परशुराम पाठक के निधन के शोक में पूजन कार्यक्रम सादगी से हुआ। समाज के लोग इस मौके पर कार्यालय में जुटे। साथ ही इस अवसर पर समाज के प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया।
अचला सूर्य सप्तमी पर मंगलवार को सूर्य पूजा परिषद कार्यालय, चाँदपुर बेला पटना में भगवान भास्कर के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मनाया गया जैसा की सभी को ज्ञात है माघ शुक्ल सप्तमी तिथि को अचला सूर्य सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में इस तिथि को रथ, सूर्य, भानु, अर्क, महती व पुत्र सप्तमी भी कहा गया है। हर साल परिषद के द्वारा अचला सूर्य सप्तमी के अवसर पर शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज भगवान भास्कर की सामूहिक अराधना करता है । इसी कड़ी में समाज के सदस्य सुबह से ही कार्यालय में एकत्र हो कर पूजन मंडप में सबसे पहले गौरी-गणेश पूजन व कलश स्थापना के बाद नवग्रह, शोडष मातृका, सप्त घृत, पंच लोकपाल, दस दिकपाल व क्षेत्रपाल की पूजा की गई। इसके बाद समाज के अराध्य देव सूर्य की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। भगवान सूर्य का हवन सूर्य सुक्त से किया गया। हवन के बाद पूणार्हूति की गई। इसके बाद सूर्यदेव को अर्ध्य दिया गया व मंगलाष्टक का सामूहिक पाठ किया गया। पूजन, हवन व पूणार्हूति के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
इसके बाद प्रतिभावान बच्चों के सम्मान का कार्यक्रम हुआ। जिसकी अध्यक्षता विजय शंकर मिश्र ने की, विशिष्ट अतिथि के रूप में भरत पाठक, एवं अनिल कुमार पाण्डेय मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत अभय मिश्र के द्वारा स्वस्ति पाठक एवं आदित्यहृदयस्तोत्रम् का पाठ करके किया। सूर्य सप्तमी का महत्व बताते हुए पंडित विजय शंकर मिश्र ने बताया कि सूर्य साक्षात देव हैं। उनकी अराधना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कामना की कि भगवान सूर्य देव सबको स्वस्थ और प्रसन्न रखें। सूर्य सप्तमी का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने युद्धिष्ठर को बताया था। इस तिथि को सूर्य का व्रत करने से साल भर के रविवार व्रत का पुण्य मिलता है। सूर्य व्रत करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। विशिष्ट अतिथि अनिल कुमार पाण्डेय ने कहा कि इस तिथि के बारे में मान्यता है कि इसी दिन सूर्य की प्रचंड किरणों को तराशकर देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने किरणों की ताप कम किया था। इसी दिन से भगवान सूर्य का नाम सहस्त्रांशु भी पड़ा था। अंत में समाज के पँ रमाकांत मिश्र ने आभार प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में, पं सुमन कुमार मिश्र, पं बिमल नारायण मिश्र, पं रमाकांत मिश्र, डॉ राकेश दत्त मिश्र, पं दिवाकर पाठक, पं विजय शंकर मिश्र, सच्चीदानंद मिश्र, अनिल कुमार पाठक, आदित्य मिश्र, अभय मिश्र, अमर दत्त मिश्र, लक्ष्मण पाण्डेय, अपर्णा पाठक, ममता पाण्डेय, सुनीता पाण्डेय इत्यादि लोग उपस्थित रहे।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
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