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वीर छत्रपति शिवाजी

वीर छत्रपति शिवाजी

निडर पराक्रमी वीर शिवाजी छत्रपति सम्राट हुए 
झुके नहीं कहीं वीर सिंह व्यक्तित्व विराट लिये

रणधीर पराक्रमी महायोद्धा महासमर में लड़ते थे 
छापामार युद्ध प्रणाली नित्य कीर्तिमान गढ़ते थे

नींव रखी मराठा साम्राज्य हिंद प्रबल पुजारी थे 
मुगलों से संघर्ष किया रणनीति शौर्य अवतारी थे

शिक्षा जीजाबाई से युद्ध कौशल प्रवीणता पाई 
गढ़ किले दुर्ग जीत शूर पराक्रम वीरता समाई

पूना का तोरण किला सिंहगढ़ दुर्ग सिंहनाद करें 
शौर्य पराक्रम सैन्य दल में ओज भरी हुंकार भरे

यश पताका चहूंदिशा में कीर्ति ध्वज जब लहराया 
कांप उठा मुगलों का आसन आदिलशाह घबराया 

अफजल खां सेनापति दगाबाज धूर्त था मक्कार 
वीर शिवाजी से टक्कर लेकर खा गया दुष्ट मार 

छत्रपति प्रताप देख मुगल सेना सब कांप गई 
रणवीरों का ओज दमकता तलवारे भी भांप गई

केसरिया बाना ले निकले तीर और तलवार लिए 
हाथों में भाला दमकता वीरों की रण हुंकार लिए

हिंदू धर्म रक्षक पुरोधा अदम्य साहस से भरपूर 
हड़कंप मचाया मुगलों में मंसूबे किये चकनाचूर 

धर्म ध्वज के संरक्षक पराक्रमी वीर शिवाजी थे 
भारत भूमि के गौरव प्रतापी जीतते हर बाजी थे

रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
प्रस्तुत की गई रचना स्वरचित व मौलिक है।
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