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संघ के समर्पित सेवक संजय जोशी

संघ के समर्पित सेवक संजय जोशी

(मनीषा स्वामी कपूर-हिन्दुुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • बेजोड़ संगठन क्षमता के मालिक हैं संजय जोशी
  • कार्यकर्ता उनसे खुलकर कहते हैं अपनी बात
  • समस्याओं को सुलझाने का उनका अपना है तरीका
  • कभी नहीं आया पद का अभिमान

संघ अर्थात् राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दीक्षा को पूर्णरूप से आत्मसात करने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संजय विनायक जोशी की संगठन क्षमता बेजोड़ है। यह भी सच है कि उनका जीवन संघर्षमय रहा है। संजय जोशी का मानना है कि पहली और सबसे बड़ी जीत खुद पर विश्वास रखना है। वे कहते हैं मन को स्वस्थ रखो, तन खुद स्वस्थ हो जाएगा। नेता जी सुभाष चंद्र बोस की यह सीख उन्हंे अच्छी लगती है कि ‘याद रखें- अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है। लाला लाजपत राय की यह बात भी वह अक्सर दोहराया करते हैं कि ‘नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो, जो अपने अनुयायियों से सदैव आगे रहता हो, जो साहसी और निर्भीक हो। इन दिनों देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में संजय जोशी की मतदाताओं को सलाह है कि मतदाता और उसका मत ही भारतीय लोकतंत्र या किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र का मूल आधार होता है। संघ के कार्यकर्ताओं से भी वे यही कहते रहते हैं कि राष्ट्र निर्माण में जैसे हर व्यक्ति का योगदान जरूरी है, संगठन को मजबूत करने में वैसे ही हर कार्यकर्ता का योगदान जरूरी है। वह कहते हैं कि संतोष सबसे बड़ा धन है और स्वास्थ्य सर्वोत्तम उपहार है। संजय जोशी ने अपने जीवन में मदन मोहन मालवीय जी का यह जीवन मंत्र अपनाया है कि ‘जो इंसान अपने स्वयं की निंदा सुन लेता है, वह सारे विश्व पर विजय प्राप्त कर लेता है।

अभी गत वर्ष 13 दिसम्बर को संजय जोशी प्रयागराज आये थे। उनका यह निजी दौरा था लेकिन भाजपा के भीतर की सियासत गरमा गयी थी। उन्हांेने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ वार्ता की थी। इससे पूर्व प्रयागराज एक्सप्रेस से आगमन पर कार्यकर्ताओं ने संजय जोशी का जोरदार स्वागत किया था। वह हंडिया में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए और वहीं से सुल्तानपुर के लिए रवाना हो गये थे। संजय जोशी ने केन्द्र और प्रदेश सरकार के कार्यों की तारीफ की तथा विधानसभा चुनाव में भाजपा की दुबारा जीत का दावा किया था।

सन् 1988 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गुजरात की भाजपा इकाई में आए संजय जोशी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच आत्मीयता का बंधन बांधा जो अब तक कायम है। वे भाजपा के एक ऐसे नेता हैं जो अपने मन की बात किसी को नहीं बताते लेकिन बिना किसी लोभ या लालच के निःस्वार्थ भाव से कार्यकर्ता के मन की बात को सुनना चाहते हैं। इतना ही नहीं, कार्यकर्ता के मन की बात को अधिकारियों तक पहुंचाते भी हैं। कार्यकर्ता का काम किस माध्यम से हो सकता है, इसका मार्गदर्शन भी वे करते हैं। आज के समय में नेता अपनी कुर्सी को बचाने के लिए ही सारे प्रयास करते रहते हैं, तब संजय जोशी जैसे नेता की याद आना स्वाभाविक है।

यह बिडम्बना ही कही जाएगी कि आज के नेता न तो कार्यकर्ताओं से मिलते हैं और न उनके बारे में सोचते हैं। इस प्रकार कार्यकर्ता अपने को असहाय समझने लगता है। कई कार्यकर्ताओं को यह कहते सुना गया कि कार्यकर्ताओं के मन की बात आपके अलावा कोई नहीं सुनता। संजय जोशी उसकी बात शांतिपूर्वक सुनते हैं। इससे कार्यकर्ताओं का मन हल्का भी हो जाता है और लगता है कि संगठन में कोई तो ऐसा है जो उनके दर्द को सुन रहा है। दुख बांटने से कम होता है। संजय जोशी जानते हैं कि अगर कार्यकर्ताओं के मन की बात नहीं सुनी गयी तो आने वाले समय में संगठन को बहुत बड़ा नुकसान भी हो सकता है।

कहा जा सकता है कि संजय जोशी भाजपा कार्यकर्ताओं के हृदय की धड़कन हैं। अगर कार्यकर्ता से कभी कोई गलती भी हो जाए तो वे बहुत ही प्यार से समझाते हैं। गलतियों को एहसास कराने का उनका तरीका भी अलग है। बताते हैं कि एक बार संजय जोशी चेन्नई से दिल्ली विमान से आने वाले थे। विमान सबेरे ही आने वाला था और जिन कार्यकर्ताओं को हवाई अड्डे पर उन्हंे रिसीव करने का दायित्व सौंपा गया था, वे सो गये और समय पर नहीं पंहुंच पाये। संजय जोशी का विमान आ गया और वहां कार्यकर्ताओं को न देखकर वे टैक्सी करके कार्यालय आ गये। कार्यकर्ताओं को बाद में उन्हांेने घड़ी दिलवाई ताकि वे समय का पालन ठीक से कर सकें। इस तरह की कई बातें कार्यकर्ता उनके बारे में बताया करते हैं।

संजय जोशी अपने कार्यकर्ताओं को बहुत ज्यादा स्नेह करते हैं। मिलते समय हर कार्यकर्ता को वे उसके नाम से बुलाते हैं। इससे कार्यकर्ता को लगता है कि इतना बड़ा नेता संजय जोशी मुझे व्यक्तिगत रूप से जानता है। इससे कार्यकर्ताओं में गर्व की अनुभूति होती है। संजय जोशी कार्यकर्ताओं से उनकी कुशल क्षेम के साथ घर-परिवार के बारे में भी पूछना नहीं भूलते। इससे कार्यकर्ता आत्मीयता महसूस करते हैं। कार्यकर्ताओं से जब नेता का इस तरह से लगाव हो जाता है, तभी वह बिना किसी झिझक के सही जानकारी देता है। संजय जोशी को देश के हर कोने की इसीलिए सटीक जानकारी रहती है। आमतौर पर देखा गया है कि कार्यकर्ता जब किसी नेता से मिलने जाते हैं, तब खुलकर संवाद नहीं कर पाते। एक झिझक जैसी रहती है। वे सोचते हैं कि पता नहीं कौन सी बात नेता को अच्छी न लगे। इसलिए नेता को सही जानकारी नहीं मिल पाती है। सही जानकारी न होने से नेता कभी-कभी गलत फैसला भी कर देता है जबकि संजय जोशी के पास सटीक जानकारी रहती है और कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ता है। संजय जोशी को यह गुण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिला है। वे संघ के ऐसे स्वयंसेवक है, जो अपने नाम से नहीं अपने काम से पहचाने जाते हैं। हर मौसम और हर परिस्थिति में एक सच्चे स्वयंसेवक के रूप में कार्य करते रहते हैं। आज के समय में ज्यादातर लोग अपने अधिकार के बारे में सोचते रहते हैं लेकिन संगठन के बारे में उनके कत्र्तव्य क्या है, संजय जोशी इसी को प्राथमिकता देते हैं। भारतीय जनता पार्टी के सर्वोच्च पद राष्ट्रीय महासचिव संगठन पद पर रहते हुए भी संजय जोशी में अभिमान नाम की कोई चीज नहीं रही। उन्हांेने वीआईपी कल्चर को कभी फटकने नहीं दिया। भेदभाव से हमेशा वह दूर रहे हैं। इसीलिए संगठन का एक दूसरा नाम संजय जोशी कहा जाता है। (हिफी)
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