ऑटो विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर
श्री महेंद्र नाथ पाण्डेय, केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री
ऑटो उद्योग: उन्नत, नई और स्वच्छ तकनीक की ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन सरकार भारत के विनिर्माण क्षेत्र को दुनिया का सबसे अधिक मांग वाला क्षेत्र बनाने के प्रयास कर रही है। सरकार ने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक समग्र और एकीकृत योजना तैयार की है जिसमें अनुपालन को कम करना, कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देना, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए बहु-मॉडल लॉजिस्टिक्स ढांचे का निर्माण करना और इन सबसे बढ़कर उत्पादन-सम्बद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) स्कीमों के माध्यम से विनिर्माण को बढ़ावा देना शामिल हैं। इन पीएलआई योजनाओं का उद्देश्य महंगे उत्पादों के लिए उद्योगों को क्षतिपूर्ति करना हैं क्योंकि उत्पादों का महंगा होना इस उद्योग के बड़े पैमाने पर विस्तार में सबसे बड़ी बाधा है।
हमारा "ऑटो उद्योग" पीएलआई स्कीम के लिए चिह्नित प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जो विनिर्माण की रीढ़ है और जिसे अक्सर "सनराइज सेक्टर" तथा "चैंपियन सेक्टर" भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बैकवार्ड और फारवार्ड लिंकेज काफी गहरे होते हैं। ऑटोमोटिव क्षेत्र का कामकाज मूलतः भारी उद्योग मंत्रालय देखता है, इसलिए हमने इस क्षेत्र के लिए ऐसी नीतियां और योजनाएं बनाई हैं जिनसे आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिले और भारत विश्व में ऑटो निर्माण में अग्रणी बन सके।
हमने इस उद्योग की मुख्य समस्याओं को समझने के लिए सभी संबंधित पक्षों के साथ व्यापक परामर्श किया और फिर ऐसी नीतियां तैयार कीं जिनसे भारत उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों, उन्नत रसायन सेल और पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ वाहनों के उत्पादन में अग्रणी बन सके।
पीएलआई स्कीम के तहत ऑटो सेक्टर के लिए 25,938 करोड़ रूपए, उन्नत रसायन सेल के लिए 18,100 करोड़ रूपए और हाइब्रिड तथा इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण और विनिर्माण यानी फेम स्कीम के लिए 10,000 करोड़ रूपए यानी कुल मिलाकर लगभग 54,000 करोड़ रूपए निर्धारित किए गए हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य ऑटो उद्योग में लागत अधिकता पर काबू पाना और इस उद्योग को इन क्षेत्रों में अग्रणी बन सकने योग्य बनाना है। इन योजनाओं के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स (ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स सहित) और सेमीकंडक्टर के लिए प्रोत्साहन स्कीमों के जुड़ जाने से ऑटो उद्योग को और अधिक फायदा होगा और भारतीय तथा विदेशी बाजारों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ऑटोमोटिव उत्पादों की आपूर्त- श्रृंखला मज़बूत हो सकेगी।
ये योजनाएं देश को पारंपरिक जीवाश्म ईंधन-आधारित ऑटोमोबिल परिवहन प्रणाली की तुलना में पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ, टिकाऊ, उन्नत और अधिक कुशल इलेक्ट्रिक वाहन को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी क्योंकि जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक वाहन के खरीदारों को फेम योजना के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पीएलआई स्कीम के माध्यम से ऑटो सेक्टर और उन्नत रसायन सेल के लिए आपूर्ति पक्ष को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ऑटो पीएलआई स्कीम शुरू करने से पहले, उद्योग जगत के साथ शुरुआती परामर्श से हमें यह समझने में काफी मदद मिली कि आंतरिक अक्षमता, प्रौद्योगिकीय कमी, स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के अभाव और बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था के कारण उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकियों के उत्पादन की लागत 15% बढ़ जाती है। इसलिए, मंत्रालय ने ऐसी योजना बनाई है जिससे पात्र कंपनियां 18 प्रतिशत तक प्रोत्साहन प्राप्त कर सकती हैं ।
इस नीति को लागू करने के बाद मैंने केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के अधिकारियों, नीति आयोग और ऑटो क्षेत्र के प्रमुख उद्योगपतियों के साथ गोवा में एक सत्र का आयोजन किया था। सत्र के दौरान उद्योग से प्राप्त प्रशंसा और सराहना असाधारण रूप से उत्साहजनक थी जिससे हमें विश्वास हुआ कि हम अपने वादों को पूरा करने में कामयाब हुए हैं और ऑटो उद्योग इस नीति से बहुत लाभान्वित होगा। इस योजना के तहत रिकॉर्ड 115 आवेदन प्राप्त हुए जो इस योजना को मिली अभूतपूर्व सफलता की एक और पहचान है।
ऑटो पीएलआई स्कीम के तहत दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि पर सरकार का खर्च 25,938 करोड़ रूपए आएगा। लेकिन इससे इस उद्योग में नए निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। रोज़गार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे, सो अलग। इससे ऑटोमोबाइल उद्योग को उच्चतर उत्पादों की मूल्य श्रृंखला में शामिल होने की प्रेरणा मिलेगी और हम ग्लास्गो शिखर सम्मेलन में हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने की ओर बढ़ सकेंगे।
हमने हाल ही में उन 20 आवेदकों की सूची जारी की है जिन्हें ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए पीएलआई योजना की चैम्पियन ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) स्कीम के तहत लाभ दिया जाना है। इस योजना पर 45,016 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। जिन ओईएम को चैम्पियन माना गया है, उनमें से 10 ओईएम यात्री वाहन निर्माता हैं और व्यावसायिक वाहन बना रहे हैं। इनमें चार ऐसे ओईएम भी हैं जो दुपहिए और तिपहिए वाहन बना रहे हैं जबकि 6 ओईएम ऐसे हैं जो गैर-ऑटोमोटिव निवेशक हैं। हमारा मंत्रालय अब "चैंपियन कंपोनेंट प्रोत्साहन योजना" के तहत प्रोत्साहन पाने वालों की सूची को अंतिम रूप दे रहा है। हम इसे जल्दी ही जारी करेंगे। ऑटो उद्योग इस समय अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और सरकार ऐसी नीतियों और योजनाओं पर काम करने के प्रति कटिबद्ध है जिनसे इस उद्योग के लिए इन परिवर्तनों को अपनाना सहज हो सके। सरकार को भरोसा है कि ऑटो उद्योग इन नीतियों का सर्वोत्तम उपयोग करेगा और हम ऑटो विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, ऑटो विनिर्माण एवं तकनीक में प्रगतिशीलता और जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के तीन महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।
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