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नचा रहा है समय

नचा रहा है समय

        ---:भारतका एक ब्राह्मण.
           संजय कुमार मिश्र"अणु"
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वो विजय हो या पराजय-
सबको नचा रहा है समय।।
      है ये सबसे बडा बलवान,
      है सबसे तुक्ष्य और महान,
      सदा रहता है वह निर्लिप्त-
      रहे कोई प्राणी या भगवान,
      हमेशा रहता है तटस्थ-
      बिना भेदभाव बिना संशय।।
कभी करता राजा कभी भिखारी,
सबको देता अवसर बारी-बारी,
करता है वह न्याय सबके साथ-
न सुनता कभी राग दरवारी,
देता सबको अपनी जिम्मेदारी-
करम करता सबका वो तय।।
       न सुनता एक किसीकी बात,
       न करता किसी का पक्षपात,
       सुनाता सत्य कर्म का फल-
       न पडता किसी के जज्बात,
      सीखाता सबको अपना कर्म-
      मिटाता सबका भव भय।।
रखना हो गर गर्वोन्नत माथ,
तो फिर चलो समय के साथ,
एक समय हीं सच्चा साथी-
जो अनाथों का भी है नाथ,
सब समय समय के साथी-
भुलाकर बुद्धि,विद्या, वय।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२
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