न्यू इंडिया: प्रौद्योगिकी दशक के रूप में अगले 10 वर्ष-राजीव चंद्रशेखर
(इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री,भारत सरकार)
मानवता के इतिहास की सबसे विकराल महामारी की त्रासदी से दुनिया धीरे-धीरे बाहर निकल रही है। इस वैश्विक महामारी ने दुनिया भर में जीवन, आजीविका और अर्थव्यवस्थाओं को व्यापक रूप से बाधित किया है। भारत को भी, जहां दुनिया की आबादी का लगभग 1/6 हिस्सा निवास करता है, पिछले 24 महीनों में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
ऐसा कहा जाता है कि मानव के व्यक्तित्व का आकलन तब नहीं किया जा सकता, जब वह आराम में हो और सुविधा के साथ जीवन यापन कर रहा हो, बल्कि आकलन का पैमाना यह होना चाहिए कि वह चुनौती और विवाद का सामना किस प्रकार करता है। पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने महामारी के दौरान अपने उल्लेखनीय कोविड प्रबंधन और सुदृढ़ नैदानिक व्यवस्था के लिए वैश्विक सम्मान प्राप्त किया। हमारे प्रधानमंत्री ने इसका नेतृत्व किया, अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के साथ मजबूती से खड़े रहे, मेड इन इंडिया वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों के लिए वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया और इस देश को एक नया दृष्टिकोण, एक नया आर्थिक विचार दिया-आत्मनिर्भर भारत या आत्मनिर्भरता। चीन द्वारा सीमाओं पर पैदा किये जा रहे खतरों और युद्ध जैसी स्थिति का भी दृढ़ संकल्प और विश्वास के साथ जवाब दिया गया। यह अमृतकाल- स्वतंत्रता दिवस के शताब्दी समारोह की ओर देश की अगले 25 वर्षों के दौरान यात्रा- के लिए आधार तैयार करता है।
महामारी पूर्व के वर्षों में, सरकार के सुधार कार्यों और नीतियों की पृष्ठभूमि में इस सहनशीलता को कोई छोटा उपाय नहीं माना जा सकता। डिजिटल इंडिया, वित्तीय क्षेत्र की बाधाओं को समाप्त करने जैसे कार्यक्रम भारत की सहनशील व्यवस्था को सुनिश्चित करने में बड़े कारक सिद्ध हुए। महामारी के दौरान घोषित सुधारों और अच्छी तरह से तैयार किए गए प्रोत्साहन पैकेजों के परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था अब दुनिया में सबसे तेज गति से वापसी करने वाली अर्थव्यवस्था बन गयी है। देश अब तक का सबसे अधिक एफडीआई आकर्षित कर रहा है और वस्तुओं के निर्यात व व्यापार में नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है। भारत 60,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप के साथ दुनिया के सबसे जीवंत और सबसे तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक है और इनमें 88 यूनिकॉर्न कंपनियां भी शामिल हैं। सिर्फ 2021 में, भारत में 42 कंपनियों को यूनिकॉर्न का दर्जा मिला और यह रुझान 2022 में भी जारी है। भारत की वापसी की क्षमता (बाउंस बैक)– जिस नाम से दुनिया अब इसे बुलाती है, मुख्य रूप से नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में किए गए शुरुआती निवेश के कारण संभव हुई है।
प्रधानमंत्री ने तीन स्पष्ट उद्देश्यों के साथ 2015 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारम्भ किया था:
o नागरिकों के जीवन में बदलाव लाना
o आर्थिक अवसरों का विस्तार करना और
o विशिष्ट प्रौद्योगिकियों में रणनीतिक क्षमता सृजित करना।
भारत न केवल अनुसंधान एवं विकास, तकनीकी विकास और नवाचार जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में, बल्कि नागरिकों के जीवन को सशक्त बनाने और बदलाव लाने के लिए भी प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में दुनिया के प्रमुख देशों में से एक बन गया है।
दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल आइडेंटिटी कार्यक्रम, आधार (132 करोड़ नामांकन); दुनिया का सबसे बड़ा प्रौद्योगिकी संचालित कोविड टीकाकरण कार्यक्रम (180 करोड़ से अधिक खुराक दी गई); दुनिया का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) कार्यक्रम; डिजिटल भुगतान में विश्व का अग्रणी देश (वित्तीय वर्ष 22 में 76 लाख करोड़ रुपये) और फिनटेक प्रौद्योगिकी- हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि पहले दो उद्देश्यों को काफी हद तक पूरा कर लिया गया है।
यह स्पष्ट है कि सरकार कोविड के बाद, उपभोक्ताओं के दैनिक जीवन तथा अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की गति को और तेज करने पर ध्यान देगी। प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष और आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं और भारत के 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ये महत्वपूर्ण अवसर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस अवसर का लाभ उठाने और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को और बढ़ावा देने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 6 स्पष्ट लक्ष्यों के साथ 1000 दिनों की एक विस्तृत दृष्टि योजना तैयार की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आने वाले वर्षों को भारत का प्रौद्योगिकी दशक कहा है, जो सर्वथा उचित है। सरकार और शासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग को नयी दिशा देने का यह सही समय है। सार्वजनिक सेवा वितरण को और बेहतर बनाने के लिए सरकार जल्द ही शासन में डिजिटलीकरण का अगला दौर शुरू करने जा रही है। प्लेटफ़ॉर्म स्तर की पहलों से बहुत प्रभाव पड़ा है, लेकिन इसके साथ ही "डिजिटल सरकार" पर आधारित दृष्टिकोण को अपनाने का समय आ गया है, जो सरकार की कार्यकुशलता में वृद्धि करेगा, कागज और फाइलों के उपयोग को कम करेगा, शासन को अधिक उत्तरदायी बनाएगा एवं सरकार के साथ नागरिकों के अनुभव में सुधार करेगा।
एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है- सभी भारतीयों को खुले, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह इंटरनेट से जोड़ना। भारत में 82 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता तथा 60 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा आपस-में-जुड़ा लोकतंत्र बनाते हैं। हम डिजिटल अवसंरचना (जैसे क्लाउड, डेटा सेंटर आदि), ब्रॉडबैंड की गति, उपलब्धता और पहुंच का विस्तार जारी रखना चाहते हैं, जो 6,50,000 गांवों के लिए आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार, बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों और हमारे स्टार्टअप नवाचार इकोसिस्टम द्वारा संचालित किया जा रहा है; जो एक तरफ इंटरनेट और उपभोक्ता से जुड़ी प्रौद्योगिकी तथा दूसरी तरफ डेटा, ब्लॉक चेन, एआई, इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन, सेमीकंडक्टर, सुपर कंप्यूटिंग जैसे विभिन्न नए क्षेत्रों पर आधारित अवसरों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में, भारत दुनिया में मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है। भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण में बड़े लक्ष्य निर्धारित किये हैं, क्योंकि कोविड के बाद की विश्व व्यवस्था को इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में नई विश्वसनीय मूल्य श्रृंखलाओं की जरूरत है। सरकार ने अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स महत्वाकांक्षाओं को व्यापक और गहन रणनीति के साथ फिर से तैयार किया है, जिसकी मदद से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण आज के 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025/26 तक 300 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। इसके अलावा, पीएम मोदी ने भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के निर्माण के लिए 76,000 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है। भारत के लिए अपार संभावनाएं हैं, जिनका हम दृढ़ता से अनुसरण कर रहे हैं और राज्य सरकारें भी इसे आगे बढ़ाने के लिए साझेदारी में कार्य कर रही हैं।
आने वाले दशक में, देशों के बीच प्रतिस्पर्धा का लाभ प्रौद्योगिकी कौशल और गति पर निर्भर करेगा, जिसके साथ कोई देश भविष्य की प्रौद्योगिकियों को विकसित करता है और इनका उपयोग करता है। भारत जिन रणनीतिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अग्रणी रहना चाहता है उनमें ब्लॉकचैन, एआई, साइबर सुरक्षा, वेब3.0 (ब्लॉकचैन), सेमीकंडक्टर, अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली, सुपरकंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग आदि शामिल हैं।हम दिलचस्प समय में रह रहे हैं- हमारे आसपास की दुनिया कोविड के बाद और हाल के रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद तकनीकी परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। भारत कोविड के बाद एक अधिक आत्मविश्वास वाले देश के रूप में उभर रहा है और इसकी नई महत्वाकांक्षाओं को करोड़ों युवा भारतीयों की ऊर्जा और जुनून से गति मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत और भारत के प्रौद्योगिकी दशक का विजन, भारतीय युवाओं के लिए अवसरों के उज्ज्वल भविष्य को रेखांकित कर रहा है। इन अवसरों और कौशल विकास पर उनके प्रोत्साहन का मतलब है कि हम आश्वस्त हो सकते हैं कि प्रत्येक युवा भारतीय के पास; अपना, अपने समुदाय एवं भारत के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करने के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं। यह समय है- भारत के लिए एक वैश्विक प्रौद्योगिकी और व्यापार शक्ति के रूप में उभरने का– न्यू इंडिया, जो दुनिया को वैश्विक मानकों के अनुरूप डिजिटल उत्पाद और सेवाएं प्रदान करता है तथा भारतीय लोकतंत्र और शासन को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
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