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श्री विद्यासागर की महिमा

श्री विद्यासागर की महिमा

संजय जैन "बीना" मुम्बई
गुरु की महिमा 
गुरु ही जाने।
भक्त उन्हें तो 
भगवान पुकारे।
जो भी श्रध्दा 
भाव से पुकारे।
दर्शन वो सब पावे।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को 
खुद समझ लो।।

कितने पावन 
चरण है उनके।
जहाँ जहाँ पड़ते
तीर्थ क्षैत्र वो बनते।।
ऐसे ज्ञान के सागर को।
सब श्रध्दा से 
वंदन है करते।।
ऐसे आचार्यश्री की
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को 
खुद समझ लो।।

क्षमा सुधा और 
योगसागर जैसे।
प्रतिभाशाली शिष्य है 
गुरुवर के।
चारो दिशाओं में 
ये विखरे है।
धर्म प्रभावना ये 
बड़ा रहे है।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को 
खुद समझ लो।।

जिन वाणी के 
प्राण है गुरुवर।
ज्ञान की गंगा 
बहती मुख से।
जो भी शरण 
इनके है आता।
धर्म मार्ग को 
वो समझ जाता।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को 
खुद समझ लो।।

बुन्देखण्ड की 
जान है गुरुवर।
घर घर में
बसते है मुनिवर।
धर्म प्रभावना बहाते
शान बुन्देखण्ड की कहलाते।
मोक्ष मार्ग का 
पथ दिखला कर।
आत्म कल्याण के 
पथ पर चलाते।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को 
खुद समझ लो।।

कितने पशुओं की
हत्या रुकवाये।
जीव दया केंद 
अनेक खुलवाये।
स्वभिलंबी बनाने को
कितने हस्तकरधा लगवाए।
इंसानों के प्राण बचाने
भाग्यादोय आदि खुलवाये।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को 
खुद समझ लो।।

शिक्षा दीक्षा के लिए
ब्रह्मचारी आश्रम और  
 प्रतिभा स्थली खुलवाये।
ज्ञान ध्यान पाकर के
बने तपस्वी और उच्चाधिकारी।
भ्रष्टाचार को ये 
लोग मिटावे।
महावीर राज ये 
फिर से बसावे।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को 
खुद समझ लो।।

जय जिनेन्द्र 
संजय जैन "बीना" मुम्बई
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