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स्वर्णिम बिहान लाया है

स्वर्णिम बिहान लाया है

 चैत्र नया साल नई उम्मीदें लेकर आया है।
हंसी- खुशी से स्वागत कर स्वर्णिम बिहान अब आया है।।

जो अतीत में तुमने खोया वर्तमान में पाना है।
लो संकल्प, विकल्प न कोई,  क्षण तनिक न तुम्हें गंवाना  है ।।

जो निराशा अवसाद ग्रस्त हैं, समय-मार से जो भी पस्त हैं।
उनके जीवन में आश जगाओ, जीवन की राह नई बताओ।।

तुम समर्थ हो, ऊर्जावान हो, बुद्धि- "विवेक" भी पाया है।
अब संशय मत करो, दो भगा जहाँ अंधेरा छाया है।।

    सौभाग्य मिला तुमको, समझो स्वर्णिम अवसर पाया है।
 हंसी-खुशी से स्वागत कर, नया साल अब आया है।।

     डॉक्टर विवेकानंद मिश्र डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोल बगीचा गया बिहारहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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