सपा ने निकाला कांटे से कांटा
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मतदान के दौरान लगाये जा रहे कयास सच साबित नहीं हो पाये। समाजवादी पार्टी के बारे में विशेष रूप से कहा जा रहा था कि अखिलेश यादाव ने इस तरह के समीकरण बनाये हैं जिससे भाजपा की दुबारा सत्ता में वापसी असंभव नहीं तो कठिन जरूर हो जाएगी। अखिलेश यादव ने अपनी बिरादरी का वोट एकजुट रखने के लिए चाचा शिवपाल से समझौता किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटों को साधने के लिए राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चैधरी से हाथ मिलाया और पूर्वांचल में ओमप्रकाश राजभर से समझौता किया। इतना ही नहीं कांटे से कांटा निकालने का प्रयास भी किया। इसी रणनीति के तहत भाजपा की सहयोगी अपना दल के दूसरे गुट की पल्लवी पटेल को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विरुद्ध चुनाव में खड़ा कर दिया। पल्लवी पटेल ने भाजपा के दिग्गज नेता माने जा रहे केशव प्रसाद मौर्य को पराजित भी कर दिया। अखिलेश यादव की पार्टी मुस्लिम बहुल बेल्ट से 65 में से 40 सीटें जीतकर लायी है। उसका मत प्रतिशत भी अच्छा रहा है लेकिन सरकार बनाने भर को विधायक नहीं मिल सके। इसके बावजूद अखिलेश यादव प्रदेश में सशक्त विपक्ष बनकर उभरे हैं और उनके महत्व को सत्तारूढ़ दल आसानी से नजरंदाज नहीं कर पाएंगे।
यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कौशांबी की हॉट सीट मानी जाने वाली सिराथू विधानसभा में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। इस सीट पर भाजपा को बड़ा झटका लगा है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हार का सामना करना पड़ा है। सपा की पल्लवी पटेल ने इस सीट पर 7337 वोट से जीत दर्ज की है। पल्लवी को 105559 वोट मिले है जबकि बीजेपी के केशव मौर्य (98727) को हार मिली है। सिराथू सीट पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और सपा की पल्लवी पटेल सहित कुल 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। सपा ने यहां कांटे से कांटा निकाला।
पल्लवी पटेल अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। कौशांबी की मंझनपुर विधानसभा के कोरीपुर में उनकी ससुराल है। पल्लवी इन दिनों अपने परिवार के साथ कानपुर में रहती हैं। समाजवादी पार्टी से अपना दल (कमेरावादी) का गठबंधन हुआ तो पल्लवी पटेल को सिराथू सीट से केशव प्रसाद मौर्य के सामने मैदान में उतारा गया। पल्लवी पटेल अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की बड़ी बेटी हैं। पिता के मरने के बाद उनकी बहन अनुप्रिया पटेल के बीच पारिवारिक विवाद हुआ तो पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। पल्लवी पटेल ने अपनी मां के साथ मिलकर अपना दल (कमेरावादी) का गठन किया जबकि अनुप्रिया पटेल ने अपने पति के साथ मिलकर अपना दल (एस) के नाम से पार्टी बना ली। अनुप्रिया पटेल ने भाजपा से गठबंधन कर 2017 में ही पार्टी को सीट जिताने में कामयाबी हासिल की थी। इस बार के चुनाव में भी अनुप्रिया भाजपा के साथ तो पल्लवी पटेल ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा।
सात चरणों में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का परिणाम आ चुका है। बीजेपी ने 37 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी ने चुनाव तो मजबूती से लड़ा, लेकिन सत्ता पर काबिज होने के लिए जरुरी जादुई आंकड़े से काफी दूर रह गई। जाहिर सी बात है हार के बाद समाजवादी पार्टी में चिंतन और मंथन भी होगा। जानकारों की माने तो समाजवादी पार्टी की हार के पीछे पांच अहम वजह रही, जिसमें प्रमुख हैं दल-बदलुओं को तरजीह, टिकट वितरण में देरी, उम्मीदवारों व संगठन के बीच समन्वय का अभाव और घोषणा पत्र में किए गए लोकलुभावन वादों को जनता तक पहुंचाने में असफलता। वहीं, अगर बीजेपी की बात करें तो मजबूत संगठन, विपक्षी दलों पर भारी पड़ा। इसके अलावा गरीबों को आवास, निःशुल्क राशन और महिला सुरक्षा माहौल पर जनता का भरोसा बीजेपी के साथ रहा। हालांकि समाजवादी पार्टी की हार में कई उपलब्धियां भी शामिल है। हार के बावजूद सपा को अब तक के सबसे ज्यादा वोट मिले। 2017 में सपा को करीब 21.82 फीसदी वोट मिले थे जबकि 2022 में सपा को करीब 32 फीसदी वोट मिले, आगे पूरा भ्रम टूट जाएगा। टिकट वितरण में लचर नीति पड़ी भारी जबकि समाजवादी पार्टी की हार के पीछे एक बड़ी वजह जो निकलकर सामने आ रही है उसमें काफी हद तक लचर रणनीति जिम्मेदार है। टिकटों की अदला-बदली ने प्रत्याशियों को ही नहीं समर्थकों को भी पशोपेश में रखा। आलम यह रहा कि नामांकन के अंतिम दिन तक असमंजस की स्थिति बनी रही।
अखिलेश यादव ने इस बार अपने घोषणा पत्र में इस बार कई लोक लुभावन वादे किए थे, जिन्हें लोग गेमचेंजर मान रहे थे। लेकिन समाजवादी पार्टी अपनी घोषणाओं और वादों को जनता के बीच तक पहुंचाने में असफल रही। सपा ने अपने घोषणा पत्र में 300 यूनिट बिजली फ्री, पुरानी पेंशन बहाली, संविदा व्यवस्था समाप्त करने एक लाख से ज्यादा रिक्त पदों पर भर्ती का वादा किया था। इसका असर यह हुआ कि सपा का वोट प्रतिशत तो बढ़ा, लेकिन चुनाव परिणाम पर इसका असर नहीं हुआ।
अखिलेश यादव ने चुनाव से ठीक पहले बीजेपी, बसपा और कांग्रेस के दल-बदलुओं पर भरोसा जताते हुए मुस्लिम और यादव वोटबैंक के अलावा अन्य जातियों को भी साधने की कोशिश की लेकिन चूक यह हुई कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। इतना ही नहीं दूसरे दलों से आए जाति विशेष के नेता भी अपनी-अपनी जातियों के वोट ट्रांसफर नहीं करवा पाए। यही वजह रही है कि स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे दिग्गज खुद अपनी सीट हार गए। इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड जीत के साथ दोबारा सरकार बनाने जा रही है। राज्य की 403 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके गठबंधन सहयोगियों ने इस बार 273 सीटें अपने नाम की हैं। इसमें दिलचस्प बात यह है कि भगवा दल ने मुस्लिम बेल्ट के तौर पर शुमार पश्चिमी यूपी की 25 सीटों पर जीत हासिल की है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां 65 में से 40 सीटें जीती थीं। ऐसे में बीजेपी की सीटें यहां घटी जरूर हैं, लेकिन फिर यहां 25 सीटों पर जीत को बेहतरीन ही माना जा रहा है। मुस्लिम बहुल इन 65 सीटों में से सपा-आरएलडी गठबंधन ने 40 पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी के खाते में 25 सीटें आईं। इन नतीजों पर करीबी नजर डालने पर एक बात पता चलती है कि मुस्लिमों का एकमुश्त वोट सपा गठबंधन को मिला है, वहीं बीजेपी ने बसपा के दलित वोटबैंक में सेंध लगा दी। माना जा रहा है कि बसपा के ही वोट से बीजेपी ने मुस्लिम बेल्ट बचाई जबकि सपा को पूरा समर्थन मिला। टिकट वितरण में देरी और सीटों की अदला-बदली में भी सपा उलझती चली गई। कुछ उम्मीदवारों ने तो शीर्ष नेतृत्व के करीबी नेताओं पर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप भी लगाया। इतना ही नहीं उन लोगों को टिकट थमा दिया गया जो कुछ दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए थे। इसका असर यह हुआ कि कुछ नेताओं ने बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के माध्यम से सेंधमारी कर दी। अखिलेश के लिए ये सबक महत्वपूर्ण होंगे।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com