होली में प्रियतम मैं तुमको रंगों की बौछार करूँ,
गालों में गुलाल रगड़कर,
इन्द्र धनुष सा प्यार करूँ।
महुआ गिरें अब कानन कानन,
अमुआं बैठी कोयल सा मल्हार करूँ।
पायलिया आंगन जब जब खनके,
अंग अंग झनकार भरूँ।
घर भीतर जब ओझल हो जाओ,
खिड़की से दीदार करूँ।
होली के रंग संग, बहे उमंग की सरिता,
तम कस्ती, मैं हाथों को पतवार करूं।
जीवन रंग चले खुशियों की होली,
दुख सुख में सपने साकार करूँ।
पल दो पल की झलक देखने
सारी उमर इंतजार करूँ ।
होली में प्रियतम मैं तुमको,
रंगों की बौछार करूँ,
गालों में गुलाल रगड़कर, .
इन्द्र धनुष सा प्यार करूँ।
राजेश लखेरा, जबलपुर।
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