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पोलैण्ड में भी वार्ता के केन्द्र होंगे मोदी

पोलैण्ड में भी वार्ता के केन्द्र होंगे मोदी

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • मोदी ने रूस की निंदा नहीं की, फिर भी हो रही तारीफ
  • इमरान ने अमेरिका की आलोचना की तो आ गया अविश्वास प्रस्ताव

यूक्रेन और रूस के बीच संघर्षपूर्ण विवाद में भारत की भूमिका को काफी महत्व दिया जा रहा है। आगामी 25 मार्च को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन संदर्भ में वार्ता करने पोलैण्ड जा रहे हैं। इस चर्चा में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रुख पर भी विचार होगा। ध्यान देने की बात है कि भारत रूस की निंदा करने से बच रहा है। रूस पर कई देशों के प्रतिबंध के बाद भी भारत ने सस्ती दर पर कच्चा तेल खरीदा है। भारत के रुख को फिर भी महत्व दिया जा रहा है। भारत में नियुक्त आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओफारेल ने पिछले दिनों पत्रकारों से कहा था कि क्वाड देशों ने भारत के रुख को स्वीकारा है। क्वाड देशों ने यह भी माना कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन संकट को खत्म करने के लिए अपने सम्पर्कों का उपयोग किया है। भारत पर किसी ने इस बात का आरोप नहीं लगाया कि यूक्रेन में रूस को कर रहा है, वो ठीक है। अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन पोलैण्ड के राष्ट्रपति आन्द्रेज डूडा से चर्चा करेंगे। उधर, चीन के राजदूत ने भी कहा है कि उनके देश ने अब तक रूस को हथियार नहीं भेजे हैं। भारत के पीएम मोदी ने आस्ट्रेलिया के पीएम से 21 मार्च को बात की और 29 कलाकृतियों को वापस लौटाने के लिए धन्यवाद दिया। इस प्रकार यूक्रेन पर भारत की विदेश नीति को समयोचित माना जा रहा है। जबकि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान यूक्रेन मामले में अमेरिका की निंदा करके बुरे फंस गये और उनकी कुर्सी छिनने की संभावना जतायी जा रही है। उनके खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव रखा है।

यूक्रेन और रूस के बीच का युद्ध अब बेहद खतरनाक हो चुका है। ऐसे में ज्यादातर देश यही उम्मीद लगा रहे हैं कि दोनों देशों के बीच का संघर्ष जल्द खत्म हो जाए। ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि ‘क्वाड’ के सदस्य देशों ने यूक्रेन में रूस के हमलों पर भारत के रुख को स्वीकार किया है। साथ ही, इस युद्धग्रस्त देश में संघर्ष को खत्म करने की अपील करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने संपर्कों का उपयोग करने से कोई भी देश नाखुश नहीं होगा। भारत में नियुक्त ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ फारेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘क्वाड देशों ने भारत के रुख को स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि हर देश के अपने द्विपक्षीय संबंध हैं और यह विदेश मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री मोदी की खुद की इन टिप्पणियों से स्पष्ट है कि उन्होंने यूक्रेन संकट को खत्म करने की अपील करने के लिए अपने संपर्कों का उपयोग किया है

ध्यान देने की बात है और यकीनन कोई भी देश इससे नाखुश नहीं होगा।

भारत रूस की आलोचना करने से बच रहा है। वहीं भारत के क्वाड पार्टनर्स- अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की जमकर निंदा कर रहे हैं। ऐसे में भारत से भी उम्मीदें की गई कि वो इस मसले पर अलग रूख अख्तियार करेगा लेकिन रूस के साथ पुरानी दोस्ती के चलते भारत अभी तक रूसी सेना के हमले पर सीधी प्रतिक्रिया देने से बचता दिखा है। एक सूत्र ने कहा, किसी ने भी भारत पर यूक्रेन में जो हो रहा है, उसका समर्थन करने का आरोप नहीं लगाया है। ऐसा लगता है कि भारत 65 साल पहले नेहरू द्वारा बताई गई नीति के तहत काम करने की कोशिश कर रहा है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानंमत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में शिरकत की। दोनों देशों के बीच होने वाले इस शिखर सम्मेलन में यूक्रेन संकट पर भी चर्चा हुई।

यूक्रेन संकट के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पोलैंड की यात्रा करने वाले हैं। व्हाइट हाउस की ओर से इस बात की जानकारी दी गई। व्हाइट हाउस के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति 25 मार्च को पोलैंड की राजधानी वारसॉ की यात्रा करेंगे, जहां वो पोलैंड के राष्ट्रपति के साथ एक द्विपक्षीय बैठक करेंगे। बैठक के दौरान चर्चा करेंगे कि कैसे यूक्रेन पर रूस के अनुचित और अकारण युद्ध के समय अमेरिका, अन्य सहयोगियों और भागीदारों के साथ, मानवीय संकट का जवाब दे रहा है। अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने गत दिनों को चेतावनी दी थी कि रूस को सैन्य या वित्तीय मदद मुहैया करने का फैसला करने पर चीन को गंभीर अंजाम भुगतना पड़ेगा। व्हाइट हाउस ने कहा है, ‘‘चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस को सहायता करने की स्थिति में चीन पर पड़ने वाले प्रभावों और परिणामों के बारे में विस्तार से बताया।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफिल्ड ने सीएनएन से एक साक्षात्कार में कहा कि शी के साथ अपनी बातचीत में बाइडेन स्पष्ट थे। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस जगजाहिर रुख को रखा कि यदि चीन ने रूसियों को सैन्य या वित्तीय सहायता मुहैया करने की कोशिश की तो उसे (चीन को) गंभीर अंजाम भुगतना पड़ेगा। अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा है कि उनके देश ने यूक्रेन में प्रयोग के लिए रूस को हथियार नहीं भेजे लेकिन चीन भविष्य में ऐसा नहीं करेगा, इस बात की संभावना से उन्होंने इंकार नहीं किया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फोन पर अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ लंबी बातचीत की थी। इस दौरान जो बाइडेन ने यह चेतावनी दी थी कि यूक्रेन के खिलाफ तेज होते रूसी हमलों के बीच अगर चीन, रूस को सामान मुहैया करवाएगा तो इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। सीबीएस पर पूछा गया कि क्या चीन रूस को पैसा या हथियार भेज सकता है? एंबेसडर चिन गैंग से मौजूदा स्थिति के बारे में कहा, यह एक गलत सूचना है कि चीन रूस को सैन्य सहायता दे रहा है। हम इसे खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, इसकी बजाय, चीन खाना, दवाईयां, सोने के लिए बिस्तर, बच्चों के खाने का सामान, भेज रहा है, किसी भी पार्टी को हथियार और बारूद नहीं भेज रहा। रूस की तरह ही चीन के संबंध भी अमेरिका के साथ अच्छे नहीं हैं। चीन ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना से बचने की कोशिश की है जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और दूसरे अधिकारियों ने चीन से यह अपील की थी। सीबीएस टॉक शो, फेस द नेशन में किन ने कहा कि बीजिंग लगातार शांतिवार्ता को बढ़ावा दे रहा है और तुरंत युद्धविराम की अपील कर रहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि जिस तरह की सार्वजनिक निंदा पश्चिम चाहता है, उससे कोई मदद नहीं मिलेगी। चीन का विदेश मंत्रालय कह चुका है कि पश्चिम को रूस की सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखना चाहिए। ऐसे कूटनीतिक माहौल में मोदी की विदेश नीति सामयिक है। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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