कृषि आय बढ़ाने के प्रयास
(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है। इसके दृष्टिगत अनेक स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि वर्तमान सरकार के द्वारा की गई। जनधन खातों के माध्यम से किसानों को शतप्रतिशत भुगतान भी सुनिश्चित हुआ। कृषि मंडी परिषदों को आधुनिक बनाया गया। इसके साथ ही वहां किसानों को सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। नीम कोटिंग से यूरिया की कालाबाजारी रोकी गई। कृषि कार्य हेतु यूरिया की उपलब्धता बढ़ाई गई। अनेक सिंचाई परियोजनाओं को पूरा किया गया। इसके अलावा जैविक कृषि और फसलों के विविधीकरण हेतु किसानों को प्रेरित किया गया। लखनऊ राजभवन में फल फूल शाक भाजी प्रदर्शनी के माध्यम से इसका सन्देश दिया गया। परम्परागत कृषि उत्पाद आवश्यक हैं लेकिन यहीं तक सीमित रहना जमीन और आय दोनों पर प्रतिकूल असर डालते हैं। पंजाब व हरियाणा जैसे प्रदेशों में पिछले कई दशकों से परम्परागत फसल ही ली जा रही है। विविधता का पूरी तरह अभाव है। इन प्रदेशों में जमीन की उपजाऊ क्षमता कम हो रही है। अत्यधिक रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार की बीमारियां भी जन्म ले रही हैं। किसानों को इस चक्र से बाहर निकलने की आवश्यकता है। किसानों की आय को दोगुना करने के सपने को पूरा किया जा रहा है।
केन्द्र एवं राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। किसानों की आय बढ़ाने में कृषि की लागत कम करते हुए उत्पादन में बढ़ोत्तरी तथा कृषि विविधीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे किसानों की आय तेजी से बढे़गी। किसान नए प्रयोगों और कृषि विविधीकरण से अपनी आय में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। कृषि संबन्धी प्राथमिकताएं भी बदली हैं। प्रदर्शनी में पारम्परिक फल,सब्जी,पुष्प के प्रदर्शन के अलावा जैविक फल,सब्जी, पुष्प का भी प्रदर्शन किया गया था गन्ना किसानों की मेहनत से आज भारत प्रचुर मात्रा में चीनी का निर्यात कर रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का भी बड़ा योगदान है। प्रदर्शनी के माध्यम से बताया गया कि परम्परागत कृषि उत्पाद के साथ ही विविधीकरण भी आवश्यक है। इससे किसानों की आय भी बढ़ती है,साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी बेहतर होती है। बागवानी के प्रति किसानों को जागरूक बनाने का यही उद्देश्य है। अधिक आय देने वाली फसलों के लिए प्रेरित भी किया गया है। देश के बहुत से किसान ऐसा कर भी रहे हैं। यह कार्य उपलब्ध संसाधनों में ही किया जा सकता है। बागवानी फसल व्यावसायिक रूप ले रही है। इन फसलों के उत्पादन की ओर कृषकों का रुझान बढ़ा है। औषधीय एवं सगंधीय फसलों के उत्पादन कटाई उपरान्त प्रबन्धन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन कार्यों से ग्रामीण अंचल में रोजगार की संभावनाओं में भी वृद्धि हो सकेगी। बदलते परिवेश में इस तरह के प्रयासों की मदद से पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है। कोरोना काल में औषधीय एवं सगंध पौधों की ओर जनमानस का ध्यान गया है। इससे बचाव में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा बहुत कारगर साबित हुआ। इस अवधि में चिकित्सा क्षेत्र के वैज्ञानिकों एवं आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये जाने हेतु औषधीय एवं सगंधीय पौधों के उपयोग पर बल दिया गया। ऐसा नहीं कि यह केवल आपदा के समय ही उपयोगी था। आयुर्वेद को नियमानुसार जीवनशैली में शामिल किया जा रहा है। पूरी दुनिया ने इसके महत्व को स्वीकार किया है। ऐसे में भारत के किसानों के आयुर्वेद संबधी उत्पादों पर ध्यान देना चाहिए।
प्रदर्शनी में केवल किसानों के लिए ही ज्ञान वर्धक जानकारी नहीं होती है। बल्कि कंक्रीट के नगरों में रहने वालों के मतलब का भी बहुत कुछ होता है। गमलों में पुष्प के अलावा सब्जी उगाने की भी जानकारी यहाँ मिलती है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गत दिवस राजभवन परिसर में आयोजित त्रिदिवसीय प्रादेशिक फल, शाक भाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा था कि प्रदर्शनी के माध्यम से फल, सब्जी, मसाला, औषधीय पौधे तथा फूलों आदि के गुणात्मक उत्पादन में विशेषज्ञों के द्वारा तकनीकी जानकारी दी जानी चाहिए। कृषि विश्वविद्यालयों को भी इसमें भूमिका का निर्वाह करना चाहिये। उन्हें किसानों तथा बागवानी में रूचि रखने वाले लोगों को प्रगतिशील कृषि के संबंध में जानकारी देनी चाहिए। प्रदर्शनी में सदाबहार पत्तियों व फूलों वाले गमले में शीतकालीन मौसमी फूलों, गमलों के कलात्मक समूह, गमलों में लगी शाकभाजी, औषधीय एवं सगंध पौधों तथा बोगनविलिया का प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी में महिलाओं, बच्चों एवं मालियों द्वारा की गयी कलात्मक साज सज्जा,शाक भाजी,फल एवं कट फ्लावर पान शहद एवं फल संरक्षण उत्पादों आदि का भी प्रदर्शन आकर्षण ढंग से किया गया है। राजभवन में यह तिरपनवीं प्रादेशिक फल शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी थी। इस प्रदर्शनी में प्रदेश के फल शाकभाजी,पुष्प एवं औषधीय फसलों की खेती करने वाले उत्पादकों ने अपने सजीव प्रदर्श प्रदर्शित किये थे। लखनऊ राजभवन में प्रतिवर्ष कृषि उत्पाद संबन्धी प्रदर्शनी लगाई जाती है। प्रदर्शनी के माध्यम से प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन के भी सन्देश दिया जाता है। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने इस तथ्य का उल्लेख किया। कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति एक पौधा लगाये और उसकी देख भाल करें तो देश में शुद्ध वायु एवं जल की कोई कमी नही होगी। बच्चों को भी प्रकृति संरक्षण का संस्कार देना चाहिए। जल स्रोतों तथा पेड़ पौधों के संरक्षण का हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। जैविक कृषि के प्रति किसानों का रुझान बढा है। आनंदीबेन पटेल ने प्रदर्शनी के समापन अवसर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किये। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश स्तरीय इस प्रदर्शनी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य बागवानी के क्षेत्र में हो रहे विकास नवीन किस्मों,उनकी उत्पादन तकनीक तथा संबंधित जानकारियों से जनसाधारण को अवगत कराना है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि इस बार प्रदर्शनी में अब तक एक लाख से अधिक उद्यान प्रेमियों ने भ्रमण किया है। देश में किसान प्रगतिशील खेती एवं उद्यान विधियों को अपनाकर कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। प्रतिभागियों द्वारा बड़ी संख्या में विविधता के साथ प्रदर्शनी में प्रतिभाग किया गया।
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