महिला प्रबंधक
बिना वेतन जो काम करे
न कोई छुट्टी न कोई गम।
बस समय पर काम करे
और लोगों को खुश रखे।
बता सकते हो ये कौन है
जो निस्वर्थ भाव से करती है।
ये और कोई नहीं घर की
एक महिला हो सकती है।।
हर मौसम की ये आदि है
सबसे बाद में सोती है।
पर सबसे पहले उठती है
और सबका ख्याल रखती है।
नित्य क्रियाओं से निवृत होकर
दिया भोग प्रभु को लगती है।
जिसे घर में सुख शांति
और बरकत बहुत होती है।।
यह सब अकेली महिला
हर दिन नियम से करती है।
खुद की चिन्ता कम पर
सब का ख्याल रखती है।
घर की कारंदा होकर
अपना फर्ज निभाती है।
बिना प्रबंधन की शिक्षा के भी
प्रबंध अच्छे से करती है।।
ये सब एक महिला ही
कर सकती है. . . ।।
महिला दिवस के अवसर पर मेरी रचना आप सभी के लिए प्रस्तुत है।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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