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महा युद्ध में महाविनाश का खतरा.....विभा सिंह

महा युद्ध में महाविनाश का खतरा.....विभा सिंह

आज रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हो रहा है, शंखनाद पूरी दुनिया सुन रही है! और यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह नहीं होगा जहां लोगों को बचाने के लिए कृष्ण होंगे यहां युद्ध होगा वैसा होगा आज के 2 लीटर में घमासान छिड़ी हुई है, वह कल हाथ मिलाकर अमन चैन से रहने का वादा करेंगे आज जो लीडरों खून के प्यासे हो रहे हैं कल दोनों एक दूसरे के प्यास बुझाने का समझौता भी करेंगे उनकी दिनचर्या चलती रहेगी
मगर हम भूल गए कि यहां लीडर का महत्वपूर्ण रोल नहीं है यहां पर उन जवानों का रोल है जो अपने मातृभूमि को बचाने के लिए सीमा पर युद्ध लड़ रहे हैं वहां पर उन मां का रोल है जिन्होंने अपने बच्चों के लिए सलामती के लिए दुआएं मांग रही हैं " जिन्होंने अपने बच्चे को उन्होंने अपने दूध से शीशा पिता और ने अपने खून से बढ़ाया बढ़ाया वह बच्चों आज इन लीडरों की प्यास बुझाने सीमाओं पर अपना बलिदान करने गए हैं उनकी मानसूनी आंखों से अपनी झोली फैला कर इंतजार कर रही है जो शायद कभी खत्म ना होने वाला इंतजार भी बन सकता है!
इतना ही नहीं उन पत्नी का रोल है जिन्होंने अपने पूरे परिवार को अपने पति के साथ रहने का वचन दिया था उन बहन भाई का रोल है जो अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर पूरे जीवन रक्षा करने का वचन बद्ध था
अतः इस युद्ध में किसी की फायदा या नुकसान की बात नहीं है और नहीं बात है वह रही है जीत हार की यहां पर बातें हो रही है, स्वार्थ इंसानियत की और उस प्यास की नहीं क्या युद्ध की हम जरूरत हैं!
भारतीय युद्ध होने के बाद देश की सामाजिक और आर्थिक संरचना विकृत होती है युद्ध के बाद समाज में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है इतना ही नहीं नैतिकता का हाथ होता है वह उसके भ्रष्टाचार बेरोजगारी चोर बाजी तथा अनैतिक कार्यों की वृद्धि देखी जा सकती है युद्ध के जानमाल की हानि होती है यह वह अलग व्यभिचार बढ़ जाता है युद्ध में रक्तवात होती है अराजकता स्थिति उत्पन्न हो जाती है l
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