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भारत के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में बैटरी भंडारण की भूमिका महत्वपूर्ण:-सुमंत सिन्हा

भारत के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में बैटरी भंडारण की भूमिका महत्वपूर्ण:-सुमंत सिन्हा

स्वच्छ ऊर्जा के लिए भारत में ऐतिहासिक परिवर्तन हम पर निर्भर है और देशतेजी से जलवायु लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ रहा है। हाल के निर्णयों से पता चलता है कि राष्ट्र अपने परिवर्तनकारी बदलाव के लिए बड़े कदम उठा रहा है: कॉप26 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता संबंधी ऐतिहासिक प्रतिबद्धताएक महीने पहले हरित बजट और हाल ही मेंहरित हाइड्रोजन नीति का पहला चरण।

ऊर्जा का भविष्य रोमांचक हैलेकिन इसे हासिल करने के लिए अक्षय ऊर्जा कंपनियोंनीति-निर्माताओंनिवेशकोंसार्वजनिक क्षेत्र एवं वित्तीय संस्थानों सहित विभिन्न हितधारकों के दृढ़ और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होगी।

केंद्र सरकार ने ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में ऊर्जा भंडारण की एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में पहचान की हैजो उचित है। यह महत्वपूर्ण हैक्योंकि भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा (आरई) उत्पादन को मौजूदा 12-13 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल उत्पादन के एक तिहाई से अधिक करने पर विचार कर रहा है। इसके माध्यम से नौ साल से भी कम समय में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में अभूतपूर्व 300 गीगावॉट की वृद्धि करना है।

अक्षय ऊर्जाप्रकृति और उसकी अनियमितताओं एवं आकस्मिक परिवर्तनों पर निर्भर करती है। इसलिएलागत प्रभावीतीव्र गति से और स्थायी तरीके से अक्षय ऊर्जा के इस विशाल उत्पादन को एकीकृत करने के लिएहमें ग्रिड की आवश्यकताओं के अनुसार बिजली को अवशोषित करनेभण्डार करने और फिर पुन: प्रवाहित करने के लिए आसानी से बदलने लायक भंडारण प्रणालियों की तत्काल आवश्यकता है।

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने अपने भारत ऊर्जा दृष्टिकोण 2021 में कहा: "दुनिया के लगभग किसी भी देश की तुलना में भारत को अपने बिजली प्रणाली परिचालन में आसानी से बदलने की क्षमता की अधिक आवश्यकता है।" रिपोर्ट में आगे कहा गया है: "बैटरी भंडारण विशेष रूप से अल्पकालिक आसानी से बदलने की क्षमता के अनुकूल हैक्योंकि भारत कोदिन के मध्य में सौर-ऊर्जा के सर्वाधिक उत्पादन और शाम की सर्वाधिक मांग के बीच तालमेल बिठाने की आवश्यकता है।"  

पिछले 10 वर्षों मेंभारत की अक्षय ऊर्जा यात्रा की कहानी बहुत ही प्रभावशाली है। यदि केवल सौर ऊर्जा पर विचार करेंतो यह 2011 के मात्र 35 मेगावाट से बढ़कर 2021 में 35,000 मेगावाट हो गया। उद्योग ने अपनी भूमिका जरूर निभाई हैलेकिन पिछले एक दशक में हुए स्मार्टउत्तरदायी और अनुकूल नीति निर्माण को भी इस श्रेय का हकदार माना जाना चाहिए। चूंकि आरई राष्ट्रीय ग्रिड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया हैबैटरी भंडारण क्षेत्र भी अपनी भूमिका को विस्तार देना चाहता है।

बैटरी भंडारण क्षेत्र: भारत के उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण

दुनिया के सबसे बड़े तालमेल वाले ग्रिडों में से एक के साथभारत में परिवर्तनशील उत्पादन और मांग-पैटर्न के लगातार बदलते रहने में वृद्धि देखी जा रही हैजिनकी वजह से ग्रिड संतुलन में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना होगा। मांग और आपूर्ति में ये असंतुलन मौसम-आधारित और दैनिक आधार परदोनों ही स्तरों में मौजूद है। मौसम-आधारित मांग को बाजार द्वारा सर्वोत्तम तरीके से पूरा किया जाता हैदैनिक बदलावों का समाधान बैटरी भंडारण द्वारा किया जा सकता है।

दुनिया भर मेंबैटरी तेजी से 'सभी उद्योगों के लिए महत्वपूर्णसमाधान के रूप में उभर रही है और ग्रिड प्रबंधन के साथ-साथ बिजली क्षेत्र के विभिन्न उप-क्षेत्रों: वितरणपारेषण और उत्पादन से जुड़े प्रणाली संचालकों/वितरण कंपनियों द्वारा योजना बनाने के लिए अभिन्न हिस्सा बनती जा रही है।

ऑस्ट्रेलिया में100 मेगावाट होर्न्सडेल पॉवर रिज़र्व कई अनुप्रयोगों जैसे आवृत्ति समर्थनविभिन्न बाज़ारों में खरीद-बिक्रीऊर्जा स्थानांतरणनवीकरणीय को अनुरूप बनाना आदि एकदम नए क्षेत्रों से राजस्व प्राप्त कर रहा है और छोटी अवधि में ही इसे अपनी कुल लागत वापस मिल गयी है।      

कुल मिलाकरबैटरी भंडारण का उपयोग मुख्य रूप से तीन बुनियादी अनुप्रयोगों को व्यापक रूप से पूरा करने के लिए किया जा रहा है। ये हैं- आवृत्ति प्रतिक्रिया प्रबंधनऊर्जा स्थानांतरण या विभिन्न बाज़ारों में खरीद-बिक्री और मध्य/लंबी अवधि के ऊर्जा भंडारण।

अच्छी खबर यह है किपिछले एक दशक के दौरानबैटरी भंडारण की लागत में तेजी से कमी आई है और निकट भविष्य में और कमी आने की उम्मीद है। यूएस और यूके जैसे देशों में पहले से ही उदाहरण मौजूद हैंजहां बैटरी भंडारण ग्रिड नेटवर्क के उतार-चढ़ाव और विश्वसनीयता का आर्थिक रूप से व्यवहार अनुकूल स्रोत प्रदान करती है।

व्यापक और संकेत देने वाले अवसर  

भारतीय बैटरी भंडारण की मांग में बिजली-संचालित परिवहन व्यवस्था के साथ-साथ अन्य  भंडारण आवश्यकताओं तेजी आयेगी। नीति आयोग के अनुसारभारत का बैटरी भंडारण बाजार 2030 तक 1000 गीगावॉट/घंटा से अधिक होने की उम्मीद हैजो वर्तमान के मामूली स्तर से बढ़कर कुल बाजार मूल्य के रूप में 250 बिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंच जाएगा।

1000 गीगावॉट/घंटा में सेअकेले बिजली क्षेत्र की मांग करीब 150 गीगावॉट/घंटा होने की उम्मीद हैइससे परियोजनाओं में 60 बिलियन डॉलर का पूंजी निवेश होगा। कुल 1000 गीगावॉट/घंटा क्षमता की स्थापना के लिएहमें अगले पांच से छह वर्षों में लगभग 16.5 बिलियन डॉलर के विनिर्माण निवेश की आवश्यकता होगी। यह प्रति वर्ष लगभग 150 गीगावॉट/घंटा की क्षमता में तब्दील हो जाएगाजिससे विनिर्माण और निर्माण में हजारों नौकरियां पैदा होंगी।

वैश्विक अनुभवस्थानीय सीख?                             

बैटरी भंडारण निर्माण में वैश्विक क्षमतापिछले एक दशक में सात गुना बढ़ी है। चीन की 78 प्रतिशत हिस्सेदारी हैजबकि जापान और कोरिया बहुत छोटे हिस्सेदार हैं। बैटरी निर्माण के लिए एक प्रमुख निवेश केन्द्र के रूप में यूरोप भी तेजी से उभर रहा है।

ब्लूमबर्ग के अनुसारअभी कुल विनिर्माण क्षमता लगभग 1,500 गीगावॉट/घंटा है। उम्मीद है कि यह 2030 तक बढ़कर लगभग 4,700 गीगावॉट/घंटा हो जाएगा। वर्तमान मेंचीन अकेले कुल विनिर्माण क्षमता का लगभग 75 प्रतिशत (1,100 गीगावॉट/घंटा) का हिस्सेदार है और आगे भी प्रमुख हिस्सेदार बना रहेगालेकिन इसकी हिस्सेदारी में कमी आने की संभावना हैजो नए दशक की शुरुआत तक कम होकर 64 फीसदी रह सकती है। चिलीपेरू और बोलीविया जैसे देशों में महत्वपूर्ण खनिज खदानों के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ रणनीतिक गठजोड़ के जरियेचीन ने दुनिया के बाकी देशों की तुलना में यह प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल किया है।

जहां तक यूरोप की स्थिति हैविनिर्माण के लिए आपूर्ति श्रृंखला चीन की तरह मजबूत नहीं हैलेकिन बैटरी की मांग बढ़ रही है और कई गीगा-कारखाने जल्द ही सामने आएंगे। यह मांगबिजली संचालित परिवहन प्रणाली तथा ग्रिड-स्केल भंडारण को अपनाने से प्रेरित है। यूकेफ्रांस एवं जर्मनी जैसे देशों में सहायक सेवाओं के लिए स्पष्ट और सुस्थापित बाजार हैंजिन्हें बड़े पैमाने पर बैटरी भंडारण के उपयोग करने की आवश्यकता है।

भारत के लिए चुनौतियां

भारत नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने अक्षय ऊर्जा में विस्तार कर रहा है और इसके लिए बैटरी भण्डारण एक महत्वपूर्ण कारक है। हालांकिचीन और यूरोप सहित वैश्विक पृष्ठभूमि को देखते हुएविभिन्न चुनौतियों का समाधान जरूरी है:

 भंडारण के लिए सही मूल्यांकन

निवेश को आकर्षित करने और एक सक्षम इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिएयह आवश्यक है कि बैटरी भंडारण परियोजनाएं निवेश अनुकूल होने के लिए पर्याप्त राजस्व प्राप्त करें। दुनिया भर मेंइस तरह की परियोजनाओं को राजस्व के विभिन्न आय स्रोत जैसे आवृत्ति प्रबंधन सेवाओंकीमत के उतार-चढ़ाव संबंधी बाजार संचालन और एक ही परिसंपत्ति से अक्षय ऊर्जा उत्पादन की परिवर्तनशीलता को नियंत्रित करने आदि के लिए डिज़ाइन किया गया है। हालांकिभारत मेंइनमें से अधिकांश उपयोग के कार्य या तो मौजूद नहीं हैं या निजी निवेश के लिए नहीं खोले गए हैं या भंडारण परियोजनाओं को व्यावहारिक बनाने के लिए उचित आय प्रदान नहीं करते हैं।

● उच्च अग्रिम लागत

ऊर्जा भंडारण एक गैर-उत्पादक संपत्ति है और इसकी लागत को कम करने की कोई भी पहल इसे व्यावहारिक बनाने में मदद करेगी। हालांकिबैटरियों पर वर्तमान में करों और शुल्कों के साथ भारी टैक्स लगाया जाता हैजो कुल मिलाकर 40 प्रतिशत से अधिक है। इसके परिणामस्वरूप बिजली दरों में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है।

● कच्चे माल के लिए और योजनाएं बनाने की आवश्यकता

बैटरी निर्माण के लिए आपूर्ति श्रृंखला को चार अलग-अलग चरणों में विभाजित किया जा सकता है: कच्चे माल का खननकच्चे माल का शोधनसेल निर्माणऔर मॉड्यूल को पैक करना। सेल निर्माण और बाद मेंबैटरी में उपयोग के कच्चे माल के परिशोधन को मोटे तौर पर पीएलआई योजना में शामिल किया हैभारत में लिथियमनिकल और कोबाल्ट जैसे कच्चे माल की नियमित व आसान उपलब्धता को मुख्य चुनौती के रूप में देखा जा सकता है।

आगे का रास्ता?

●  भंडारण के लिए बाजार निर्माण

भंडारण का प्रभावी उपयोगन केवल उत्पादन परियोजनाओं के साथ बल्कि पारेषण और वितरण सहित पूरे बिजली इकोसिस्टम के सभी स्तरों पर होता है। जहां कहीं भी बैटरी भंडारण लगाया जाता हैअधिकतम परिसंपत्ति उपयोग के लिए अनुप्रयोगों के पूरे मूल्य को प्राप्त करना सबसे जरूरी होता है। इसलिएयह महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा भंडारण के लिए कई अनुप्रयोगों को विकसित करने और उनके लिए बाजार बनाने के लिए सही नीतियां तैयार की जाएं।

इसके अलावाचूंकि भंडारण प्रणालियों की लागत में भारी कमी आई हैऔर यह जारी भी रहेगीइसलिए महत्वपूर्ण है कि लंबी अवधि के लिए योजना बनाते समयभंडारण सेवाओं के लिए भागीदारी के अवधि छोटी रखी जाए।

● कर और शुल्क में छूट

जैसे केंद्र सरकार ने पूंजीगत उपकरणों के लिए सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क पर रियायत/छूट देने के माध्यम से अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लिए एक मजबूत संभावित मांग बनाने में मदद कीबैटरी भंडारण के लिए भी इस सन्दर्भ में विचार किया जाना चाहिए। सरकार ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को सबसे कम जीएसटी श्रेणी (5 प्रतिशत) में रखने और शुरुआती कुछ वर्षों में आयात शुल्क को समाप्त करने पर विचार कर सकती है। बैटरी निर्माण में आत्मनिर्भर होने के साथ टैक्स को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावापारेषण छूट और ब्याज दर सब्सिडी से उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की प्रति यूनिट लागत को कम रखने में मदद मिलेगी।

इसके अतिरिक्तशुरुआती कुछ परियोजनाओं के लिएनिवेशकों और ग्रिड संचालकों को आकर्षित करने के लिए लागत-आय अंतर के सन्दर्भ में वित्तीय सहायता पर विचार करना उचित होगा। इसके साथ हीऔर भंडारण संचालकों के लिए नियमित राजस्व प्राप्ति को प्रोत्साहित करने को ध्यान में रखते हुएअगले तीन से पांच वर्षों के लिए भंडारण प्रणाली से भेजी गई ऊर्जा की प्रत्येक इकाई के लिएअतिरिक्त अक्षय ऊर्जा प्रमाण पत्र प्रदान किए जा सकते हैं।

●  रणनीतिक आपूर्ति श्रृंखला और प्रौद्योगिकियों की सम्पूर्ण श्रेणी      

सरकार उन महत्वपूर्ण खनिजों के लिए रणनीतिक आपूर्ति श्रृंखला पर विचार कर सकती हैजिनका उपयोग बैटरी बनाने में किया जाता है। आपूर्ति श्रृंखलाऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी के रूप में हो सकती है। एक ऐसे इकोसिस्टम पर विचार किया जा सकता हैजो वैकल्पिक भंडारण प्रौद्योगिकियों जैसे कि फ्लो बैटरीसोडियम आयनसोडियम सल्फर और संपीड़ित वायु ऊर्जा प्रणालियों के विकास को सक्षम बनाता है। यह महत्वपूर्ण हैक्योंकि ये सभी प्रौद्योगिकियां सोडियमसल्फरवैनेडियमस्टील और आयरन जैसे खनिजों का उपयोग करती हैं जो भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके अलावायह अधिक उत्सर्जन वाली आपूर्ति की आवश्यकता को भी काफी हद तक कम करती है।

सोडियम आयन जैसी भंडारण तकनीकों का उपयोग कम से मध्यम अवधि के भंडारण के लिए किया जाता हैक्योंकि इस प्रौद्योगिकी की लिथियम की तुलना में लागत कम होती है। सोडियम सल्फर बैटरी आम तौर पर चार से छह घंटे ऊर्जा अधिकतम स्थानांतरण को पूरा कर सकती है। संपीड़ित ऊर्जा भंडारण लंबी अवधि के भंडारण की जरूरतों को पूरा करता है- छह घंटे से अधिक की अवधि के लिए- जो अति महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए आवश्यक होते हैं और प्रदूषण फैलाने वाले बड़े डीजल के बदले उपयोग में लाये जा सकते हैं।

भारत अपनी संपूर्ण विद्युत संरचना का पुनर्गठन कर रहा हैनेट जीरो लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रों और उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भंडारण समाधानों की सम्पूर्ण श्रृंखला की आवश्यकता होगी।

विनिर्माण इकोसिस्टम के अलावागुणवत्ता एकीकरण और मज़बूत सॉफ्टवेयर विश्लेषण के साथ प्रदर्शन पर ध्यान केन्द्रित करने सहित तैनात किये जाने से सम्बंधित संरचना विकसित करना महत्वपूर्ण है। यह अनुमान लगाते हुएपूरी दुनिया में बैटरी भंडारण की अग्रणी कंपनीयूएस की फ्लुएंसस्थानीय भंडारण समाधान प्रदान करने के लिएरीन्यू पावर के साथ भागीदारी में भारत में संयंत्र स्थापित कर रही है।

यह स्पष्ट है कि भारत की नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव के लिए बैटरी भंडारण महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ मेंनीति निर्माताओं को नीति निर्माण संबंधी अपने प्रेरक अभियान को जारी रखने की आवश्यकता हैजैसा कि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में पवन और सौर ऊर्जा के लिए किया है। हाल के बजट और हरित हाइड्रोजन के लिए भी नीतियां बनायी गयी हैं। इसे अंतिम रूप दिए जाने की आवश्यकता है कि जब नवीकरणीय ऊर्जा से बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा प्राप्त होता हैतो किन कारकों से ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित होगी। कई विकल्प हैंजैसे करों और शुल्कों में कमीएक स्थानीय विनिर्माण इकोसिस्टम का निर्माण आदिजिनका उपयोग बाद में राजकोषीय लाभों को क्रमिक रूप से कम करने के लिए किया जा सकता है। बैटरी इकोसिस्टम के विकसित होने के साथ सरकार और उद्योग को भी एक स्थायी दृष्टिकोण अपनाने को लेकर विचार करना चाहिए।

भारत द्वारा ऊर्जा के नए विकल्पों को अपनाने और कार्बन-उत्सर्जन कम करने के संकल्प में  बैटरी भंडारण की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सभी हितधारकों के प्रयासों की आवश्यकता है। सरकार ने अपनी इच्छा और कार्य-क्षमता लोगों के समक्ष रखी है। शुरुआत पहले ही की जा चुकी है: भारत ने केवल एक दशक में अक्षय ऊर्जा की क्षमता में 150 गीगावॉट की वृद्धि की हैजिसे किसी भी पैमाने के सन्दर्भ में एक उल्लेखनीय उपलब्धि कहा जा सकता है। उद्योग जगत के साथ-साथ अन्य हितधारकों को भारत को एक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिएताकि तेज विकास और हमारे लोगों के स्वास्थ्य के बेहतर परिणाम मिल सकें। यह अब कोई विकल्प नहीं है। यह बहुत जरूरी है।

सुमंत सिन्हा रीन्यू पावर के अध्यक्ष और सीईओ तथा एसोचैम के अध्यक्ष-नामित हैं।
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