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शैलजा ने बतायी हकीकत

शैलजा ने बतायी हकीकत

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • पार्टी से बड़ा समझते हैं कांग्रेस के नेता
  • एआईसीसी भी नहीं देती तवज्जो

कांग्रेस में बीमारी ही नहीं, महाबीमारी है और इसका इलाज श्रीमती सोनिया गांधी को करना होगा। आगामी चुनावों में कांग्रेस को बेहतर स्थिति में लाना है तो वहां के नेताओं की शिकायत सुननी पड़ेगी। हरियाणा में पार्टी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने प्रदेश में संगठन के कमजोर होने का स्पष्ट कारण बताया। उनका साथ कुलदीप बिश्नोई और किरण चैधरी ने भी दिया। इन सभी नेताओं ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस का संगठन इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने साथ नहीं दिया। कुमारी शैलजा ने यहां तक कह दिया कि उनकी समस्या को हाईकमान अर्थात् एआईसीसी की तरफ से भी तवज्जो नहीं दी गयी। शैलजा ने राहुल गांधी के सामने ही यह सब बातें कही हैं। उन्हांेने कहा कि कुछ नेता यहां अपने को पार्टी से भी बड़ा मानते हैं। ध्यान रहे कि हरियाणा में कांग्रेस के पास 2005 में 67 विधायक हुआ करते थे लेकिन इसके बाद विधायकों की संख्या लगातार कम होती चली गयी। कांग्रेस की आंतरिक कलह वाले राज्यों में हरियाणा अब आगे की पंक्ति में खड़ा हो गया है।

यह सच है कि खेमों में बंटी हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का बंटाधार उसी के नेता करने में जुटे हुए हैं। हरियाणा में बात कंट्रोल से बाहर हुई तो 25 मार्च को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के सभी सीनियर नेताओं को तलब किया और आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी खत्म कर संगठन को मजबूत करने के तरीकों पर सुझाव मांगे, लेकिन सुझाव के बहाने नेताओं ने अपने तरकश से तीर निकाल एक-दूसरे पर निशाना साधना शुरू कर दिया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली, वह काफी चैंकाने वाली है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेन्द्र हुड्डा को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा, कुलदीप बिश्नोई और किरण चैधरी ने कटघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और आरोप लगाए कि प्रदेश में कुछ नेता खुद को कांग्रेस से बड़ा समझते हैं। पीसीसी अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने संगठन न बनाए जाने का कारण बताते हुए खुलकर कहा कि उन्हें न तो हुड्डा खेमे की तरफ से सहयोग मिला और न ही बार-बार गुहार लगाने के बावजूद एआईसीसी की तरफ से कोई मदद मिली। शैलजा ने मुखर होते हुए राहुल गांधी के सामने ही कहा कि कुछ नेताओं ने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई को मजबूत करने में कभी सहयोग नहीं किया। पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने इसका खंडन किया, लेकिन जब कुमारी शैलजा ने यहां तक कह डाला कि कुछ नेता भाजपा की जीत पर मुख्यमंत्री के साथ मिठाई खाते हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना दोस्त बताते हैं। इस पर पलटवार करते हुए हुड्डा ने कहा कि राजनैतिक व्यक्ति का सामाजिक जीवन भी होता है और शिष्टाचार के नाते ये कोई गलत बात नहीं है। राहुल गांधी जी भी सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गले मिले थे। एआईसीसी सदस्य कुलदीप बिश्नोई ने भी मीटिंग में अपने तेवर दिखाए और नॉन-जाट नेतृत्व की हिमायत करते हुए कहा कि उन्होंने प्रदेश में एससी और बैकवर्ड समाज को एकजुट किया है। इस पर सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने पलटवार करते हुए कहा कि पार्टी को सर्वसमाज को साथ लेकर चलना है। मुझे भी मेरे लोकसभा क्षेत्र से नॉन-जाट की बहुत वोट मिलती हैं। अगर ऐसा नहीं है तो वे बताएं कि हिसार से उनके बेटे भव्य बिश्नोई ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, उसमें कितनी वोट मिली? कुलदीप बिश्नोई ने ये भी कहा कि 2005 में कांग्रेस पार्टी ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद 2009 में घटकर 40 हुई और 2014 में सिर्फ 15 रह गई। इस पर जवाब देते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 2019 में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की बदौलत ही पार्टी 31 सीटें जीत पाई। इस आरोप-प्रत्यारोप के दौरान राहुल गांधी शांत नजर आए और सबकी सुनते रहे। पूर्व सीएलपी लीडर किरण चैधरी ने सवाल उठाया कि उनके क्षेत्र में ‘टीम दीपेन्द्र’ सक्रिय है। इसका क्या मतलब है, कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में ही सभी गतिविधियां होनी चाहिए। ये टीम उनके राजनैतिक विरोधियों को साथ लेकर चल रही है। इस पर दीपेन्द्र हुड्डा तो कुछ नहीं बोले, लेकिन पूर्व मंत्री महेन्द्र प्रताप ने जरूर प्रतिक्रिया दी और कहा कि अगर कोई पार्टी को मजबूत कर रहा है तो इसमें गलत क्या है। हालांकि, इसके अलावा भी बहुत सारी बातें हुई, जोकि कांग्रेस की कलह को जगजाहिर करती हैं। हाईकमान ने सबको आश्वासन देकर मैनेज करने की कोशिश की। इस पर कांग्रेसियों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी और मीटिंग से बाहर आकर जिस तरह से राहुल गांधी के साथ हंसकर फोटो खिंचवाया गया, वह देखने में तो एकजुट कांग्रेस का संदेश देता है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर थी। अब ये चुनौती राहुल गांधी और सोनिया गांधी के सामने है कि इससे कैसे निपटे।

कांगे्रस पर सत्तारूढ़ दल का हमला भी हो रहा है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। इस बार अनिल विज ने कश्मीरी पंडितों, 1984 के सिख दंगे और देश के विभाजन को लेकर पूरी कांग्रेस और कांग्रेस की कार्यप्रणाली को दोषी ठहराया है। अनिल विज ने कहा कि अपने ही देश में कश्मीरी पंडितों को विस्थापित होना पड़ा। धर्म के आधार पर देश को बांटा गया। लाखों लोगों की जान गई। लोग दंगों की भेंट चढ़े। इन सबके के लिए कांग्रेस की कार्यप्रणाली ही दोषी है। अनिल विज यहीं नहीं रुके। उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत और लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इन दोनों महापुरुषों की मौत आज तक रहस्य बनी हुई है। इतना ही नहीं अभी और भी बहुत से रहस्य हैं जो जनता के सामने नहीं आये हैं।

बहरहाल, संतोष की बात यह है कि प्रदेश में कांग्रेस अपने जिंदा होने का सबूत दे रही है। फरीदाबाद से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने शहर की नगर पालिका में 2014 से 2021 तक कथित घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने विधानसभा के अंदर अपने जूते उतार दिए और ‘धोती’ पहनी। प्रश्नकाल के दौरान सभी उस वक्त हैरान रह गए जब शर्मा ने अपने जूते उतार दिए और कुछ समय के लिए राज्य विधानसभा से बाहर चले गए। इसके बाद जब वह लौटे तो उन्होंने सफेद रंग की ‘धोती’ और शरीर के ऊपरी हिस्से में सफेद सूती कपड़ा लपेटा हुआ था। शर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान प्रश्न उठाया था जिसमें उन्होंने 2014 से 2021 तक फरीदाबाद नगर निगम में सामने आए ‘घोटालों’ की संख्या बताने की मांग की थी। साथ ही उन मामलों की संख्या भी बताने की मांग की थी जिन्हें जांच के लिए सतर्कता विभाग को सौंपा गया। राज्य के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने आश्वासन दिया कि जो कोई भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। इसके बावजूद शर्मा ने कम से कम एक दोषी अधिकारी को सजा मिलने तक ‘‘सिले हुए कपड़े’’ और जूते नहीं पहनने का प्रण लिया।
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