ए खुदा तूने दिल ए नादान दे दिया,
जीने के वास्ते इक इंसान दे दिया।
धरती घूमती है इक नियम बनाकर,
पल पल गुजारने हमें ईमान दे दिया।
राहों के कांटे पार करना आसां हुये,
हाथों में जान, जिगरे तूफान दे दिया।
चौराहे में अक्सर भटकता नहीं,
गीता, बाइबल साथ कुरान दे दिया।
महल अटारी जीवन के अंश नहीं,
परिवार,मजदूर और किसान दे दिया।
प्रकृति हमारे वास्ते अनमोल दोलतें,
पानी, हवा साक्षात भगवान दे दिया।
जीने की खातिर और क्या चाहिए,
मंदिर में सर झुकाने कदरदान दे दिया।
ए खुदा तूने दिल ए नादान दे दिया,
जीने के वास्ते इक इंसान दे दिया।
राजेश लखेरा, जबलपुर।
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