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युक्रेन

युक्रेन **


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राड के भरोसे रैन ,
फंस गया बेचारा युक्रेन -
सुबक गई बेचारीं शांति ,
छछन गया अमनो चैन - !
अनीति की रणनीति में ,
क्रांति ही सदा जीती -
जबकि लाभार्थीं का स्वार्थ ,
निरीह से करता नही प्रीति - !!
कौन किसका छुड़ा रहा ,
मुँह से निकलता फेन -
रशिया चांडाल हैं या ,
चाई बन रहा था युक्रेन - !!
धोखा वो भी अनोखा ,
चीखीं बारुद काटो काटो -
ढहती रही मासूम मानवता ,
व्यानबाज बना रहा नाटो - !!
समूह नहीं चक्रव्यूह हैं ,
मशीन जैसे जीव हैं -
चप्पू जिसे समझ रहे ,
सबके सब स्लीव हैं - !!
दोस्त दुश्मन दर्शक बेचैन ,
राड के भरोसे रैन -
सुबक गई बेचारी शांति ,
फंस गया बेचारा युक्रेन - ।।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,विनयबुद्धि,,,,,,,,,,
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