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समुंदर पार आजकल क्या हो रहा है,

समुंदर पार आजकल क्या हो रहा है,

राजेश लखेरा, जबलपुर।
विश्व खामोश है, आदमी रो रहा है।

रोती  बिलखती, सदायें अनसुनी रह गई,
इंसानियत का हिसाब, बेहिसाब हो रहा है।

निर्दोषों की खता थी के उस मुल्क का हिस्सा बने,
आज वह अपनों से ही जुदा हो रहा है।

कोरोना को हरा, करोड़ों जिंदगी  बचाई थी आपने,
युद्ध में आज इंसानियत का मजाक हो रहा है।

हफ्तों बीते चश्मेबद्दूर अंधे नजर आने लगे,
ताकतवर मुल्कों का चेहरा अब गूंगा हो रहा है।

आज नहीं तो आदमीयत कब काम आयेगी,
मौतों की सेज पर बेफिक्र आदमी सो रहा है।

राजेश लखेरा, जबलपुर।
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